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नई दिल्ली: दुनिया में महिला टेनिस की सबसे बड़ी संस्था महिला टेनिस संघ (Women's Tennis Association) ने ये घोषणा की है कि वो अब चीन में किसी टूर्नामेंट का आयोजन नहीं करेगी और चीन का अंतरराष्ट्रीय बहिष्कार करेगी. इसके बाद चीन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेइज्जती हो रही है. WTA ने ये फैसला चीन की मशहूर महिला टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई (Peng Shuai) की शिकायत पर लिया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि चीन के पूर्व उप प्रधानमंत्री ने उनका यौन शोषण किया है. सोशल मीडिया पर ये पोस्ट लिखते ही टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई (Peng Shuai) गायब हो गई और उसके बाद से ही इस खिलाड़ी के बारे में किसी को कुछ पता नहीं है.
अब चीन इस खिलाड़ी के पुराने Videos डालकर और नकली चिट्ठियां दिखाकर इस झूठ को साबित करने में लगा है कि ये खिलाड़ी सुरक्षित है. WTA दुनिया की पहली ऐसी संस्था है, जिसने खुलकर चीन का बहिष्कार करने की हिम्मत की है. ये हिम्मत ना तो WHO कर पाया है और ना ही संयुक्त राष्ट्र कर पाया है, ये एक बहुत बड़ी बात है कि दुनिया भर के बड़े-बड़े टेनिस खिलाड़ी इस महिला खिलाड़ी के लिए चीन जैसे देश से टकराने को तैयार हो गए हैं. आज ये खबर दुनिया भर की महिलाओं को उनके साथ हुए शोषण के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत देगी. सबसे पहले आपको इस खिलाड़ी के गायब होने की पूरी कहानी दिखाते हैं.
ये पूरी कहानी दो नवंबर से शुरू होती है, जब पेंग शुआई ने चीन के सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Weibo (वीबो) पर एक पोस्ट लिखी थी. लगभग 1600 शब्दों की इस पोस्ट में इस खिलाड़ी ने चीन के पूर्व उप प्रधानमंत्री झांग गाओली (Zhang Gaoli) पर जबरन यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया और इस पोस्ट में ये भी लिखा कि उनके पास इन आरोपों का कोई सबूत तो नहीं है. भले ये बात पत्थर को कंकड़ मारने जैसी हो, लेकिन वो इस सच के बारे में सबको बताना चाहती हैं और वो इससे डरती नहीं है.
पेंग शुआई के इस खुलासे के बाद चीन के लोगों और वहां की राजनीति में ये एक बहुत बड़ी खबर बन गईं, क्योंकि 75 वर्षीय Zhang Gaoli (झांग गाओली) को चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग का करीबी और भरोसेमंद नेता माना जाता है. वो वर्ष 2013 से 2018 के बीच चीन के उप-प्रधानमंत्री थे और उस समय वो राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बेहद करीबी साथियों में शामिल थेय शायद इसी लिए जिस पोस्ट को लिखने में इस खिलाड़ी ने काफी दिनों का समय लिया होगा, वो पोस्ट कुछ ही मिनटों के बाद डिलीट भी हो गई. और इसके बाद ये खबर आई कि पेंग शुआई भी गायब हैं.
मशहूर टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच और नाओमी ओसाका समेत कई अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों ने इस खिलाड़ी के गायब होने पर चिंता जताई, लेकिन चीन ने इस पर कोई जानकारी नहीं दी. लगभग दो हफ्तों तक चीन ने इस पूरे मामले पर ऐसा रवैया अपनाया, जैसे पेंग शुआई को लेकर दुनिया में कोई अफवाह फैली है और वो कहीं गायब नहीं हुई हैं. हालांकि चीन से यहां एक गलती भी हुई. चीन को लगा कि वो इस खबर को दबा देगा, लेकिन वहां के सोशल मीडिया ने पेंग शुआई की गुमशुदगी को और संदिग्ध बना दिया.
जब इस मामले में महिला टेनिस संघ (Women's Tennis Association) द्वारा ये मांग की गई कि चीन इस खिलाड़ी से जुड़ी ऐसी ठोस जानकारी साझा करे, जिससे ये भरोसा हो सके कि वो सुरक्षित हैं. इसके बाद चीन पर दबाव बढ़ा. 17 नवंबर को चीन के एक सरकारी न्यूज चैनल की तरफ से एक ईमेल लेटर जारी किया गया और ये बताया गया कि ये चिट्ठी खुद पेंग शुआई ने WTA के चेयरमैन को लिखी है. इस चिट्ठी में ये लिखा था कि पेंग शुआई अभी अपने घर पर आराम कर रही हैं और उनके बारे में जो खबरें चल रही हैं, वो सब गलत है. इसके अलावा इसमें ये भी लिखा था कि उन्होंने चीन के पूर्व उप प्रधानमंत्री पर यौन शोषण के जो आरोप लगाए थे, वो सही नहीं हैं.
इस चिट्ठी के बाद बहुत से लोगों ने ये मान लिया कि ये खिलाड़ी पूरी तरह सुरक्षित हैं, लेकिन बाद में हकीकत कुछ और निकली. असल में जिस ईमेल लेटर को ये बता कर सार्वजनिक किया गया था कि ये WTA के चेयरमैन को भेजा गया है, उस लेटर में AND शब्द पर Cursor को देखा गया, जिससे ये स्पष्ट हो गया कि ये चिट्ठी पेंग शुआई ने तो नहीं लिखी है, बल्कि इससे लोगों को गुमराह किया जा रहा है.
इस कोशिश में नाकाम होने के बाद चीन ने कुछ और तरकीब अपनाई. जैसे अलग अलग मौकों पर पेंग शुआई के दो वीडियो जारी किए गए. एक वीडियो में वो अपने टेनिस कोच और कुछ दोस्तों के साथ डिनर करती हुई दिख रही हैं, जबकि दूसरे वीडियो में उन्हें टेनिस के एक यूथ टूर्नामेंट में देखा जा रहा है। इन वीडियोज में पेंग शुआई दिख तो रही हैं, लेकिन बहुत सारी इंटरनेशनल रिपोर्ट्स में दावा है कि इन वीडियोज के ऊपर तारीख लिखी थी, जिन्हें हटा कर सोशल मीडिया पर डाला गया है. यानी ये वीडियोज पुराने थे, जिन्हें नवंबर महीने का बता कर ये साबित करने की कोशिश की गई कि पेंग शुआई कहीं गायब नहीं हुई हैं.
इस पूरी कहानी में सबसे बड़ा मोड़ तब आया, जब इंटरेनेशनल ओलंपिक कमेटी (International Olympic Committee) की तरफ से एक तस्वीर जारी कर ये बताया गया कि 21 नवंबर को IOC के अध्यक्ष थॉमस बैश ने वर्चुअल मीटिंग में पेंग शुआई से 30 मिनट तक बात की थी और इस बैठक में पेंग शुआई ने उन्हें ये बताया कि वो खुश हैं और कहीं गायब नहीं हुई हैं. इसके अलावा IOC ने एक बार फिर ये जानकारी दी है कि उसने 1 दिसंबर को भी पेंग शुआई के साथ वर्चुअल मीटिंग की है. IOC के कुछ अधिकारी अगले साल जनवरी महीने में फेस टू फेस उनसे मिल सकते हैं. इसके लिए ये खिलाड़ी राजी भी हैं. IOC के इस बयान से तो ऐसा ही लगता है कि सबकुछ ठीक है और पेंग शुआई को कुछ नहीं हुआ, लेकिन यहां सवाल ये है कि जब सबकुछ ठीक है तो IOC ने अब तक इस खिलाड़ी से अपनी किसी भी मीटिंग का वीडियो क्यों शेयर नहीं किया.
सबसे महत्वपूर्ण बात आप खुद सोचिए, जब पेंग शुआई गायब नहीं हुई हैं और International Olympic Committee उनसे दो दो बार बात कर सकती है, तो WTA से उनकी वर्चुअल मीटिंग कराने में चीन को क्या परेशानी है? असल में यहां सवाल IOC को लेकर भी खड़े होते हैं, क्योंकि IOC पर इस मामले में चीन का समर्थन करने का आरोप लग रहा है. चीन की राजधानी बीजिंग में अगले साल विंटर ओलंपिक का आयोजन होना है और अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश ये कह रहे हैं कि उनके लिए मानव अधिकारों का मुद्दा सबसे बड़ा है और वो इसके लिए चीन में होने वाले विंटर ओलंपिक का बहिष्कार भी कर सकते हैं. इसके अलावा 18 ग्रैंड स्लैम जीतने वाली टेनिस की मशहूर खिलाड़ी मार्टिना नवराति-लोवा (Martina Navratilova) ने भी चीन में विंटर ओलंपिक कराने का विरोध किया है, लेकिन इसके बावजूद International Olympic Committee इस पर चुप है. क्योंकि शायद वो जानती है कि उसके पास इतना साहस नहीं है कि वो चीन के खिलाफ जाकर विंटर ओलंपिक किसी और देश में करा सके.
महिला टेनिस संघ (Women's Tennis Association) यानी WTA ने साहस दिखाते हुए चीन और हॉन्गकॉन्ग में होने वाले सभी टूर्नामेंट को सस्पेंड यानी रद्द कर दिया है. चीन में हर साल WTA के 10 टूर्नामेंट होते हैं. यानी इस हिसाब से वर्ष 2021 तो लगभग खत्म ही हो गया है. अब 2022 में जो 10 टूर्नामेंट चीन में होने थे, वो अभी के फैसले के मुताबिक नहीं होंगे. WTA की तरफ से कहा गया है कि उसके इस कदम से संस्था को करोड़ों रुपये का नुकसान हो सकता है, लेकिन इस समय उसके लिए इस नुकसान से ज्यादा चिंता की बात ये है कि दुनिया की एक प्रतिभाशाली टेनिस खिलाड़ी के बारे में किसी को कोई सही जानकारी नहीं है. संक्षेप में कहें तो WTA के इस फैसले से चीन को कोई बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान तो नहीं होगा, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि जरूर खराब होगी. असल में खेलों का आयोजन कराना किसी भी देश के लिए फायदे का सौदा नहीं होता. कोई भी देश अपने यहां इसीलिए स्पोर्ट्स इवेंट कराता है, ताकि इनके माध्यम से उसका सम्मान दुनिया में बढ़ सके और WTA ने इसी पर चीन को घेरने की कोशिश की है।.
जिस तरह की हिम्मत WTA ने दिखाई है, वैसी हिम्मत World Health Organization यानी WHO कभी चीन के खिलाफ नहीं दिखा पाया और ना ही United Nations ने कभी चीन के खिलाफ ऐसा कोई कदम उठाने की कोशिश की. इससे आज इन तमाम अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की प्रासंगिकता और इनकी निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े होते हैं.
पेंग शुआई चीन की पहली ऐसी महिला टेनिस खिलाड़ी हैं, जो डबल्स श्रेणी की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में पहले स्थान पर रह चुकी हैं. इसके अलावा वो डबल्स श्रेणी में कुल 23 खिताब जीत चुकी हैं, जिनमें दो ग्रैंड स्लैम हैं. उन्होंने वर्ष 2013 में विंबलडन और वर्ष 2014 में फ्रेंच ओपन का खिताब जीता था. उन्होंने अब तक इन खिताब के जरिए कुल 96 लाख यूएस डॉलर यानी 72 करोड़ रुपये की रकम इनाम में जीती है. हालांकि पेंग ने अपना आखिरी मुकाबला वर्ष 2020 में कतर ओपन के दौरान खेला था, जहां वो और उनकी पार्टनर 16वें राउंड में हारकर बाहर हो गए थे. और शायद इस हार के पीछे उनके साथ हो रही वही घटनाएं थीं, जिनका खुलासा उन्होंने दो नवंबर को किया था.
पेंग शुआई अकेली नहीं हैं, जो इस तरह से अचानक गायब हुई हैं. चीन में मशहूर लोगों के गायब होने का इतिहास काफी लंबा है.
-चीन की E-commerce company Alibaba के फाउंडर जैक मा (Jack Ma) वर्ष 2020 में संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो गए थे.
- इसके अलावा वर्ष 2016 से 2018 तक Interpol के चीफ रहे Meng Hongwei (मेंग हॉन्गवे) भी वर्ष 2018 में अचानक गायब हो गए थे.
- चीन की मशहूर Actress Zhao Wei (झाओ वी) इसी साल अगस्त महीने में और चीन के राजनेताओं पर व्यंगय लिखने वाले वहां के एक मशहूर लेखक Gui Minhai (गुई मिन हाई) भी वर्ष 2015 में इसी तरह गायब हो गए थे.
- इसके अलावा पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का पहली बार पता लगाने वाली चीन की 47 वर्षीय डॉक्टर Ai Fen (आई फेन) भी वर्ष 2019 में लापता हो गई थीं.
इस खबर से आज सीखने वाली बात ये है कि इस सोशल मीडिया के जमाने में चीन जैसे देश के लिए भी ये संभव नहीं है कि वो सारी खबरों को दबा दे. एक जमाना था जब सारी खबरें दब जाती थी और दुनिया को कुछ पता नहीं चलता था, लेकिन आज ऐसा नहीं है. आज चीन जैसा देश चाहे जितनी पाबंदियां लगा लें, स्वतंत्र मीडिया को समाप्त कर दें, लेकिन वो खबरों को फैलने से रोक नहीं सकते. ये सोशल मीडिया की असली ताकत है.
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