सियासत में वंशवाद
Advertisement
trendingNow177330

सियासत में वंशवाद

अपने देश में सियासत में परिवारवाद कोई नई बात नहीं है। कई ऐसे परिवार हैं जिनकी पीढ़ी दर पीढ़ी सियासत से जुड़ती आ रही है ।

fallback

वासिंद्र मिश्र
संपादक, ज़ी रीजनल चैनल्स
अपने देश में सियासत में परिवारवाद कोई नई बात नहीं है। कई ऐसे परिवार हैं जिनकी पीढ़ी दर पीढ़ी सियासत से जुड़ती आ रही है । गांधी नेहरु परिवार है जो देश के आज़ाद होने से लेकर आज तक देश की सबसे बड़ी पार्टी की कमान संभाले हुए है।कई क्षेत्रीय पार्टियां भी इसकी मिसाल हैं लेकिन क्या हर पार्टी में आने वाली नई पीढ़ी को जनता ने उनता ही प्यार दिया है जितना पहली पीढ़ी को दिया था। क्या जनता सियासत में परिवार पर भरोसा जता पाती है। एक बार फिर सियासत में नई और युवा पीढ़ी का दखल बढ़ा है। क्या उन्हें उनका सियासी इतिहास आगे बढ़ने में मदद कर पाएगा।

मिशन 2014 सामने है। सियासी दलों ने इस मिशन में कामयाबी पाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। 2014 के लोकसभा चुनाव को देश की सियासत के भविष्य की राह तय करने के रुप में देखा जा रहा है और इसलिए इस चुनाव में राजनीति का भविष्य माने जाने वाले कई चेहरे दिखाई दे रहे हैं। वो चेहरे जिन्हें देश की राजनीति के भविष्य के रूप में देखा जा रहा है। ये राजनीति में नई ऊर्जा और नई सोच के कर्णधार हैं और इनसे उम्मीदें भी बहुत हैं। क्योंकि ये सब उन परिवारों से आते हैं जिनका देश की सियासत से गहरा नाता रहा है।
ऐसा ही एक और चेहरा अब राजनीति में भाग्य आजमाने को तैयार है। ये चेहरा है चिराग पासवान का । एलजेपी सुप्रीमो रामविलास पासवान अपने बेटे चिराग पासवान को सियासत में उतारने की तैयारी कर रहे हैं । इसी सिलसिले में रामविलास पासवान ने अपने बेटे को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलवाया है। पासवान और गांधी के बीच ये मुलाकात आने वाले लोकसभा चुनाव के पहले बिहार में लोकजनशक्ति पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को अंतिम रूप देने की कवायद भी है लेकिन चिराग पासवान की सक्रियता दिखा रही है कि वो अब अपने पिता की सियासी विरासत को आगे ले जाने के लिए कमर कस चुके हैं । चिराग पासवान को पार्टी पहले ही संसदीय बोर्ड का चेयरमैन बना चुकी है। लेकिन चिराग पासवान की ये सक्रियता लोकजनशक्ति पार्टी को खोया जनाधार दिलाने में कितना कामयाब रहती है ये देखने वाली बात होगी ।

fallback

हालांकि इससे पहले देश भर में कई ऐसे सियासी परिवार हैं जिनकी विरासत को उऩकी नई पीढ़ी आगे बढ़ा रही है। राहुल गांधी किसी पहचान के मोहताज नहीं है । ये गांधी-नेहरु परिवार की सियासी विरासत के सहारे देश को और आगे ले जाने का सपना देख रहे हैं । आज राहुल गांधी को कांग्रेस के भविष्य के रुप में देखा जाता है। पार्टी में दूसरे सबसे बड़े पद पर काबिज हैं और पार्टी में बदलाव की वकालत कर रहे हैं । 2014 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस की तरफ से पीएम पद का उम्मीदवार माना जा रहा है।
सियासी परिवार से ताल्लुक रखने वाले अखिलेश यादव ने भी तेजी से सियासत की सीढियां चढ़ीं हैं और फिलहाल देश के सबसे बड़े और सियासी रूप से सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाल रहे हैं। समाजवादी पार्टी की पारंपरिक पहचान को इन्होंने टेक्नो फ्रेंडली इमेज दे दी है। और अपनी ऐसी ही टेक्नोफ्रेंडली टीम के सहारे पार्टी को और आगे ले जाने के लिए काम कर रहे हैं।

2014 के चुनाव में बिहार की राजनीति में एक नया चेहरा अपने पिता और पार्टी की खोई साख वापस पाने की जद्दोजहद में लगा है। ये चेहरा है आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी का । तेजस्वी यादव युवाओं की टीम बनाकर पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता के रुप में पार्टी का काम आगे बढ़ा रहे हैं और आजकल अक्सर अपनी मां या पिता के साथ मीडिया के सामने भी आ रहे हैं।
उमर अब्दुल्ला एक कश्मीरी नेता और कश्मीर के `फर्स्ट फैमिली` के वंशज हैं। फारुक अबदुल्ला के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी से उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर की गद्दी संभाली है । उमर जम्मू और कश्मीर के अब तक के सबसे युवा, और प्रदेश के 11 वें मुख्यमंत्री हैं । उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर 5 जनवरी 2009 को गठबंधन सरकार बनाई। वो लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।
सचिन पायलट भी देश के युवा नेताओं में से एक हैं और इन्हें भी राजनीति विरासत में मिली है । सचिन पायलट, राजेश पायलट के बेटे हैं उन्हें हाल ही में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है इसके साथ ही वो केंद्र में कॉर्पोरेट अफेयर्स राज्य मंत्री का पदभार भी संभाल रहे हैं ।
देश की राजनीति के युवा चेहरों में से एक ज्य़ोतिरादित्य सिंधिया हैं। ज्योतिरादित्य, ग्वालियर के दिवंगत महाराज और मध्यप्रदेश की राजनीति में अपना दबदबा रखने वाले माधवराव सिंधिया के बेटे हैं। वे पंद्रहवीं लोकसभा में सांसद चुने गए और मंत्रिमंडल में ऊर्जा राज्यमंत्री हैं। सिंधिया मध्य प्रदेश स्थित गुना संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पंजाब में जिस पार्टी का दबदबा है वो है शिरोमणि अकाली दल। इस दल में भी प्रकाश सिंह बादल के बाद जिसका स्थान है वो हैं सुखबीर बादल। सुखबीर बादल प्रकाश सिंह बादल के बेटे हैं वो 2009 से अब तक पंजाब के डिप्टी चीफ मिनिस्टर हैं । 2012 में सुखबीर बादल की पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने जीत हासिल कर इस सूबे का इतिहास बदल दिया था क्योंकि प्रदेश की जनता ने इससे पहले कभी भी लगातार दूसरी बार एक ही पार्टी को सत्ता नहीं सौंपी थी।

नवीन पटनायक बीजू पटनायक के बेटे हैं और ओडिशा के मुख्यमंत्री हैं। नवीन बीजू जनता दल के अध्यक्ष भी हैं और बड़ी क्षेत्रीय ताकत माने जाते हैं।
दक्षिण में भी विरासत की सियासत हो रही है। स्टालिन...करुणानिधि की दूसरी पत्नी के बेटे हैं और करुणानिधि के चहेते हैं। पहले डीएमके के संगठन में गहरी पैठ और फिर चेन्नई के मेयर के रुप में तमिल राजनीति का एक परिचित चेहरा बन चुके हैं। इनकी सबसे बड़ी ताकत पार्टी संगठन में गहरी पैठ है।

यानि देश की राजनीति में बड़ी-बड़ी पार्टियों की नई पीढ़ी अपने कंधों पर देश को आगे ले जाने को तैयार है। कुछ कामयाब हैं तो कुछ के कंधे पर अपनी पार्टी को कामयाब बनाने की जिम्मेदारी है । देखना होगा कि करोड़ों युवा वोटर्स भी क्या इन युवा नेताओं पर भरोसा दिखा पाते हैं ।
आप लेखक को टि्वटर पर फॉलो कर सकते हैं

Trending news