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न्यूयार्क : प्रमुख अमेरिकी अखबारों ने भारत द्वारा बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार और विमानन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को अनुमति देने के फैसले को पिछले दो दशक का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है हालांकि आशंका जताई कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के लिए ये प्रस्ताव बड़े राजनैतिक जोखिम भरे हैं।
‘न्यूयार्क टाइम्स’ ने कहा कि सिंह की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार पर भारत की नरम पड़ती अर्थव्यवस्था में तेजी लाने, रोजगार बढ़ाने व देश के बुनियादी ढांचे में सुधार का भारी दबाव है।
इन अखबारों ने देश में वालमार्ट जैसे प्रमुख विदेशी ब्रांडों को कारोबार की मंजूरी देने के निर्णय को इस दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम बताया है।
अमेरिका के इस प्रमुख अखबार ने कहा कि खुदरा, विमानन और प्रसारण क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोलना पिछले दो दशक के सबसे बड़े आर्थिक सुधार हैं लेकिन ये योजनाएं विवादास्पद बनी रहेंगी, विवाद पैदा करेंगी और यह साफ नहीं है कि सरकार का ढीला-ढाला गठबंधन इन योजनाओं पर अमल करने के लिए लंबे समय तक बरकरार रहेगा या नहीं।
अखबार ने कहा, सिंह आर्थिक प्रस्तावों के साथ बड़े राजनैतिक जोखिम ले रहे हैं जो उनके सत्तारुढ़ गठबंधन को तोड़ सकता है।
‘वाशिंगटन पोस्ट’ जिसने हाल ही में सिंह को मौन प्रधानमंत्री और बेहद भ्रष्ट सरकार की नेतृत्व करने वाला दुविधाग्रस्त और निष्प्रभावी नौकरशाह करार दिया था, ने कहा कि उनके द्वारा ये घोषित सुधार 2004 से लेकर अब तक के सबसे बड़े और कड़े आर्थिक सुधार हैं जबकि उन्होंने प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया था।
अखबार के मुताबिक आर्थिक वृद्धि में नरमी, उच्च मुद्रास्फीति और एक के बाद एक घोटाले के कारण दो साल तक रक्षात्मक रवैया अख्तियार करने के बाद भारत की गठबंधन सरकार अब इस सप्ताह कड़े फैसले लेने के लिए तैयार है।
एक अन्य अखबार ‘द वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने सुधार को देश की आर्थिक नरमी की दिशा बदलने और विदेश पूंजी प्रवाह को प्रोत्साहित करने के लिए नाटकीय पहल करार दिया। (एजेंसी)