पाकिस्‍तान में सरकार बनाने की ओर अग्रसर नवाज शरीफ
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पाकिस्‍तान में सरकार बनाने की ओर अग्रसर नवाज शरीफ

पाकिस्तान के आम चुनाव में पीएमएल-एन के कदम शानदार जीत की ओर बढ़ने के साथ ही पार्टी प्रमुख नवाज शरीफ के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की संभावना बढ़ गई है। वहीं, इस चुनाव में भारी जीत के बाद नवाज की पार्टी पाकिस्‍तान में सरकार बनाने की ओर अग्रसर है।

इस्लामाबाद/लाहौर : पाकिस्तान के आम चुनाव में पीएमएल-एन के कदम शानदार जीत की ओर बढ़ने के साथ ही पार्टी प्रमुख नवाज शरीफ के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की संभावना बढ़ गई है। वहीं, इस चुनाव में भारी जीत के बाद नवाज की पार्टी पाकिस्‍तान में सरकार बनाने की ओर अग्रसर है।
दूसरी ओर भारत ने चुनाव परिणाम और नवाज शरीफ को मिली जीत का स्वागत करते हुए शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का आग्रह किया है।
चुनाव प्रचार के दौरान 63 वर्षीय शरीफ ने वर्ष 1999 में करगिल युद्ध के कारण रुकी भारत-पाकिस्तान शांति वार्ता को फिर से शुरू करने की बात की थी। वर्ष 1999 में तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने सैन्य तख्तापलट कर नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ उन्होंने दोनों देशों के बीच शांति वार्ता की शुरुआत की थी।
नई दिल्ली में, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चुनाव में नवाज शरीफ को मिली ‘शानदार जीत’ पर उन्हें बधाई दी और उन्हें परस्पर सुविधाजनक तारीख पर भारत आने का न्यौता भी दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, कि प्रधानमंत्री ने शरीफ और उनकी पार्टी को पाकिस्तान के चुनाव में शानदार जीत के लिए बधाई दी है। सरकारी टीवी चैनल पीटीवी के मुताबिक, रविवार देर जारी अनधिकृत परिणामों से पता चलता है कि शरीफ की पार्टी पीएमएल (एन) को 272 सीटों में से 130 पर बढ़त हासिल है, जो बहुमत से अभी सात कम है। शरीफ को बहुमत के लिए 137 सीटों की आवश्यकता है। हालांकि, अभी अंतिम चुनाव परिणाम नहीं आया है।
अभी तक के रूझानों से पता चलता है कि शरीफ की पार्टी को 130 सीटें मिलने की संभावना है। ऐसे में शरीफ पूर्ण बहुमत से थोड़ा ही पीछे रह जाएंगे, लेकिन वह निर्दलियों और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम जैसी छोटी दक्षिणपंथी पार्टियों के साथ गठबंधन कर सरकार बना सकते हैं। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फिलहाल 11 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ महज 34 सीटों पर आगे है। वर्ष 2008 में हुए चुनाव के दौरान 124 सीटों पर जीत हासिल करने वाली और एमक्यूएम एवं अवामी नेश्नल पार्टी के साथ गठबंधन कर पांच वर्ष तक देश का सरकार चलाने वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) महज 32 सीटों पर आगे चल रही है। चुनाव परिणामों से पता चलता है कि शरीफ की पार्टी ने मध्य और ऊपरी पंजाब में बेहतरीन प्रदर्शन किया है, वहीं दक्षिणी पंजाब में उसका प्रदर्शत अच्छा रहा है।
सरकारी टीवी चैनल के मुताबिक, इमरान की पार्टी पीटीआई ने खबर पखतूनख्वा में विरोधियों का लगभग सफाया कर दिया है। वहीं पीएमएल (एन) पंजाब विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और पीपीपी ने सिंध के अंदरूनी हिस्सों पर अपना दबदबा कायम रखा है। शरीफ ऐसे समय सत्ता में वापसी कर रहे हैं जब पाकिस्तान कई समस्याओं का सामना कर रहा है जिनमें बढ़ता चमरपंथ, देश के पश्चिमोत्तर हिस्से में तालिबान की मजबूत उपस्थिति, भ्रष्टाचार, युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से विदेश बलों की वापसी से पहले अमेरिका के साथ तनावपूर्ण रिश्ते और ऐसी अर्थव्यवस्था शामिल हैं जिसमें पिछले कई सालों से गिरावट का दौर जारी है।
शरीफ इससे पहले वर्ष 1990-1993 और 1997-1999 तक प्रधानमंत्री रह चुके हैं लेकिन पहली बार भ्रष्टाचार के आरोप तथा दूसरी बार मुशर्रफ के नेतृत्व में सैन्य तख्ता पलट के कारण वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे। शरीफ ने सरगोधा और लाहौर से दो सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं इमरान खान ने जिन चार सीटों से चुनाव लड़ा था, उनमें से तीन पर उन्हें जीत मिली है। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की बहन फरयाल तालपुर के अलावा फारूक सत्तार, सैयद खुर्शीद अहमद शाह, शेख रशीद, फहमीदा मिर्जा, मखदूम अमीन फहीम, एहसान इकबाल और सरदार अयाज सादिक ने भी जीत दर्ज की है।
पूर्व प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ और पूर्व मंत्री गुलाम अहमद बिलौर, फैसल सालेह हयात, अमीर मुकाम, कमर जमां कैरा, फिरदौस आशिक अवान, मियां मंजूर वट्टू सहित कई दूसरे नामचीन नेताओं को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। तालिबान की धमकियों और बम हमलों में करीब 50 लोगों की जान जाने के बावजूद पाकिस्तान के लोगों ने देश के पहले लोकतांत्रिक सत्ता परिवर्तन में अपनी भागीदारी निभाते हुए बड़ी संख्या में मतदान किया। शरीफ ने कल देर रात गृहनगर लाहौर में अपने उत्साहित समर्थकों को संबोधित करते हुए अपनी पार्टी की जीत का दावा किया और लोगों से कहा कि वह उनकी पार्टी को ‘पूर्ण बहुमत’ मिलने की दुआ करें ताकि उन्हें एक कमजोर गठबंधन का नेतृत्व न करना पड़े।
नवाज शरीफ ने कहा कि नतीजे अभी आ ही रहे हैं लेकिन यह बात तय है कि पीएमएल-एन चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। मैं आपसे यह दुआ करने के लिए कहता हूं कि सुबह आने वाले नतीजों में पीएमएल-एन को बिना किसी बाहरी समर्थन के सरकार बनाने का मौका मिले और पार्टी को किसी और से समर्थन न मांगना पड़े।’’ जीत की खुशी मनाने के लिए पीएमएल-एन के समर्थक सड़कों पर उतर आए। जीत के जश्न में डूबे समर्थकों ने चुनाव आयोग की आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए लाहौर में कई स्थानों पर हवाई गोलीबारी की।
वहीं अपनी हार को स्वीकार करते हुए अस्पताल में भर्ती इमरान खान ने कहा कि मैंने अपने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन जब मैं युवाओं का जोश देखता हूं तो इस हार का गम भुला देता हूं। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के 60 वर्षीय प्रमुख का कहना है कि मैं इतनी बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकलने के लिए मतदाताओं को धन्यवाद देता हूं। यह पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है। लोगों ने यह तय किया है कि वे अपने मतदान के माध्यम से पाकिस्तान का भविष्य बनाने में अपनी भूमिका निभाएंगे। विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा संभव है कि 12 सीटों पर आगे चल रही मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पीएमएल-एन को समर्थन दे दे।
किसी पार्टी या गठबंधन को सामान्य बहुमत प्राप्त करने के लिए नेशनल एसेंबली की जिन 272 सीटों पर चुनाव हुए हैं उनमें से 137 सीटों पर जीत हासिल करनी होती है। 342 सदस्यों वाले इस सदन की बाकी 70 सीटें महिलाओं और गैर-मुस्लिम समुदायों के लिए आरक्षित हैं और चुनाव में विभिन्न दलों के प्रदर्शन के आधार पर इन सीटों का आवंटन किया जाता है।

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