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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को क्लीन चिट देने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की विवादास्पद मसौदा रिपोर्ट पर इसके सदस्यों में गहरे मतभेदों के बीच समिति की लंबे समय से अटकी बैठक जून में हो सकती है। जेपीसी के अध्यक्ष पीसी चाको ने इसके संकेत दिए हैं।
चाको ने संवाददाताओं से कहा, ‘फिलहाल सदस्य अनेक संसदीय समितियों के दौरों में व्यस्त हैं इसलिए बैठक जून में करने का विचार बना है।’ जेपीसी की मसौदा रिपोर्ट को स्वीकार करने के लिए 25 अप्रैल को बैठक बुलाई गई थी। लेकिन उस दिन लोकसभा के एक सदस्य के निधन के बाद बैठक को स्थगित कर दिया गया। समिति की अगली बैठक महत्वपूर्ण हो सकती है क्योंकि चाको संप्रग के समर्थन में संख्या जुटाने का प्रयास करते हुए मसौदा रिपोर्ट को स्वीकार कराने की कोशिश कर सकते हैं।
30 सदस्यीय समिति के 15 विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को अलग-अलग पत्र देकर जेपीसी अध्यक्ष चाको के प्रति अविश्वास जताया था। इनमें संप्रग के सहयोगी रहे द्रमुक और तृणमूल के सदस्य भी हैं। विपक्षी सदस्यों ने चाको को तत्काल हटाने की मांग की थी। विपक्षी सदस्यों ने मसौदा रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज भी कर दिया था।
मीरा कुमार ने मामले को शांत करने का प्रयास करते हुए चाको और अन्य सदस्यों से मतभेद सुलझाने और संसद द्वारा दी गयी जिम्मेदारी के अनुसार रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था। सपा ने चाको को हटाने की मांग नहीं की है लेकिन स्पष्ट किया है कि जब तक 2जी मामले के मुख्य आरोपी पूर्व संचार मंत्री ए. राजा को गवाह के तौर पर समिति के सामने नहीं बुलाया जाता, पार्टी रिपोर्ट का समर्थन नहीं करेगी। समिति में सपा की ओर से एक सदस्य है। दो सदस्यों वाली बसपा संप्रग के साथ जा सकती है। जेपीसी का कार्यकाल संसद के बजट सत्र के साथ समाप्त होना था। लेकिन गतिरोध के बीच कोई निष्कर्ष नहीं निकलने के चलते चाको ने मॉनसून सत्र के अंत तक कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी। (एजेंसी)