Haemophilia: जन्मजात ब्लीडिंग बीमारी है हीमोफीलिया, जानें इसके लक्षण, कारण और पता करने के तरीके
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Haemophilia: जन्मजात ब्लीडिंग बीमारी है हीमोफीलिया, जानें इसके लक्षण, कारण और पता करने के तरीके

हीमोफीलिया एक गंभीर जन्मजात ब्लीडिंग डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति के खून का थक्का जमने में दिक्कत होती है, जिससे अनियंत्रित ब्लीडिंग होता है.

Haemophilia: जन्मजात ब्लीडिंग बीमारी है हीमोफीलिया, जानें इसके लक्षण, कारण और पता करने के तरीके

हीमोफीलिया एक गंभीर जन्मजात ब्लीडिंग डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति के खून का थक्का जमने में दिक्कत होती है, जिससे अनियंत्रित ब्लीडिंग होता है. यह तब होता है जब किसी व्यक्ति में क्लॉटिंग फैक्टर्स (थक्के जमाने वाले प्रोटीन) की कमी होती है. ये प्रोटीन मिलकर खून का थक्का बनाते हैं और ब्लीडिंग को रोकने में मदद करते हैं. इस रक्तस्राव विकार के कारण निम्न समस्याएं हो सकती हैं.

जोड़ों के अंदर ब्लीडिंग, जो जोड़ों के पुराने रोग और दर्द का कारण बन सकता है. इसके अलावा, सिर में और कभी-कभी दिमाग में ब्लीडिंग, जिससे अटैक और पक्षाघात जैसी लंबी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए जल्द से जल्द डायग्नोसिस (निदान) और इलाज तक पहुंच बच्चों को लगभग सामान्य जीवन जीने में सक्षम बनाता है और उन्हें जानलेवा स्थितियों से बचा सकता है.

डायग्नोसिस
मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड की वरिष्ठ सलाहकार और डीजीएम लैब संचालन डॉ चक्षु बंसल ने बताया कि यदि परिवार में हीमोफीलिया का इतिहास रहा है, तो डॉक्टर जन्म से पहले (prenatal) जांच कर सकते हैं. आमतौर पर, जब बच्चा पैदा होता है, तो डॉक्टर गर्भनाल से खून का एक नमूना लेकर जांच करते हैं. जांच बच्चे के जन्म से पहले ही भी प्लान की जा सकती है ताकि जन्म के तुरंत बाद गर्भनाल (मां और बच्चे को जन्म से पहले जोड़ने वाली नाल) से खून का एक नमूना लिया जा सके.

स्क्रीनिंग टेस्ट
डायग्नोसिस में स्क्रीनिंग टेस्ट और क्लॉटिंग फैक्टर टेस्ट शामिल हैं. स्क्रीनिंग टेस्ट वे ब्लड टेस्ट होते हैं जो बताते हैं कि खून का थक्का ठीक से जम रहा है या नहीं. ब्लीडिंग डिसऑर्डर का पता करने के लिए क्लॉटिंग फैक्टर टेस्ट (जिन्हें फैक्टर एसेज भी कहा जाता है) की आवश्यकता होती है. यह ब्लड टेस्ट हीमोफीलिया के प्रकार और गंभीरता को दर्शाता है.

हीमोफीलिया का टेस्ट जन्म के तुरंत बाद कर लेनी चाहिए (खासकर उन शिशुओं के लिए जो हीमोफीलिया के इतिहास वाले परिवारों में पैदा हुए हैं) जिनकी माताएं को हीमोफीलिया है और जिन शिशुओं में जन्म के समय ब्लीडिंग के लक्षण दिखाई देते हैं.

बीमारी का कारण
इस दुर्लभ बीमारी के मूल कारण को दूर करने वाले उपचार को जल्दी शुरू करने से बच्चे को लगभग सामान्य, अधिक लक्षण-मुक्त जीवन जीने की संभावना मिल सकती है. इस और अन्य ब्लीडिंग डिसऑर्डर के लिए आधुनिक, टारगेट उपचार जैसे फैक्टर रिप्लेसमेंट थेरेपी मरीजों को उनके शरीर में कमी वाले फैक्टर के लेवल को सामान्य करने और निवारक उपचार के माध्यम से लक्षणों को प्रभावी ढंग से कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं.

निष्कर्ष
हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों के जीवन की क्वालिटी पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है और यह उनके देखभाल करने वालों के लिए भी परेशानी का कारण बन सकता है। इस दुर्लभ जन्मजात डिसऑर्डर और इसके जल्द से जल्द डायग्नोस के बारे में जानकारी माता-पिता को बीमारी के लक्षणों को कम करने के लिए आवश्यक और समय पर कदम उठाने में मदद कर सकती है.

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