एक चौंकाने वाले अध्ययन में 20 वर्ष से लेकर रजोनिवृत्त हो चुकी महिलाओं की बढ़ती कमर और स्तन कैंसर के खतरे के बीच संबंधों का पता चला है। ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में भारतीय मूल की शोधकर्ता उषा मेनन ने कहा, ‘इस संबंध को अभी और गहराई से समझने की जरूरत है। शरीर के किसी भी अंग में जमा वसा उत्तकों (एडिपोज टिश्यू) की अपेक्षा कमर के आसपास जमा वसा मेटाबॉलिकली ज्यादा सक्रिय होता है।’
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लंदन: एक चौंकाने वाले अध्ययन में 20 वर्ष से लेकर रजोनिवृत्त हो चुकी महिलाओं की बढ़ती कमर और स्तन कैंसर के खतरे के बीच संबंधों का पता चला है। ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में भारतीय मूल की शोधकर्ता उषा मेनन ने कहा, ‘इस संबंध को अभी और गहराई से समझने की जरूरत है। शरीर के किसी भी अंग में जमा वसा उत्तकों (एडिपोज टिश्यू) की अपेक्षा कमर के आसपास जमा वसा मेटाबॉलिकली ज्यादा सक्रिय होता है।’
उन्होंने कहा, ‘अतिरिक्त वसा इस्ट्रोजन हॉर्मोन के स्तर को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है, जिससे स्तन कैंसर की कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है।’ ब्रिटेन में यूके कॉलेबोरेटिव ट्रायल ऑफ ओवेरियन कैंसर स्क्रीनिंग (यूकेसीटीओसीएस) में भाग लेने वाली लगभग 93 हजार महिलाओं पर अध्ययन के बाद निष्कर्ष सामने आया है।
अध्ययन में रजोनिवृत्त हो चुकी 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं ने भाग लिया। 2005-10 के दौरान हुए इस अध्ययन में भाग लेते समय कोई भी महिला स्तन कैंसर से पीड़ित नहीं थी। इस दौरान 1090 महिलाओं में आगे चलकर स्तन कैंसर का विकास हुआ यह अध्ययन पत्रिका ‘बीएमजे ओपन’ में प्रकाशित हुआ है।