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नई दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) श्रमिक संगठनों से कड़े विरोध को देखते हुए अपने पांच करोड़ से अधिक अंशधारकों के लिए आधार संख्या अनिवार्य करने के फैसले को स्थगित कर सकता है। जानकार सूत्रों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा, श्रमिक संगठनां के दबाव को देखते हुए ईपीएफओ अपने फील्ड स्टाफ को जारी उस आधार को स्थगन में रख सकता है जिसमें उसने मौजूदा अंशधारकों से आधार नंबर लेने को कहा था। आदेश के हिसाब से ईपीएफओ के नये सदस्यों के लिए भी आधार संख्या देना अनिवार्य होगा। ईपीएफओ ने अपने आदेश में निर्देश दिया कि वे योजना में शामिल होने वाले नये सदस्यों को एक मार्च 2013 से तथा मौजूदा सदस्यों को 30 जून से आधार संख्या अनिवार्य कर दें।
ईपीएफओ के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा कि सदस्यों के लिए आधार संख्या को उपलब्ध कराना असंभव होगा क्योंकि देश के कई हिस्सों में यह योजना परिचालन में नहीं है। इसके अलावा जिन राज्यों में यह योजना परिचालन में है वहां आधार नंबर प्राप्त करना जटिल है।
भारतीय मजदूर संघ के महासचिव बैजनाथ राय ने बताया, `उन्हें अपने आप यह फैसला नहीं लेना चाहिए था। इस पर ईपीएफओ के अग्रणी निर्णय लेने वाली इकाई, केन्द्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) में विचार विमर्श किया जाना चाहिए था।` सीबीटी की बैठक 15 फरवरी को होनी है। ईपीएफओ के एक और न्यासी एटक के सचिव डीएल सचदेव ने भी ईपीएफओ के इस कदम की आलोचना की है। (एजेंसी)