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कोलकाता : सहारा इंडिया परिवार के प्रमुख सुब्रत राय ने शुक्रवार को कहा कि उनकी कंपनी बाजार नियामक सेबी को संपत्ति के नए कागजात सौंपने के संबंध में उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी।
राय ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘हम संपत्तियों के मालिकाना हक के कागजात सीधे राष्ट्रीयकृत बैंकों को सौंपना चाहते हैं न कि सेबी को, जिसके लिए कंपनी उच्चतम न्यायालय से अनुमति मांगेगी। हम इस संबंध में आदेश के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका करने जा रहे हैं ताकि हम सभी दस्तावेज बैंकों को सौंप सकें।’’
उच्चतम न्यायालय के निर्देश के मुताबिक, सहारा इंडिया को 20,000 करोड़ रुपये की मिल्कियत के कागजात बाजार नियामक को सौंपने हैं। इससे पहले, सहारा इंडिया ने इतनी ही राशि की मिल्कियत के कागजात सेबी को सौंपे थे, लेकिन सेबी ने इस आधार पर उन्हें खारिज कर दिया कि मूल्य बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है।
राय ने कहा, ‘‘बाजार नियामक हमारे प्रति निष्पक्ष नहीं है। हम यह इसलिए करना चाहते हैं क्योंकि हम समय बचाना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि कंपनी को जमाकर्ताओं को 24,000 करोड़ रुपये लौटाने को कहा गया था जिसमें से अब केवल 2,500 करोड़ रुपये का भुगतान करने से बचा है।
राय ने कहा, ‘‘हमारे पास सभी कागजात तैयार हैं। हम 11 दिसंबर से पहले उच्चतम न्यायालय जाएंगे।’’ सहारा प्रमुख ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंक न्यासी प्रतिभूतियां जारी करेंगे जिनमें से कुछ बैंक पहले ही इस पर सहमति जता चुके हैं।
नियामक द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘इसके राजनीतिक कारण हैं।’’ राय ने कहा, ‘‘मैं बहुत भावुक व्यक्ति हूं। किसी समय मैंने कहा था कि भारत का प्रधानमंत्री एक भारतीय होना चाहिए।’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सहारा की संपत्तियां (चल व अचल) कुल 1.20 लाख करोड़ रुपये की हैं जो आरामदायक वित्तीय स्थिति में हैं।
सहारा की सार्वजनिक जमा फिलहाल 35,000 करोड़ रुपये है और सहकारी व्यवसाय के तौर पर वाषिर्क संग्रह करीब 12,000 करोड़ रुपये है। राय ने कहा कि कंपनी जल्द ही 48,000 कार्यकारियों की नियुक्ति करेगी व अगले ढाई साल में ढाई लाख वेतनभोगी कर्मचारियों की नियुक्ति करेगी।
कंपनी के कर्मचारियों की मौजूदा संख्या 11 लाख है। उत्तराधिकारी के मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब मंल उन्होंने कहा कि भविष्य में कंपनी का संचालन एक न्यास द्वारा किया जाएगा। कंपनी ने शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी उतरने की योजना बनाई है।
उन्होंने कहा कि अगले 8-10 साल में सहारा की अनुमानित आय करीब 18 लाख करोड़ रुपये की होगी।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने 2008 में सहारा पर एक आरएनबीसी के तौर पर काम करने एवं जमा स्वीकारने पर पाबंदी लगा दी थी। लेकिन, कंपनी ने अपनी दो कंपनियों. सहारा हाउसिंग व सहारा इंडिया रीयल एस्टेट के माध्यम से ओएफसीडी (वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय ऋणपत जारी कर 24,000 करोड़ रुपये जुटाए। (एजेंसी)