हिंदी विरोधी आंदोलन से जुड़े कार्टून को हटाया जाए: करुणानिधि
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हिंदी विरोधी आंदोलन से जुड़े कार्टून को हटाया जाए: करुणानिधि

डॉक्टर भीम राव अंबेडकर के कार्टून के विवाद के बाद तमिलनाडु में 1960 के दशक में हिंदी विरोधी आंदोलन को लेकर एनसीईआरटी की बारहवीं कक्षा की एक पुस्तक में छपे कार्टून को लेकर विवाद पैदा हो गया है।

चेन्नई : डॉक्टर भीम राव अंबेडकर के कार्टून के विवाद के बाद तमिलनाडु में 1960 के दशक में हिंदी विरोधी आंदोलन को लेकर एनसीईआरटी की बारहवीं कक्षा की एक पुस्तक में छपे कार्टून को लेकर विवाद पैदा हो गया है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के प्रमुख सहयोगी दल द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) ने इसे हटाने की मांग की है।
प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर.के. लक्ष्मण के कार्टून को एनसीआईआरटी की राजनीति विज्ञान की 12 वीं कक्षा की पुस्तक में प्रकाशित किया गया है जिसके बारे में द्रविड़ पार्टियां का मानना है कि यह हिंदी के खिलाफ छात्र आंदोलनकारियों को गलत रूप में पेश कर रहा है।
द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने कहा, 1938 एवं 1965 के बीच का हिंदी विरोधी आंदोलन द्रमुक के लिए गर्व का क्षण है। इस तरह के आंदोलन का उपहास उड़ाने वाला कार्टून तमिलों को नाराज करेगा। इसलिए, केंद्र को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए और तमिलों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसे पाठ्य पुस्तक से हटाया जाना सुनिश्चित करना चाहिए।
हिंदी विरोधी आंदोलन तमिलनाडु की राजनीति में ऐतिहासिक घटना है। द्रमुक ने इसे अपने आंदोलन का महत्वपूर्ण मुद्दा बनाया। इसके अतिरिक्त अन्य कारकों की वजह से अंतत: द्रविड़ पार्टी 1967 में कांग्रेस को बेदखल कर सत्ता में आई।
गैरहिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी को थोपे जाने के विरोध समेत द्रमुक के महत्वपूर्ण मुद्दों को याद करते हुए करुणानिधि ने कहा कि उन्होंने खुद इस मुद्दे पर 1938 में एक छात्र के तौर पर प्रदर्शन का नेतृत्व किया था।
कार्टून को लेकर विरोध उस समय बढ़ गया जब एमडीएमके नेता वायको और द्रविड कड़गम के नेता के. वीरामणि समेत कई नेताओं ने इसकी निंदा की और इसे हटाने की मांग की।
इस मुद्दे को सबसे पहले उठाते हुए वाइको ने कल मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को पत्र लिखा और इस विवादास्पद कार्टून को हटाने की मांग की। उन्होंने घोषणा की कि वह इसके खिलाफ 11 जून को यहां एक प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगे। (एजेंसी)

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