युवाओं को मौका देने के लिए इस्तीफा: कृष्णा
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युवाओं को मौका देने के लिए इस्तीफा: कृष्णा

एसएम कृष्णा ने शनिवार को कहा कि युवाओं को मौका देने के लिए उन्होंने विदेश मंत्री पद से इस्तीफा दिया है। इसके साथ ही कृष्णा ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने मंत्रालय के कामकाज में पारदर्शिता कायम की।

नई दिल्ली: एस.एम कृष्णा ने शनिवार को कहा कि युवाओं को मौका देने के लिए उन्होंने विदेश मंत्री पद से इस्तीफा दिया है। इसके साथ ही कृष्णा ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने मंत्रालय के कामकाज में पारदर्शिता कायम की। कृष्णा ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की और विदेश मंत्रालय को नेतृत्व द्वारा मिले समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।
कृष्णा ने पद छोड़ने के एक दिन बाद अपने निवास पर संवाददाताओं से कहा, इस्तीफे के पीछे का पूरा तर्क यह है कि युवाओं को अधिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए। मेरे लिए यह उचित समय है कि युवाओं को मौका देने के लिए रास्ता तैयार करूं। कृष्णा (80) ने कहा,यह किसी भी मामले में अनुभव के महत्व को दरकिनार करना नहीं है। अनुभव एक महत्वपूर्ण विशेषता है, खासतौर से अन्य देशों के साथ सम्बंधों को बनाने के मामले में।
कृष्णा ने कहा, हमने मंत्रालय के काम-काज में पारदर्शिता कायम किया। हम हज सुधार सहित कई सुधारों को लाने में सफल हुए। कृष्णा ने अपने उत्तराधिकारी को शुभकामना देते हुए कहा, पारदर्शिता एक अबाध रुझान है। ज्ञात हो कि कृष्णा ने रविवार सुबह मंत्रिमंडल में होने वाले फेरबदल से पहले इस्तीफा दे दिया। वह कर्नाटक के मामलों में कोई महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि अगले वर्ष राज्य विधानसभा का चुनाव होना है।
कृष्णा ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलकात की जिन्होंने विदेश मंत्री के तौर पर उनके काम की सराहना की। उन्होंने कहा, वह चाहती थीं मैं संसद के सदस्य के तौर पर जो कर रहा हूं, वह करता रहूं। मंत्रालय में अपने कार्यकाल के बारे में पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के पड़ोसियों सहित देश के विदेशी संबंधों में व्यापक सुधार हुआ है।
कृष्णा ने कहा, कोई भी यह दावा नहीं कर सकता कि हमारे पड़ोसियों के साथ सभी मुद्दों का हल हो चुका है। लेकिन यह अहम है कि हमेशा सामने आने वाले इन मुद्दों से आप किस तरह निपटते हैं, चाहे यह चीन के संदर्भ में हो या पाकिस्तान के संदर्भ में, मुझे लगता है कि पिछले तीन साल के दौरान हमारे रिश्तों में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि चीन के साथ नयी दिल्ली का सीमा विवाद है लेकिन इससे भारत के बीजिंग के साथ व्यापक रिश्तों पर प्रभाव नहीं पड़ा।
पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, यही बात पाकिस्तान के साथ है। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमने पहल की और मैंने पाकिस्तान के दो दौरे किए तथा वहां मेरी समकक्ष हिना रब्बानी खार दिल्ली आईं। निश्चित रूप से इससे हमारे देशों के संबंधों में सुधार में मदद मिली। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और चीन दो अलग अलग मामले हैं जिनके साथ हमेशा से ही भारत के हित रहे हैं।
कृष्णा ने कहा, लेकिन आज हम दोनों देशों के साथ संबंध बनाने में सफल रहे हैं और मैं आज में पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि दोनों देशों के साथ हमारे निभाने लायक रिश्ते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें उसके लिये काफी अफसोस है जो बतौर विदेश मंत्री नहीं कर पाये। उन्होंने कहा कि विदेश मामले आसान काम नहीं है और इसमें निरंतर काम करते रहना चाहिये । कृष्णा ने कहा कि वह पारदर्शिता पर भरोसा करते हैं जिसकी वजह से उनके कुछ सहयोगियों की नाराजगी भी उन्हें मिली।
उन्होंने कहा कि दुनिया में जो हो रहा है, उसे देखते हुए पारदर्शिता सतत जारी रहने वाला चलन है। यह सरकार की आलोचना करने वालों के लिए कारगर जवाब है। उन्होंने कहा कि हज और पासपोर्ट के क्षेत्र में मंत्रालय ने उल्लेखनीय कार्य किया है और खासी उपलब्धि हासिल की है। (एजेंसी)

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