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नई दिल्ली : हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) के दबाव में रिलायंस इंडस्ट्रीज कृष्णा गोदावरी केजी-डी6 में तीन प्राकृतिक गैस खोजों की पुष्टि का अलग परीक्षण करने को राजी हो गई है।
लेकिन, तेल एवं गैस क्षेत्र का नियामक इस प्रस्ताव से प्रभावित नहीं हुआ है और वह चाहता है कि ये स्थान कंपनी से ले लिए जाएं।
पेट्रोलियम मंत्रालय की तकनीकी इकाई डीजीएच ने फरवरी, 2010 से ही डी.29, 30 व 31 पर रिलायंस के दावे को मान्यता नहीं दी है क्योंकि आरआईएल ने इन खोजों की पुष्टि के लिए निर्धारित अलग परीक्षण नहीं किया है।
आरआईएल 2 मई को तीन अलग-अलग परीक्षण करने पर सहमत हुई, जबकि इससे पहले उसने पिछले साल इन खोजों के लिए एकल परीक्षण का प्रस्ताव किया था और चालू वित्त वर्ष में 9.3 करोड़ डालर खर्च करने की अनुमति मांगी थी।
इसके जवाब में, हाईड्रोकार्बन महानिदेशक आरएन चौबे ने 10 मई को पेट्रोलियम सचिव विवेक राय को पत्र लिखकर कहा, ‘ डीओसी जमा करने की अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी है।’ नियामक ने तीनों खोजों के बारे में तीन अलग अलग परीक्षण कराने के निर्देश दिए थे। नियामक ने कहा कि उत्पादन साझेदारी अनुबंध (पीएससी) में अतिरिक्त परीक्षण के लिए निश्चित समय के बाद और समय नहीं दिया जा सकता।
चौबे ने पेट्रोलियम सचिव को याद दिलाया है कि डीजीएच ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को आंध्र प्रदेश तट के पास समुद्र में केजी डी6 क्षेत्र के कुल 7,645 वर्ग किलो मीटर इलाके के 86 प्रतिशत इलाके को छोड़ने का कहा है। ये तीनों क्षेत्र भी उसी में पड़ते है। कंपनी का दावा है कि उसने वहां 1150 अरब घन पुट गैस के भंडार का पता लगाया है। कंपनी का अनुमान है कि वह वहां से 4.83 अरब डालर के बराबर गैस निकाल सकती है। (एजेंसी)