विनोद राय आज होंगे रिटायर, शशिकांत शर्मा होंगे नए CAG
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विनोद राय आज होंगे रिटायर, शशिकांत शर्मा होंगे नए CAG

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के प्रमुख के पद से विनोद राय बुधवार को सेवानिवृत्‍त हो रहे हैं। इस पद से रिटायर होने से पहले उन्‍होंने कैग की भूमिका को नए सिरे से परिभाषित भी किया।

ज़ी मीडिया ब्‍यूरो
नई दिल्‍ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के प्रमुख के पद से विनोद राय बुधवार को सेवानिवृत्‍त हो रहे हैं। इस पद से रिटायर होने से पहले उन्‍होंने कैग की भूमिका को नए सिरे से परिभाषित भी किया। वहीं, रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा को भारत का नया नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) नियुक्त किया गया है। कैग के पद पर शर्मा की नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब यह संस्थान इसकी रपटों पर विवाद को लेकर चर्चा के केन्द्र में है।
बिहार कैडर के 1976 बैच के आईएएस अधिकारी शर्मा, साढ़े पांच साल के बहुचर्चित कार्यकाल के बाद आज सेवानिवृत्‍त हो रहे विनोद राय का स्थान लेंगे। विनोद राय के कार्यकाल में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और कोयला ब्लॉक आवंटन रपटों को लेकर कैग सरकार के निशाने पर रहा।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति ने शशिकांत शर्मा को संविधान की धारा 148 (1) के तहत नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) नियुक्त किया है। यॉर्क विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर शर्मा 23 मई को कैग का कार्यभार संभालेंगे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा 62 वर्षीय शर्मा को बृहस्पतिवार को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी।
विनोद राय की तरह शर्मा भी वित्तीय सेवाओं के विभाग में बतौर सचिव सेवाएं दे चुके हैं। कैग की नियुक्ति छह साल या 65 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्ति जो भी पहले हो, तक के लिए की जाती है।
इससे पहले, कैग के प्रमुख के पद से सेवानिवत्त हो रहे विनोद राय ने कहा है कि 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लाक आवंटन पर विवादास्पद आडिट रिपोर्ट के लीक होने के पीछे उनकी कोई भूमिका नहीं है। राय ने कहा कि आडिट प्रक्रिया के दौरान यदि कोई सूचना के अधिकार के तहत कोई सवाल पूछता है, तो केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने व्यवस्था दी है कि हमें उसका जवाब देना होगा। ऐसा करना रिपोर्ट लीक करना नहीं है। कैग ने कहा कि उनका विचार है कि संसद में रखे जाने से पहले कैग की कोई रपट किसी अन्य को नहीं देखायी जानी चाहिए। उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, पर यह तय हुआ कि यह संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन नहीं है।

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