कोलोन कैंसर की दवा तैयार करने का दावा
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कोलोन कैंसर की दवा तैयार करने का दावा

नुसंधानकर्ताओं ने मलाशय के कैंसर की दवा तैयार करने का दावा किया है और उनका कहना है कि इसके सेवन से मरीज कीमोथेरेपी के प्रतिकूल प्रभावों से बच सकता है क्योंकि इलाज के दौरान यह दवा उसी भाग में पहुंचेगी जहां कैंसर है।

जालंधर : अनुसंधानकर्ताओं ने मलाशय के कैंसर की दवा तैयार करने का दावा किया है और उनका कहना है कि इसके सेवन से मरीज कीमोथेरेपी के प्रतिकूल प्रभावों से बच सकता है क्योंकि इलाज के दौरान यह दवा उसी भाग में पहुंचेगी जहां कैंसर है। इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होगा । इस दवा का क्लीनिकल परीक्षण जल्दी ही किया जाएगा ।
लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के अप्लाइड मेडिकल साइंस विभाग की कुलसचिव डा मोनिका गुलाटी ने बताया, ‘हमारी टीम ने मलाशय के कैंसर के इलाज के लिए एक ऐसी दवा इजाद की है जिससे कीमोथेरेपी से इलाज के दौरान होने वाले दुष्प्रभाव जैसे दर्द होना और बाल झड़ने जैसी समस्या जल्दी ही बीते दिनों की बात हो जायेगी ।’
उन्होंने कहा, ‘हमने दवा एंटी कैंसर माइक्रोस्फेयर का एक नया डोजेज फॉर्म विकसित किया है जो मलाशय के कैंसर के इलाज से होने वाले दुष्प्रभाव को नियंत्रित करने में सक्षम होगा ।’
मोनिका ने बताया, ‘दवा में प्री बायोटिक्स की कोटिंग की गई है। दवा सेवन के बाद जब कैंसर वाले भाग तक पहुंचती है तब तक बैक्टीरिया उस कोटिंग को खाता है और मलाशय में पहुंचने के बाद वह दवा खुल जाती है । इस प्रकार दवा का असर केवल मलाशय पर होता है, शरीर के अन्य भागों पर नहीं । कीमोथेरेपी के दौरान अभी पूरे शरीर में दवा दी जाती है जिससे मरीज को तेज दर्द होता है ।’
यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति अशोक मित्तल ने बताया कि इस दवा का पेटेंट 140 देशों में प्रकाशित करवाया गया है और देहरादून की एक दवा निर्माता कंपनी रिहडबर्ग के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी किये गये हैं ।
इस बीच नयी दिल्ली स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल में यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ राजीव सूद ने कहा ‘नैनो टेक्नोलॉजी और कई तकनीक ऐसी हैं जिनमें दवा पर कोटिंग कर उस स्थान पर भेजा जाता है जहां समस्या है।’
उन्होंने कहा, ‘कैंसर या अन्य बीमारियों के इलाज के लिए कोटिंग वाली दवाओं का उपयोग नया नहीं है। लेकिन इसके लिए यह देखना पड़ता है कि कैंसर किस अवस्था में है और क्या वह ऐसी दवा से ठीक हो सकता है या कीमोथेरेपी जरूरी है ?’
उन्होंने कहा ‘इसके अलावा, क्लीनिकल परीक्षण में सकारात्मक नतीजे मिलने पर ही किसी दवा की सफलता सुनिश्चित होती है। भारत में ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया और ‘भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद’’ ऐसे क्लीनिकल परीक्षण करते हैं। नयी दवा की सफलता भी इन परीक्षणों पर निर्भर करेगी।’ (एजेंसी)

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