हम कैसे पहचान लेते हैं जानी-पहचानी आवाज?
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हम कैसे पहचान लेते हैं जानी-पहचानी आवाज?

आपने कभी सोचा है कि दो अलग गीत स्वीडिश पॉप समूह एबीबीए के `मामा मियां`और फिल्म `हम किसी से कम नहीं` के `मिल गया हमको साथी` आपको एक जैसे क्यों लगते हैं? इसका राज आपके दिमाग के मोटर नेटवर्क में छुपा हुआ है।

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टोरंटो: आपने कभी सोचा है कि दो अलग गीत स्वीडिश पॉप समूह एबीबीए के `मामा मियां`और फिल्म `हम किसी से कम नहीं` के `मिल गया हमको साथी` आपको एक जैसे क्यों लगते हैं? इसका राज आपके दिमाग के मोटर नेटवर्क में छुपा हुआ है।
एक अध्ययन के मुताबिक आपका दिमाग कान द्वारा सुने गए किसी भी ध्वनि-संयोजन की तुलना तुरंत मोटर सूचना संग्रह में सुरक्षित यादों से करता है और उसके बाद हम जान लेते हैं कि इससे मिलता जुलता ध्वनि संयोजन हमने पहले भी सुन रखा है या नहीं। यदि आप संगीत खुद से बनाते और बजाते हैं तो दिमाग द्वारा उसको पहचानने की क्षमता भी अपेक्षाकृत बढ़ जाती है।
कनाडा के मैकगिल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कैरोलीन पाल्मर ने कहा कि यदि हम किसी गीत या बोल या शब्द को सुनते या पढ़ते हैं तो यह मेमोरी का प्रोडक्शन इफेक्ट होता है, और यदि हम खुद गाते हैं या कोई शब्द जोर से उच्चारित करते हैं, तो हमारा दिमाग पिछली याद से इसकी तुलना करने में अधिक सक्षम होता है। आवाज की पहचान से संबंधित यह अध्ययन पत्रिका `सेरेब्रल कॉरटेक्स` में प्रकाशित हुआ है। (एजेंसी)

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