कर्नाटक कांग्रेस के सीनियर नेता सरकार की शपथ और गठन से पहले दिल्ली आकर कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात करने वाले थे.
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शादाब सिद्दीकी, नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, डीके शिवकुमार और जी परमेश्वर को दिल्ली आने से मना कर दिया है. पहले कर्नाटक कांग्रेस के सभी सीनियर नेता दिल्ली आकर राहुल गांधी से मंत्रियों के नाम और विभाग और बंटवारे पर बातचीत करना चाहते थे. लेकिन राहुल गांधी ने कह दिया है कि पहले कांग्रेस-जेडीएस विश्वास मत हासिल कर ले, उसके बाद आगे की चीजें तय होंगी.
इसका कारण ये है, क्योंकि कांग्रेस और JDS गठबंधन में मंत्रियों के नाम विभाग और उपमुख्यमंत्री को लेकर विवाद शुरू हो गया है. कुमारस्वामी मुख्यमंत्री पद के साथ-साथ वित्त मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, PWD और गृह मंत्रालय खुद अपने पास रखना चाहते हैं. वहीं कांग्रेस पार्टी उपमुख्यमंत्री के अलावा गृह मंत्रालय ऊर्जा मंत्रालय और तमाम महत्पूर्ण विभाग को अपने पास रखना चाहती है.
कर्नाटक में सरकार बनने से पहले कांग्रेस की मुश्किल बढ़ी, लिंगायत चेहरे को डिप्टी सीएम बनाने की मांग
कुमारस्वामी ने यह भी साफ कर दिया है कि वह 5 साल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे. कुमार स्वामी का कहना है कि गुलाम नबी आजाद की तरफ से जो प्रस्ताव दिया गया था, उसमें 5 साल की बात कही थी. उसके बाद ही उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने की बात स्वीकार की थी और अब पीछे नहीं हटेंगे. कुमारस्वामी यह भी चाहते हैं कि वह अकेले मुख्यमंत्री पद की शपथ लें. उनके शपथ के बाद ही मंत्री के नाम तय किए जाएं, क्योंकि उससे पहले अगर नाम तय होते हैं तो विवाद खड़ा हो सकता है.
उपमुख्यमंत्री पद कांग्रेस के लिए बना परेशानी का विषय
कांग्रेस में भी उपमुख्यमंत्री और मंत्रियों के नाम को लेकर लॉबिंग तेज हो गई है. उप मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद चल रहा है पूर्व ऊर्जा मंत्री डीके शिवकुमार इस बार उपमुख्यमंत्री पद की गद्दी चाहते हैं. इसके अलावा लिंगायत विधायकों ने किसी लिंगायत को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग आगे रख दी है. वहीं पार्टी दलित चेहरे जी परमेश्वर को आगे करना चाहती है.
माना जा रहा है कि राहुल गांधी और कुमारस्वामी की बातचीत में सभी महत्वपूर्ण चीजों पर अंतिम मुहर लगा दी जाएगी. मंगलवार को बेंगलुरु में कांग्रेस और जेडीएस विधायक की संयुक्त बैठक बुलाई गई है ताकि बहुमत साबित करने से पहले दोनों दलों में आपसी तालमेल बना रहे.