आप किसी से भी बातचीत करने के लिए उसे नाम से पुकारते हैं. लेकिन मेघालय के गांव कांगथोंग में एक अलग ही परंपरा है. यहां पर लोग आपस में बातचीत करने या फिर एक-दूसरे को बुलाने के लिए खास तरह की धुन का प्रयोग करते हैं.
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आप किसी से भी बातचीत करने के लिए उसे नाम से पुकारते हैं. लेकिन मेघालय के गांव कांगथोंग में एक अलग ही परंपरा है. यहां पर लोग आपस में बातचीत करने या फिर एक-दूसरे को बुलाने के लिए खास तरह की धुन का प्रयोग करते हैं. अपने बच्चे के लिए नाम की जगह इस्तेमाल होने वाली यह ट्यून उसकी मां बनाती है. यहां महिला ही परिवार की मुखिया होती है.
यह धुन बिल्कुल चिड़ियों के चहचहाने की तरह लगती है. इसलिए गांव के आसपास से गुजरने पर हमेशा चिड़ियों के चहकने जैसी और सीटियों की आवाज सुनाई देती रहती है. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार मां की तरफ से दी गई धुन से ही समाज के सभी लोग बुलाते हैं. इस परंपरा का अनुसरण कांगथोंग के आसपास स्थित गांव के लोग भी करते हैं.
कांगथोंग के निवासियों का कहना है कि गांव में यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. संगीत में बच्चों के नाम पिरोने की भावना मां के दिल से आती है. इसके अलावा इस जगह की खूबसूरती इसे बाकी जगहों से अलग बनाती है. यहां के लोग अलग तरह की आवाजों में अपने मित्रों और परिजन से बातचीत करते हैं. परिवार के मुखिया और बुजुर्गों की यह जिम्मेदारी होती है कि वे स्थानीय भाषा को एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक पहुंचाए.
#WATCH Villagers in #Meghalaya's Kongthong use unique tunes, a hum to communicate or call out to each other instead of using names. Villager says, "Mothers devise unique tunes to call out their children, these tunes are used instead of names. Each tune is specific to a person." pic.twitter.com/NpsmtVDAQD
— ANI (@ANI) September 25, 2018
गांव की परंपरा से प्रेरित होकर बॉलीवुड में भी अपने चहेतों के लिए मधुर धुन बनाई जाती हैं. मेघालय के इस गांव में रहने वाली तीन बच्चों की मां ने बताया कि इस धुन को पूरी तरह बच्चे की मां की तरफ से तैयार किया जाता है और यह उसकी निजी संपत्ति होती है.