हृदय रोगियों के लिए अकेले रहना जानलेवा
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हृदय रोगियों के लिए अकेले रहना जानलेवा

जिन लोगों को दिल का दौरा आ चुका है उनके लिए अकेले रहना जानलेवा साबित हो सकता है।

वाशिंगटन: जिन लोगों को दिल का दौरा आ चुका है उनके लिए अकेले रहना जानलेवा साबित हो सकता है। यह बात एक सर्वेक्षण में सामने आई है।
ब्रिघम एंड विमंस हास्पिटल (बीडब्ल्यूएच) के शोधकर्ताओं ने रिडक्शन ऑफ एथ्रोम्बोसिस फॉर कांटिन्यूड हेल्थ (आरईएसीएच) रजिस्ट्री के 44573 लोगों के आंकड़ों का अध्ययन किया।
इस अध्ययन में शामिल लोग अधिक से अधिक चार वर्षो से एथ्रोस्क्लेरोसिस (रक्त धमनियां सख्त हो जाना) से पीड़ित थे। इस में शामिल 44573 लोगों में से 19 फीसदी मरीज (8594) अकेले रहते थे।
विज्ञान पत्रिका आर्काइव्स ऑफ इंटर्नल मेडिसीन रिपोर्ट्स के अनुसार शोधकर्ताओं ने पाया कि अगले चार सालों के दौरान जो लोग अकेले रहते थे उनमें मृत्यु दर 14.1 फीसदी थी जबकि जो लोग अकेले नहीं रहते थे उनमें मृत्यु दर 11.1 फीसदी दर्ज की गई।
इसके अलावा अकेले रहने वाले लोगों में 8.6 फीसदी मौतें कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं से हुईं जबकि जो लोग अकेले नहीं रहते थे उनमें यह दर 6.8 फीसदी थी। यद्यपि हृदय रोगियों की मृत्यु दर उनके उम्र से प्रभावित थी। 45 से 80 वर्ष की उम्र के मध्य अकेले रहने वाले हृदय रोगियों में मृत्यु दर अकेले न रहने वाले लोगों से अधिक थी।
अध्ययनदल के नेतृत्वकर्ता एवं ब्रिघम के हृदयरोग विशेषज्ञ जैक यूडेल ने कहा कि अकेले रहना तनावपूर्ण स्थितियों का संकेत हो सकता है, जैसे व्यक्तिगत या काम के कारण सामाजिक एकाकीपन। इसका जैविक प्रभाव हृदय तंत्र पर पड़ सकता है। (एजेंसी)

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