Trending Photos
ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली: कई अहम मुद्दों को लेकर देश का सियासी माहौल पूरी तरह गर्म है। ऐसे में गुरुवार यानी 5 दिसंबर से शुरू होने जा रहा संसद का शीतकालीन सत्र हंगामेदार होने की संभावना है। सियासी पार्टियों ने बयानों के जरिए अभी से ही सत्र के घमासान के संकेत दे दिए हैं।
लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने संसद के शीतकालीन सत्र को बिना किसी गतिरोध के चलाने के लिए मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। कल संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने बुलाई थी बैठक। शीतकालीन सत्र 5 दिसंबर से 20 दिसंबर तक चलेगा।
इस सत्र में बहुचर्चित महिला आरक्षण विधेयक और लोकपाल विधेयक पारित कराना सरकार की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर है। तेलंगाना की स्थापना के लिए विधेयक एजेंडा में सूचीबद्ध नहीं है लेकिन सरकार का कहना है कि वह इसे सत्र के दौरान पेश करने का प्रयास करेगी।
संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में समाजवादी पार्टी ने महिला आरक्षण विधेयक और प्रोन्नति में अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों को आरक्षण संबंधी विधेयक लाए जाने पर कार्यवाही बाधित करने की धमकी दी। भाजपा और अगप ने भारत बांग्लादेश भूमि सीमा समक्षौते पर संविधान संशोधन विधेयक लाए जाने की किसी योजना का भारी विरोध किया।
कमलनाथ ने स्वीकार किया कि संप्रग को बाहर से समर्थन दे रही सपा को महिला आरक्षण विधेयक पर खासी आपत्ति है लेकिन सरकार उसके साथ बातचीत करने का प्रयास करेगी। सांप्रदायिक हिंसा विधेयक के इस संक्षिप्त सत्र में लाए जाने की संभावना नहीं है क्योंकि यह अभी गृह मंत्रालय की स्थायी समिति में ही है।
महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित हो चुका है और लोकसभा से मंजूरी की प्रतीक्षा है वहीं लोकपाल विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है तथा यह उपरी सदन में लंबित है। गृह मंत्री और लोकसभा में सदन के नेता सुशील कुमार शिंदे ने बैठक में कहा कि कैबिनेट से इसे जल्दी ही मंजूरी मिल जाएगी और इसे सदन में पेश करने के पहले राष्ट्रपति के पास उनकी सहमति के लिए भेजा जाएगा।
मुख्य विपक्षी पार्टी ने पटना में पार्टी की रैली में विस्फोटों के मद्देनजर आंतरिक सुरक्षा पर चर्चा कराए जाने की मांग की है। पार्टी महिलाओं के उत्पीड़न, 2जी घोटाला संबंधी जेपीसी जैसे संवैधानिक निकायों में गिरावट पर भी चर्चा कराए जाने के पक्ष में है।
वामपंथी पार्टियां मुजफ्फरनगर दंगों के आलोक में बिगड़ती सांप्रदायिक स्थिति, आर्थिक संकट, महंगाई और देश में बेरोजगारी पर चर्चा चाहती है। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि अगप ने भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौता से संबंधित विधेयक पेश किए जाने का भी विरोध करने की धमकी दी है।
कमलनाथ ने कहा कि यह छोटा सत्र है और सरकार महत्वपूर्ण लंबित विधेयकों को पारित कराने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता उन विधेयकों को पारित कराने की है जो एक सदन में पारित हो गए हैं लेकिन दूसरे सदन में लंबित हैं। इस सत्र में सिर्फ 12 बैठकें होगी जिनमें से तीन दिन गैर-सरकारी कामकाज के लिए होंगे।
कमलनाथ ने कहा कि अगर समय उपलब्ध रहा तो दूसरे दलों की मांगों पर अन्य मुद्दों पर भी चर्चा कराने का हमारा प्रयास होगा। उन्होंने दावा किया कि सभी दलों ने कहा है कि वे चाहते हैं कि सदन सुचारू रूप से चले। उन्होंने कहा कि विधेयकों को पारित कराने के लिए जरूरत हुई तो हम देर तक बैठेंगे।
स्वराज ने कहा कि वह यह देखकर चकित थीं कि तेलंगाना विधेयक सत्र के लिए सरकार की सूची में शामिल नहीं है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि सरकार इस सत्र में पारित कराने के लिए बेहतर और मजबूत लोकपाल विधेयक लाएगी। माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि यह लोकसभा चुनावों के पहले प्रभावी रूप से आखिरी सत्र होगा क्योंकि अगला सत्र सिर्फ लेखानुदान पारित कराने के लिए होगा। अनुदान की पूरक मांगों पर दो दिन चर्चा होने की संभावना है। येचुरी ने कहा कि सरकार के रवैए के कारण सदन की कार्यवाही बाधित होती है।