5 फरवरी 2014 से पंद्रहवीं लोकसभा का अंतिम सत्र
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5 फरवरी 2014 से पंद्रहवीं लोकसभा का अंतिम सत्र

इस महीने की 5 तारीख से संसद के शीतकालीन सत्र की विस्तारित बैठक शुरू हो रही है। यह पंद्रहवी लोकसभा का अंतिम संसद सत्र होगा और कुछ माह बाद देश 16वीं लोकसभा गठित करने के लिए चुनाव का सामना करेगा।

नई दिल्ली : इस महीने की 5 तारीख से संसद के शीतकालीन सत्र की विस्तारित बैठक शुरू हो रही है। यह पंद्रहवी लोकसभा का अंतिम संसद सत्र होगा और कुछ माह बाद देश 16वीं लोकसभा गठित करने के लिए चुनाव का सामना करेगा। कांग्रेस के उपाध्यक्ष और पार्टी की ओर से आगामी आम चुनाव की कमान संभाल रहे राहुल गांधी की इच्छा है 21 फरवरी तक चलने वाले इस विस्तारित सत्र के दौरान भ्रष्टाचार निरोधी कुछ अन्य विधेयकों को पारित करा लिया जाए जिससे पार्टी की साख को कुछ बेहतर किया जा सके। लेकिन चुनाव की इस बेला में विपक्ष से सरकार को इसमें सहयोग मिलने की संभावना कम ही है।
भारत की संसदीय परंपरा के अनुसार अगली लोकसभा का चुनाव करीब होने की स्थिति में पूर्ण बजट पारित नहीं कराके लेखानुदान मांगे पारित करा लिया जाता हैं और पूर्ण बजट पारित करने का काम आने वाली नयी सरकार पर छोड़ दिया जाता है। इसीके चलते सरकार ने शीतकालीन सत्र का सत्रावसान नहीं किया ताकि लेखानुदान पारित कराने सहित कुछ अन्य आवश्यक विधेयक पारित कराने के लिए इसी सत्र का विस्तारित सत्र बुलाया जा सके। लेखानुदान मांगों को संभवत: 17 फरवरी को पारित कराया जाएगा।
चुनाव आयोग द्वारा आम चुनाव की घोषणा कर देने के बाद संसद सत्र नहीं बुलाने की स्थिति और मार्च अप्रैल में चुनाव को देखते हुए वर्तमान 15वीं लोकसभा का यह अंतिम सत्र होना तय है। इस बीच सरकार भ्रष्टाचार निरोधी कुछ अन्य विधयेक पारित कराने का प्रयास करेगी जिनमें विसलब्लोअर संरक्षण विधेयक, न्यायिक मानक और जवाबदेही विधेयक, नागरिक चार्टर, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम संशोधन विधेयक, इलेक्ट्रानिक जरिए से सेवाओं की आपूर्ति विधेयक, विदेशी सरकारी अधिकारी रिश्वतखोरी निवारण विधेयक और सार्वजनिक खरीद विधेयक शामिल हैं।
भाजपा के प्रवक्ता प्रकाश जावेडकर ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा, इतने कम समय में सरकार इतने सारे और इतने महत्वपूर्ण बिल पारित कराना चाहती है। पिछले 9 साल से वह क्यों सो रही थी। अब चुनाव सिर पर आने पर उसे सुध क्यों आई? जावेडकर ने कहा कि विधेयकों को पारित नहीं करा पाने के लिए सरकार विपक्ष पर तोहमत नहीं लगा सकती है, क्योंकि पिछले कई सत्र से सत्तारूढ़ कांग्रेस के सदस्य ही संसद नहीं चलने दे रहे हैं। कांग्रेस के सदस्य अपनी ही सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा और बसपा जैसे दल भी संसद की कार्यवाही में बाधा डाल रहे हैं। पंद्रहवीं लोकसभा में उक्त विधयेकों सहित 62 विधेयक लंबित पड़े हैं। राज्यसभा में ऐसे विधेयकों की संख्या 64 है।
इस विस्तारित सत्र में सरकार तेलंगाना विधेयक को भी पारित कराने का प्रयास करेगी और उसे उम्मीद है कि मुख्य विपक्षी दल इस विषय पर अपनी कुछ मांगे मान लिए जाने के बाद इसे समर्थन दे देगा। वैसे सीमांध्र क्षेत्र के सांसदों द्वारा इसका कड़ा विरोध जारी रहेगा।
सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद ने नए सत्र की बजाय विस्तारित सत्र बुलाने को असंवैधानिक कहा। संविधान के अनुच्छेद 87 (1) का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि किसी लोकसभा का पहला सत्र चुनाव के परिणाम के बाद राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू होता है और उसके पश्चात हर नए साल का पहला सत्र भी राष्ट्रपति के अभिभाषण से आरंभ होता है। प्रसाद ने कहा कि सरकार को नए साल में नया सत्र बुलाना चाहिए था ना कि पिछले सत्र का विस्तारित सत्र।संसद के शीतकालीन सत्र को निर्धारित समय से दो दिन पहले 18 दिसंबर को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। (एजेंसी)

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