घोटालों में शामिल लोगों से बाहर नहीं पीएम: आडवाणी
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घोटालों में शामिल लोगों से बाहर नहीं पीएम: आडवाणी

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए भाजपा ने रविवार को आरोप लगाया कि उन्हें संप्रग सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रमंडल खेल घोटाले से लेकर कोलगेट तक सभी घोटालों के लिए जिम्मेदार लोगों से बाहर नहीं रखा जा सकता।

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए भाजपा ने रविवार को आरोप लगाया कि उन्हें संप्रग सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रमंडल खेल घोटाले से लेकर कोलगेट तक सभी घोटालों के लिए जिम्मेदार लोगों से बाहर नहीं रखा जा सकता।
वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आरोप लगाया कि आजादी के बाद के देश के इतिहास में पिछले दस साल के संप्रग शासन से बदतर समय नहीं रहा।
उन्होंने कहा,‘‘राष्ट्रमंडल खेल घोटालों से शुरू होकर एक के बाद एक घोटाले हुए। शुरुआत में उन्होंने कहा कि हमारे सहयोगी शामिल हैं, हम नहीं। अब तो प्रधानमंत्री को भी इससे बाहर नहीं रखा जा सकता।’’
आडवाणी ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री उनकी मंजूरी और अनुमति के बिना कुछ नहीं करते और इसलिए सोनिया भी घोटालों में बराबर की जिम्मेदार हैं।
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘सरकार एक आदमी से नहीं बनती बल्कि कई लोग मिलकर बनाते हैं।’’ जब आडवाणी से पूछा गया कि क्या वह कोलगेट के लिए प्रधानमंत्री को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसके लिए इस सरकार को जिम्मेदार ठहराता हूं।’’ उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सरकार घोटालों की सारी जिम्मेदारी अपने सहयोगियों पर नहीं डाल सकती।
आडवाणी ने कहा, ‘‘वाजपेयी सरकार के दौरान भी सहयोगी दल थे। लेकिन किसी भी नेता के खिलाफ, यहां तक कि सहयोगी दल के भी किसी नेता के खिलाफ कोई आरोप नहीं था। अटल बिहारी वाजपेयी या अन्य किसी भाजपाई मंत्री के खिलाफ किसी आरोप का कोई सवाल नहीं था।’’
आडवाणी ने कहा कि देश में अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री हैं लेकिन अर्थव्यवस्था जिस हद तक बिगड़ गयी, ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया था। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार में नीति को लेकर संकट है। विदेशों में जमा काले धन का विषय उठाते हुए भाजपा नेता ने कहा कि संप्रग सरकार ने विपक्ष के दबाव में इस विषय पर श्वेतपत्र तो प्रस्तुत किया लेकिन विदेशों में गैरकानूनी तरीके से जमा किये गये काले धन को वापस लाने में वह नाकाम रही।
आडवाणी ने 22 जुलाई, 2008 को संसद में विश्वास मत के दौरान कथित तौर पर रिश्वत दिये जाने के प्रयासों का खुलासा करने वाले भाजपा के सांसदों की गिरफ्तारी पर भी नाखुशी जताई। इन तीनों को हाल ही में बरी कर दिया गया है। (एजेंसी)

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