डौंडियाखेड़ा में नहीं मिला 1000 टन सोने का खजाना, ASI ने रोकी खुदाई
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डौंडियाखेड़ा में नहीं मिला 1000 टन सोने का खजाना, ASI ने रोकी खुदाई

संत शोभन सरकार के सपने के आधार पर 1000 टन सोना ढूंढने के लिए उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के डौडियाखेड़ा गांव में भारतीय पुरात्तव विभाग (एएसआई) की ओर से शुरू की गई खुदाई को अब बंद कर दी गई है। खबर है कि संत का सपना झूठ साबित हुआ और वहां खुदाई में सोने का खजाना नहीं मिला।

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ज़ी मीडिया ब्यूरो
उन्नाव/नई दिल्ली : संत शोभन सरकार के सपने के आधार पर 1000 टन सोना ढूंढने के लिए उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के डौडियाखेड़ा गांव में भारतीय पुरात्तव विभाग (एएसआई) की ओर से शुरू की गई खुदाई को अब बंद कर दी गई है। खबर है कि संत का सपना झूठ साबित हुआ और वहां खुदाई में सोने का खजाना नहीं मिला। एएसआई के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि खुदाई में राजा राव रामबक्श सिंह के किले में खजाने होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं। हालांकि, खुदाई में बौद्ध काल के समय के कुछ बर्तन मिले हैं। गौरतलब है कि साधु शोभन सरकार ने सपने में देखा था कि किले में 1000 टन सोना दबा पड़ा है। इसके बाद सरकार ने 18 अक्टूबर को 19वीं सदी के इस किले में खुदाई शुरू कर दी थी।
बुद्धजीवी वर्ग सपने को अंधविश्वास मानकर भले ही नकार रहा हो लेकिन बुंदेलखंड के बुजुर्ग इससे इत्तेफाक नहीं रखते। वह उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा किले में सोने के खजाने का सपना सच मान रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि बांदा जिले के गौर-शिवपुर गांव में एक मुस्लिम परिवार को जमीन में खजाना होने का सपना "जिन्नात" ने दिया था और वह मिला भी, लेकिन उस खजाने की रखवाली जिन्नात सांप बनकर अब भी कर रहा है।
उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा किले में सपने को सच मानकर कथित सोने के खजाने की खोज के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) पिछले 18 अक्टूबर से खुदाई करवा रहा है। बुद्धजीवी वर्ग सपने को सिर्फ सपना मानता है, लेकिन बुंदेलखंड के बुजुर्ग इन सपनों को सच मानते हैं। जब संवाददाता ने बुजुर्गों से इस बारे में जानना चाहा तो बड़े रोचक तथ्य उभर कर सामने आए। इस संवाददाता ने बांदा जिले के गौर-शिवपुरा गांव का दौरा किया, जहां जिन्नात द्वारा करीब 35 साल पहले एक मुस्लिम परिवार को सोने के खजाने की बात सपने में बताई थी।
यहां चुपचाप खुदाई हुई और सोने-चांदी के ढेर सारे सिक्के मिले हैं। परन्तु अब तक यह कुनबा एक भी सिक्का खर्च नहीं कर सका है। बताया जा रहा है कि जब भी इस्तेमाल करने की सोची तो काला नाग बनकर हिफाजत करने वाला जिन्नात गृहस्वामी को डस लेता है, अब तक वह उसे 48 बार डस चुका है। इस परिवार के मुखिया ने नाम का खुलासा न करने की शर्त बताया कि करीब 35 साल पहले उसकी दादी को एक जिन्नात ने सपने में बताया कि केन नदी के किनारे खंडहरनुमा जानवर बाड़े में खजाना गड़ा है। खुदाई की गई तो वहां करीब दो किलोग्राम सोने और 20 किलोग्राम चांदी के सिक्के मिले थे, जो अब भी उनके पास मौजूद हैं।
इस व्यक्ति ने बताया कि इस धन की हर साल पूजा-अर्चना तो कर रहे हैं, लेकिन जब भी उसे खर्च करने के बारे में सोचा जाता है, काला नाग डस लेता है। उसने बताया कि अब तक यह काला नाग उसे 48 बार डस चुका है। इसी गांव के साकिर ने बताया कि जमीन में गड़े धन की जानकारी यहां हर किसी को है, लेकिन जब खर्च नहीं कर सकते तो वह मिट्टी के बराबर है। उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा किले में सोने के खजाने से संबंधित सपने को भी यहां के बुजुर्ग सच मान रहे हैं। बुजुर्गों को उम्मीद है कि संत शोभन सरकार का सपना सच होगा और वहां सोने का खजाना जरूर मिलेगा।
इतिहास में यहां का खजाना अंग्रेजों से बचाने के लिए छिपाने के तथ्य हैं। राजा के अभियोग से संबंधी पत्रावली में उनके घर के नक्शे में नारंगी के वृक्ष के नीचे कोष होने की बात दर्शायी गई है। पत्रावली के अनुसार राजा साहब के पूर्वज बसंत सिंह की यह बारादरी थी। अंग्रेजी जनरल होम ग्रांट द्वारा 10 मई,1857 को डौडिया खेड़ा दुर्ग ध्वस्त करने के बाद रामबक्स सिंह इसी घर में रहते थे। इसके बाद राजा साहब अपनी ससुराल काला काकड़, फिर बनारस चले गए। यहां के नगवा ग्राम में किराए पर रह रहे राजा को जब गिरफ्तार किया गया तो उनके पास बनारस के कोषागार के अभिलेखों के अनुसार चार हजार स्वर्ण मुद्राएं थीं।

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