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नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आचार संहिता बनाने और मरीजों को बिना परेशानी पहुंचाये अस्पताल कर्मियों को अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए एक मंच उपलब्ध कराने संबंधी जनहित याचिका पर केंद्र और सफदरजंग अस्पताल से जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश डी मुरूगेशन और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने आज अधिवक्ता पी वर्गीस और अर्पित भार्गव की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, सफदरजंग अस्पताल और रेजीडेंट डाक्टर एसोसिएशन को नोटिस जारी किये। इन सभी को सात अगस्त तक जवाब देने हैं।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि पिछले सप्ताह रेजीडेंट डाक्टरों के दो दिनों के हड़ताल के दौरान मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
वकीलों ने कहा कि विरोध प्रदर्शन से लोक स्वास्थ्य सेवाओं में बाधा नहीं आनी चाहिए और डाक्टर मरीजों के उपचार के कर्तव्य से बंधे हैं।
वकीलों ने याचिका में कहा, ‘ वे डाक्टर उपचार करने के कर्तव्य से बंधे हैं। पिछले कुछ दिनों हड़ताल के दौरान जीवन के अधिकार का कई बार उल्लंघन किया गया।’ जनहित याचिका में उन लोगों का भी उल्लेख किया गया जिन्हें हड़ताल के कारण चिकित्सा सुविधा से वंचित किया गया।
गौरतलब है कि बेहतर सुरक्षा, स्वच्छ पेयजल और बेहतर हास्टल सुविधाओं की मांग करते हुए रेसिडेंट डाक्टर नौ मई और 15 मई को हड़ताल पर चले गए थे।
हड़ताल तब वापस ली गई जब डाक्टरों के प्रतिनिधियों ने स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की और डाक्टरों को उनकी मांग पूरी करने का आश्वासन दिया। (एजेंसी)