कोडनानी को फांसी पर SC से मार्गदर्शन लेगी SIT
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कोडनानी को फांसी पर SC से मार्गदर्शन लेगी SIT

पूर्व मंत्री माया कोडनानी और नौ अन्य के लिए मौत की सजा मांगने के संबंध में गुजरात सरकार के यू टर्न के बाद एसआईटी ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से मार्गदर्शन लेने का फैसला किया है।

अहमदाबाद : पूर्व मंत्री माया कोडनानी और नौ अन्य के लिए मौत की सजा मांगने के संबंध में गुजरात सरकार के यू टर्न के बाद एसआईटी ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से मार्गदर्शन लेने का फैसला किया है। कोडनानी और नौ अन्य साल 2002 के नरौदा पाटिया दंगा मामले में दोषी ठहराए गए थे।
एसआईटी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘बहुत जल्द हम सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ के समक्ष आवेदन दायर करने जा रहे हैं जिसमें उसे नरौदा पाटिया मामले में अपील दायर करने के संबंध में गुजरात सरकार के अनुमति वापस लेने के बारे में जानकारी दी जाएगी।’ वह एक सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या एसआईटी ने इस संबंध में शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है या नहीं।
उन्होंने कहा, ‘हम कोई याचिका नहीं दायर कर रहे हैं क्योंकि हम न तो पक्षकार हैं और न ही मामले में प्रतिवादी हैं। लेकिन चूंकि हम मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त अधिकारी हैं इसलिए हम एक आवेदन दायर करेंगे जिसमें इस मामले में न्यायिक मार्गदर्शन मांगेंगे।’ एसआईटी अधिकारी ने कहा, ‘हम न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम, न्यायमूर्ति एम.वाई.इकबाल और न्यायमूर्ति रंजना देसाई की विशेष पीठ के समक्ष आवेदन देंगे।’
दक्षिणपंथी समूहों के निशाने पर आने के बाद गुजरात सरकार ने सोमवार को कहा था कि उसने पूर्व मंत्री कोडनानी, बाबू बजरंगी और आठ अन्य को दंगा मामले में मौत की सजा देने की मांग करने के फैसले को रोक लिया है। इससे पहले, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी को कोडनानी, बजरंगी और अन्य को मौत की सजा देने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में एक अपील दायर करने के लिए अपनी सहमति दे दी थी। कोडनानी, बजरंगी और अन्य को निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। राज्य के वित्त मंत्री और प्रवक्ता नितिन पटेल ने कहा था कि उन्होंने फैसले को रोक कर रखा है क्योंकि उन्हें राज्य के महाधिवक्ता की राय लेनी है।
पटेल ने कहा था, ‘महाधिवक्ता के राय देने के बाद अंतिम फैसला किया जाएगा।’ मोदी सरकार में मंत्री रहीं कोडनानी को विशेष अदालत ने अगस्त 2012 में नरौदा पाटिया दंगा मामले में 28 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। इस दंगा मामले में 96 लोगों की मौत हुई थी। बजरंग दल कार्यकर्ता बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी जबकि आठ अन्य को उसी मामले में 31-31 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। इन दोषियों के लिए मौत की सजा मांगने के मोदी सरकार के फैसले की दक्षिणपंथी समूहों ने कड़ी आलोचना की थी। (एजेंसी)

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