यूपी में काबीना मंत्री की कारस्तानी से महिला परेशान
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यूपी में काबीना मंत्री की कारस्तानी से महिला परेशान

उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार जहां एक तरफ उत्पीड़न के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कहती रहती है, वहीं दूसरी तरफ इसी सरकार के एक काबीना मंत्री एवं आए दिन में सुर्खियों में रहने वाले उनके पुत्र ने एक महिला के करोड़ों की सम्पत्ति को फर्जी खतौनी के आधार पर अपने ही एक नौकर के नाम बैनामा करा लिया।

जौनपुर : उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार जहां एक तरफ उत्पीड़न के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कहती रहती है, वहीं दूसरी तरफ इसी सरकार के एक काबीना मंत्री एवं आए दिन में सुर्खियों में रहने वाले उनके पुत्र ने एक महिला के करोड़ों की सम्पत्ति को फर्जी खतौनी के आधार पर अपने ही एक नौकर के नाम बैनामा करा लिया।
सूत्रों के मुताबिक, उस जमीन पर पारित आदेश एवं मालिकाना हक पीड़िता के नाम है, मगर काबीना मंत्री एवं उनके मनबढ़ पुत्र ने बीते 22 जून को अपने पद एवं ऊंची पहुंच का दुरुपयोग करते हुए उस जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया।
यह मामला शहर कोतवाली थाना क्षेत्र के मरदानपुर मोहल्ले की है जहां की निवासी उषा देवी पत्नी राज बहादुर के अनुसार, वह जमीन धारा 145/146 के अंतर्गत कुर्क है। इसकी शिकायत प्रदेश के महिला आयोग, लोकायुक्त, मुख्यमंत्री सहित सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लिखित रूप से किया गया, परंतु आज तक मंत्री एवं उनके पुत्र के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही उनका कब्जा उक्त जमीन से हटवाया गया।
पीड़िता की मानें तो मंत्री एवं उनके पुत्र ने संबंधित अधिकारी के ऊपर दबाव बनाकर अपने पक्ष में आदेश कराने के अलावा पीड़िता व उसके परिवार को जान से मारने व फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी लगातार दी जा रही है। पीड़िता ने कहा कि यदि उपरोक्त मामले में अतिशीघ्र न्याय नहीं मिला तो वह सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकारी आवास पर आत्मदाह करेगी।
पीड़िता का कहना है कि लोकायुक्त एवं मुख्यमंत्री इस बात की जांच करायें कि मंत्री के नौकर को करोड़ों की सम्पत्ति खरीदने की हैसियत है कि नहीं। पीड़िता के अनुसार सभी कागजात उसके पक्ष में होते हुये भी मंत्री जी उक्त जमीन पर जबर्दस्ती कब्जा किये हैं जिसमें जिला प्रशासन भी बखूबी साथ निभा रहा है।
बकौल उषा देवी उसके पिता खदेरन निवासी पचहटियां थाना लाइन बाजार की हत्या में हो गई थी जिसमें 4 सितंबर 2002 को हत्यारोपी को आजीवन कारावास हुई। 20 सितंबर 2007 को सिविल जज जूडी चतुर्थ ने हत्यारोपी को उत्तराधिकार से वंचित करते हुए मृतक की पुत्रियां उषा देवी एवं निर्मला देवी के पक्ष में निर्णय दिया जिसे उच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा। 4 दिसंबर 2002 को उपजिलाधिकारी सदर न्यायालय से उक्त जमीन सुरक्षित रखने के लिए कुर्क कर दी गइ। बावजूद इसके मंत्री एवं उनके पुत्र ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुये फर्जी खतौनी के आधारपर 11 फरवरी 2013 को अपने नौकर के नाम उक्त जमीन की रजिस्ट्री करा ली। इतना ही नहीं, 22 जून से जमीन पर अवैध कब्जा भी कर रखा गया है। (एजेंसी)

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