बहुमत का दावा करने वाले येदियुरप्पा को आखिर कब लगा कि नंबर का 'जुगाड़' नहीं होगा?
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बहुमत का दावा करने वाले येदियुरप्पा को आखिर कब लगा कि नंबर का 'जुगाड़' नहीं होगा?

चेहरे पर हार के भाव के साथ येदियुरप्पा ने भावनात्मक भाषण के बाद इस्तीफा दे दिया था. 

येदियुरप्पा बहुतम होने का केवल कोरा दावा ही करते रह गए...

बेंगलुरु: कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कल शनिवार को विश्वास मत का सामना किए बगैर ही इस्तीफा देने की घोषणा की थी. इस तरह से येदियुरप्पा सरकार गिर गई थी. अब जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार एचडी कुमारस्वामी सरकार बनाने जा रहे हैं. वह 23 मई को शपथ लेंगे. इससे पहले चेहरे पर हार के भाव के साथ येदियुरप्पा ने एक संक्षिप्त भावनात्मक भाषण के बाद विधानसभा के पटल पर अपने निर्णय की घोषणा की. बड़ा सवाल यह है कि शनिवार सुबह आत्मविश्वास से भरपूर नजर आने वाले येदियुरप्पा को आखिर कब महसूस हुआ कि उनके हाथ से मामला निकल गया है. 

  1. कर्नाटक में बीजेपी को मायूसी हाथ लगी है
  2. येदियुरप्पा केवल 55 घंटे तक ही सीएम रहे 
  3. बहुमत साबित करने से पहले से ही दिया इस्तीफा

दोनों हाथ से दिखाया था विक्ट्री साइन
शनिवार सुबह 9 बजे जब बीजेपी विधायकों को होटल से लेकर येदियुरप्पा विधानसभा पहुंचे तो वह दोनों हाथों से विक्ट्री साइन बनाए हुए नजर आए थे. उनके साथ के विधायक भी आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रहे थे. उनकी भावभंगिमा देखकर लगा कि जैसे येदियुरप्पा ने बहुमत का जुगाड़ कर लिया है. उधर, मीडिया के सामने आने वाले बीजेपी नेता लगातार बहुमत होने की बात कहते रहे. बाद में उनका गणित कब गड़बड़ा गया, कोई समझ नहीं पाया.   

 

 

येदियुरप्पा ने बदले बार-बार बयान
येदियुरप्पा जब-जब मीडिया के सामने आए अलग- अलग बयान दिए. उन्होंने बहुमत को लेकर कहा था कि वह दो दिन में इसे साबित कर देंगे लेकिन जब असल में इसकी बारी तो वह इस्तीफा देकर निकल गए.  शुक्रवार की रात येदियुरप्पा का सामना जब मीडिया से हुआ तो वह अति आत्मविश्वास में नजर आए थे. उन्होंने यहां तक दावा किया कि उनके पास आवश्यकता से ज्यादा नंबर हैं. हालांकि जब पत्रकारों ने पूछा कि वह बहुमत कैसे जुटाएंगे? इसके जवाब में उन्होंने साफ कहा कि बिना कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों के सहयोग के वह बहुमत कैसे साबित करेंगे? 

 

 

तो क्या लाइव टेलीकॉस्ट ने बिगाड़ा खेल?
कर्नाटक के गवर्नर वजुभाई वाला ने बहुमत परीक्षण की प्रक्रिया संपन्न कराने के लिए केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया. कांग्रेस बोपैया की नियुक्ति के खिलाफ थी और वह इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा की कार्यवाही की सीधा प्रसारण करने का आदेश दिया. माना जाता है कि इसके बाद ही बीजेपी का गेम बिगड़ा. पार्टी ने विधायकों की दल-बदल के प्लान पर आगे न बढ़ने का फैसला कर येदियुरप्पा का इस्तीफा दिलवाने की योजना बनाई. यहां तक कि विधायकों के शपथ ग्रहण के दौरान ही दिल्ली बीजेपी में येदियुरप्पा के इस्तीफे की पटकथा तैयार की जाने लगी. येदियुरप्पा के लिए 13 पन्नों का विदाई भाषण तैयार कर दिया गया. साढ़े तीन बजे जब विधानसभा की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तब तक येदियुरप्पा के चेहरे का नूर उतर चुका था. 

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