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नई दिल्ली/बैंकाक : केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत ने बुधवार को यहां कहा कि ‘भारत धीरे-धीरे जलसंकट की ओर बढ़ रहा है’ और कई राज्यों में भूजल स्तर बहुत नीचे चले जाने की वजह से स्थिति चिंताजनक हो गई है।
दूसरे ‘एशिया प्रशांत जल सम्मेलन’ में भाग लेने के लिए यहां आए रावत ने प्रेस ट्रस्ट से कहा कि जल को ‘सामुदायिक संसाधन’ समझ कर उसका किफायती उपयोग करना चाहिए। रावत ने कहा कि हम जल संकट की ओर धीरे धीरे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर पश्चिम भारत के कई भागों में स्थिति चिंताजनक है क्योंकि वहां भूजल स्तर बहुत नीचे जा चुका है।
रावत ने कहा कि हमारी 80 प्रतिशत पानी संबंधी जरूरतें भूजल से ही पूरी होती हैं लेकिन कई इलाकों में इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने गिरते जलस्तर की समस्या से निपटने के लिए भंडारण क्षमता में बढोतरी की सलाह दी। इसके साथ ही रावत ने इस समस्या के संभावित समाधान के लिए पानी की अधिकता वाले बाढ प्रभावित इलाकों के जल को अंतर जलाशय स्थानांतरण के माध्यम से पानी की कमी वाले सूखाग्रस्त इलाकों में भेजने की भी सलाह दी।
रावत ने सिंचाई जैसे कामों के लिए पानी का किफायत से इस्तेमाल करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने इसके लिए नई तकनीक और पानी का दोबारा इस्तेमाल करने की सलाह दी। सम्मेलन में भाग लेने वालों ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की चर्चा के दौरान अंतिम घोषणा में जल एवं स्वच्छता क्षेत्रों में संसाधनों का वितरण करने, प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण बढ़ाने, सिंचाई प्रणालियों में सुधार करने और जल सबंधी मसलों पर उचित विचार विमर्श को प्रोत्साहित करने पर सहमति जताई। थाइलैंड के चियांग माई में आयोजित हुए इस दो दिवसीय सम्मेलन में चर्चा का मूल विषय ‘ जन सुरक्षा एवं जल संबंधी आपदा चुनौतियां : नेतृत्व एवं प्रतिबद्धताएं’ था। (एजेंसी)