राज के जाने पर ठाकरे ने कहा था,‘धृतराष्ट्र नहीं हूं’
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राज के जाने पर ठाकरे ने कहा था,‘धृतराष्ट्र नहीं हूं’

‘मैं भले ही काला चश्मा पहनता हूं, पर मैं धृतराष्ट्र नहीं हूं।’ शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे ने यह बात उस समय कही थी, जब 2005 में शिवसेना में उपजी कलह के बाद उनके भतीजे राज ठाकरे पार्टी छोड़कर चले गए थे और लोगों ने उन्हें धृतराष्ट्र की संज्ञा दी थी।

मुंबई : ‘मैं भले ही काला चश्मा पहनता हूं, पर मैं धृतराष्ट्र नहीं हूं।’ शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे ने यह बात उस समय कही थी, जब 2005 में शिवसेना में उपजी कलह के बाद उनके भतीजे राज ठाकरे पार्टी छोड़कर चले गए थे और लोगों ने उन्हें धृतराष्ट्र की संज्ञा दी थी।
शिव सेना के मुखपत्र ‘सामना’ में छपे एक इंटरव्यू में बाल ठाकरे से पूछा गया-पार्टी की इस कलह में आपको धृतराष्ट्र कहा जा रहा है-तो उन्होंने कहा, ‘भले ही मैं काला चश्मा पहनता हूं, मैं महाभारत का धृतराष्ट्र नहीं हूं।’धृतराष्ट्र पौराणिक कथा महाभारत का नेत्रहीन राजा था और कौरवों का पिता था।
राज के पार्टी छोड़कर चले जाने पर ठाकरे ने जोर देकर कहा था कि उसके जाने से वह दुखी नहीं हैं, लेकिन एक दिन बाद ही उन्होंने कहा कि जो पार्टी छोड़कर गए हैं, उन्हें लौट आना चाहिए।
उन्होंने कहा था,‘मैं दुखी और स्तब्ध हूं। मुझे राज से यह उम्मीद नहीं थी। मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि राज इस तरह का काम करेगा।’ उनका कहना था,‘राज जो चाहता है, मैं और उद्धव वैसा करने को तैयार हैं। मैं नहीं कह सकता कि कौन से ‘गुरु’ ने उसे सलाह दी और उसके दिमाग में जहर भर दिया।’
ठाकरे ने कहा कि शिव सेना को चलाने वाला वही था। उन्होंने कहा,‘मैंने राज से कहा है कि वह और उद्धव मिलकर बैठें और इसपर विचार करें।’ 86 वर्षीय ठाकरे का कुछ दिन की बीमारी के बाद शनिवार को साढ़े तीन बजे उपनगरीय बांद्रा स्थित उनके आवास ‘मातोश्री’ में निधन हो गया। (एजेंसी)

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