अंतरिक्ष विज्ञान में ऐसे ही नहीं बना भारत का दबदबा, देश के इन 5 बड़े साइंटिस्ट्स की लगन का है नतीजा
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अंतरिक्ष विज्ञान में ऐसे ही नहीं बना भारत का दबदबा, देश के इन 5 बड़े साइंटिस्ट्स की लगन का है नतीजा

Indian Space Scientists: भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़े-और विकसित राष्ट्रों को पछाड़कर जिस मुकाम पर पहुंचा है, वहां तक पहुंचना आसान नहीं था. इस कामयाबी के पीछे देश के कई बड़े वैज्ञानिकों की मेहनत और लगन शामिल है 

अंतरिक्ष विज्ञान में ऐसे ही नहीं बना भारत का दबदबा, देश के इन 5 बड़े साइंटिस्ट्स की लगन का है नतीजा

Space Scientists Of India: आज स्पेस साइंस में इंडिया बहुत बड़ा नाम है. भारत ने धीमी गति से ही सही , लेकिन अंतरिक्ष में बहुत ऊंची उड़ान भरी है. हमारे देश को ये मुकाम यूं ही मिला, इस कामयाबी के पीछे देश के कई बड़े वैज्ञानिकों की मेहनत और पिछले कई दशक रहे हैं.

आज हम बात करेंगे देश के ऐसे ही महान वैज्ञानिकों के बारे में, जिनकी अथक मेहनत के बलबूते स्पेस साइंस की प्रतिस्पर्धा में देश बहुत आगे निकल चुका है. भले ही ये महान वैज्ञानिक हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उस समय की गई इनकी मेहनत आज भी रंग ला रही है.  

विक्रम साराभाई
सबसे पहले जानेंगे वैज्ञानिक विक्रम सारा भाई के बार में, जिन्होंने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की नींव रखी थी. इन्होंने भारत सरकार को स्पेस सेक्टर के महत्व को समझाया. इसके कारण ही देश का पहला स्पेस सैटेलाइट 'आर्यभट्ट' लॉन्च हुआ. आज विक्रम साराभाई देशभर में 'फादर ऑफ इंडियन स्पेस प्रोग्राम' के नाम से जाने जाते हैं.

सतीश धवन
भारत की अंतरिक्ष में ऊंची उड़ान का श्रेय मशहूर स्पेस साइंटिस्ट सतीश धवन को भी जाता है, उन्होंने साल 1972 में अध्यक्ष के तौर पर इसरो की कमान संभाली थी. श्रीहरिकोटा में बने लॉन्च सेंटर का नाम उनके नाम 'सतीश धवन स्पेस सेंटर' पर रखा गया है. वे 'Father Of Experimental Fluid Dynamics' कहलाते हैं.

डॉ के राधाकृष्णन
भारत को अंतरिक्ष में कई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ के राधाकृष्णन ने अहम भूमिका निभाई. राधाकृष्णन ने जीएसएलवी के लिए स्वदेशी इंजन बनाए थे. मंगलयान की सफलता में भी उनका खास योगदान है.

उडुपी रामचंद्र राव 
देश के बड़े वैज्ञानिकों में से एक राव भी इसरो के अध्यक्ष रह चुके हैं. उनके नेतृत्व में पहले सैटेलाइट 'आर्यभट्ट' को अंतरिक्ष में भेजा गया. वह 'सैटेलाइट हॉल ऑफ फेम' में शामिल होने वाले पहले भारतीय थे.

एपीजे अब्दुल कलाम 
देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम एक बड़े साइंटिस्ट थे. कलाम ने डीआरडीओ और इसरो दोनों में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है. उन्हें 'मिसाइल मैन ऑफ इंडिया' कहा जाता है.

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