महिलाओं ने कहा-मोबाइल नहीं शौचालय चाहिए
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महिलाओं ने कहा-मोबाइल नहीं शौचालय चाहिए

मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के ग्रामीण इलाकों में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान जब अधिकारियों ने महिलाओं और स्कूली बालिकाओं से पूछा कि उनके लिये मोबाइल फोन, टेलीविजन और पक्के शौचालय में से सबसे ज्यादा जरूरी कौन.सी चीज है, तो उनका एक स्वर में जवाब था-पक्का शौचालय।

इंदौर : मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के ग्रामीण इलाकों में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान जब अधिकारियों ने महिलाओं और स्कूली बालिकाओं से पूछा कि उनके लिये मोबाइल फोन, टेलीविजन और पक्के शौचालय में से सबसे ज्यादा जरूरी कौन.सी चीज है, तो उनका एक स्वर में जवाब था-पक्का शौचालय।
इस सामूहिक जवाब से समझा जा सकता है कि पक्के शौचालयों के अभाव के चलते ग्रामीण महिलाएं और बच्चियां किस तरह शर्म और परेशानियों से हर रोज दो.चार हो रही हैं और अब इस बुरी हालत से बाहर निकलने को बेचैन हैं।
केंद्र सरकार के क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी मधुकर पवार ने सोमवार को बताया कि नजदीकी महू तहसील के ग्रामीण क्षेत्रों में चलाये गये प्रचार अभियान के दौरान महिलाओं और स्कूली बालिकाओं ने उनके सामने बयान किया कि पक्के शौचालयों के अभाव के चलते उन्हें हर रोज शर्म का अनुभव करना पड़ता है। बरसात व बीमारी की स्थिति में खुले में शौच के लिये जाते वक्त महिलाओं और बालिकाओं की परेशानियां और बढ़ जाती हैं।
पवार ने कहा, ‘ग्रामीण महिलाओं और बालिकाओं ने जोर देकर हमसे कहा कि उन्हें आत्म सम्मान और सुरक्षा के लिये अपने घर में पक्का शौचालय चाहिये।’ वरिष्ठ अधिकारी ने वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के हवाले से बताया कि देश के केवल 32.7 प्रतिशत घरों में पक्के शौचालयों की सुविधा है।
पवार ने बताया कि देश में वर्ष 2022 तक खुले में शौच की प्रवृत्ति पर पूरी तरह रोक लगाने के लिये निर्मल भारत अभियान और समग्र स्वच्छता अभियान जैसे कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इन कार्यक्रमों के तहत घरों, विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों समेत अलग.अलग स्थानों पर पक्के शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि लोग इन शौचालयों का उपयोग करें। (एजेंसी)

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