नई दिल्ली : बाजार नियामक सेबी ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि सहारा समूह ने अपनी सपंत्ति का अधिक मूल्यांकन किया है और उसने न्यायिक निर्देशों के अनुरूप 20 हजार करोड़ रूपए की संपत्ति के मालिकाना हक से संबंधित सारे असली दस्तावेज नहीं सौंपे हैं। सेबी ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश पर सहारा समूह ने अमल नहीं किया है और जिन संपत्तियों के दस्तावेज सौंपे गये हैं उनकी कीमत 20 हजार करोड़ रूपए से काफी कम है।
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की खंडपीठ ने इस मसले पर असप्रन्नता व्यक्त की लेकिन न्यायालय में सहारा की ओर से बहस करने वाले वकील की अनुपस्थिति के कारण कोई आदेश नहीं दिया। न्यायाधीशों ने कहा, यह तो हमारे आदेश का मखौल है यदि इस तरह से इसका पालन किया है। न्यायालय ने सहारा समूह के वकील की अनुपस्थिति के आधार पर सुनवाई कल के लिये स्थगित कर दी। न्यायालय ने कहा कि कल इस मामले की सुनवाई होने पर किसी भी तरह की बहाने बाजी स्वीकार नहीं की जायेगी।
सहारा ने दो भूखंडों के दस्तावेज सेबी को सौंपे थे। इनमें से एक वर्सोवा में 106 एकड़ की भूमि है जिसके बारे में उसका कहना है कि यह करीब 19 हजार करोड़ रूपए की है और दूसरी संपत्ति वसाई में 200 एकड़ की भूमि है जिसकी कीमत करीब एक हजार करोड़ रूपए होने का अनुमान है। सेबी ने इन संपत्तियों के मूल्यांकन को चुनौती दी है। सेबी का तर्क है कि इन संपत्तियों का कुछ हिस्सा मुकदमेबाजी में फंसा हुआ है।
न्यायालय ने 28 अक्तूबर को कहा था कि सहारा समूह लुका छिपी का खेल खेल रहा है और उस पर अधिक भरोसा नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने समूह को तीन सप्ताह के भीतर 20 हजार करोड़ रूपए की संपत्ति के मालिकाना हक से संबंधित दस्तावेज सेबी को सौंपने का निर्देश दिया था और ऐसा नहीं होने पर सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय भारत से बाहर नहीं जा सकेंगे।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि सेबी के पास निवेशकों का धन जमा कराने से बचने का उसके पास कोई रास्ता नहीं है। न्यायालय ने सहारा समूह से यह भी कहा था कि इन संपत्तियों के मूल्यांकन की रिपोर्ट भी सेबी को सौंपी जाये ताकि उसकी कीमत की पुष्टि की जा सके। न्यायालय राय, सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल इस्टेट कार्प लि और सहारा इंडिया हाउसिंग इंवेस्टमेन्ट कार्प लि तथा उनके निदेशकों के खिलाफ सेबी द्वारा दायर अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
न्यायालय ने पिछीले साल 31 अगस्त को सहारा समूह को निर्देश दिया था कि नवंबर के अंत तक 24 हजार करोड़ रूपए निवेशकों को लौटायें जायें। न्यायालय ने कंपनियों को 5120 करोड़ रूपए सेबी के पास तुरंत जमा कराने और दस हजार करोड़ रूपए जनवरी के प्रथम सप्ताह तथा शेष रकम फरवरी के प्रथम सप्ताह में जमा कराने का निर्देश दिया था। सहारा समूह ने पांच दिसंबर को 5120 करोड़ रूपए का ड्राफ्ट सौंप दिया था लेकिन शेष रकम का भुगतान करने में वह विफल रहा था। (एजेंसी)
सेबी
सहारा ने न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया: SEBI
बाजार नियामक सेबी ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि सहारा समूह ने अपनी सपंत्ति का अधिक मूल्यांकन किया है और उसने न्यायिक निर्देशों के अनुरूप 20 हजार करोड़ रूपए की संपत्ति के मालिकाना हक से संबंधित सारे असली दस्तावेज नहीं सौंपे हैं।
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