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ज़ी मीडिया ब्यूरो
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। लिहाजा रेपो रेट 7.75 फीसदी पर बरकरार रहेगा। वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 6.75 फीसदी पर ही बना रहेगा। साथ ही आरबीआई ने सीआरआर में भी कोई बदलाव नहीं किया है और ये 4 फीसदी पर स्थिर है।
आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने उच्च मुद्रास्फीतिक दबाव के बावजूद नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखकर बाजार को आज चकित किया।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज यहां जारी मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में अपने फौरी ऋण पर ब्याज दर (रेपो दर) 7.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। केंद्रीय बैंक ने आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) को भी चार प्रतिशत पर बरकरार रख कर बैंकों की नकदी पर अपने प्रत्यक्ष नियंत्रण में कोई हेर फेर नहीं की है।
मुख्य दरों को अपरिवर्तित रखने का फैसला उद्योग और खुदरा कर्जदारों के लिए बड़ी राहत है, विशेष तौर पर ऐसे समय जबकि मुद्रास्फीति के दबाव को देखते हुए बाजार रेपो में और 0.25 प्रतिशत की बढ़ातरी की अटकले लगा रहा था। रिजर्व बैंक ने कहा कि वह मुद्रास्फीतिक रझान और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की पहल के को देख कर भविष्य में नपी-तुली पहल करेगा।
सितंबर में आरबीआई गवर्नर का पद ग्रहण करने के बाद राजन दो बार में मुख्य दरों में कुल मिला कर 0.50 प्रतिशत की वृद्धि कर चुके हैं। राजन ने मुद्रास्फीति को काबू में रखने की नीति से हट कर वृद्धि को प्रोत्साहित करने की अपनी नीति अपनाते हुए कहा कि उनकी यह नीतिगत मुख्य रप से वृद्धि में नरमी से संचालित है। रिजर्व बैंक के ताजा रख का शेयर बाजार पर अच्छा असर दिखा। मौद्रिक समीक्षा की घोषणा के तुरंत बाद बंबई शेयर बाजार का 30 प्रमुख शेयरों वाला सेंसेक्स 140 अंक चढ़कर 20,852 पर पहुंच गया।
भारतीय स्टेट बैंक की अध्यक्ष अरुंधती भट्टाचार्य ने कहा कि बैंक जमा दर में कटौती पर विचार नहीं करेगा क्योंकि इससे जमाकर्ता बुरी तरह प्रभावित होते हैं और हम ऐसा नहीं करना चाहेंगे। हमारी दरें अभी भी 15 जुलाई के स्तर से अधिक हैं और मुझे तत्काल दर में कमी किए जाने की कोई संभावना नहीं दिखती।
उन्होंने कहा ‘प्रणाली में पर्याप्त तरलता के मद्देनजर हम देखेंगे कि कुछ करने की जरूरत है या नहीं - थोक जमाकर्ताओं के संबंध में हम पहल करने पर विचार करें।’ प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के अध्यक्ष सी. रंगराजन ने समीक्षा के संबंध में कहा, ‘यह संतुलन बिठाने का कठिन कार्य है। मैं निश्चित तौर पर मानता हूं कि आरबीआई की प्राथमिकता मुद्रास्फीति को स्थिर करना है इसलिए उन्हें मुद्रास्फीति पर लगातार नजर रखने की जरूरत है।’