Lord Krishna Flute: भगवान श्रीकृष्ण को उनकी बांसुरी बहुत प्रिय है. वह बांसुरी को हमेशा अपने साथ रखते हैं. उनकी बांसुरी की धुन सुनकर पूरा विश्व ही भक्तिमय हो जाता था. हालांकि, फिर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी तोड़ दी थी. इसके पीछे की वजह को समझते हैं.
भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी प्रेम, खुशी और आकर्षण का प्रतीक मानी जाती है. उनकी बांसुरी का नाम महानंदा या सम्मोहिनी था.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने महर्षि दधीची की हड्डियों से श्रीकृष्ण की बांसुरी का निर्माण किया था. जब भगवान शिव बाल श्रीकृष्ण से मिलने आए तो उपहार स्वरूप यह बांसुरी उन्हें भेंट की थी.
कंस का वध करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मणी से विवाह किया और द्वारका में बसने के लिए चले गए. हालांकि, रुक्मणी ने पत्नी धर्म निभाया और हमेशा भगवान की सेवा में लगी रहीं. लेकिन, श्रीकृष्ण अपने मन से राधा को कभी निकाल नहीं पाए.
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने जिंदगी भर अपनी सारी जिम्मेदारियां बखूबी निभाई और जीवन के आखिरी पलों में उनका राधा के साथ दोबारा मिलन हुआ.
इस दौरान जब श्रीकृष्ण ने राधा से कुछ मांगने को कहा तो राधा ने बांसुरी सुनने की इच्छा जताई. कहते हैं कि बांसुरी की धुन सुनते-सुनते ही राधा ने शरीर त्याग दिया. राधा का वियोग भगवान श्रीकृष्ण सह न पाए और उन्होंने अपनी बांसुरी तोड़कर फेंक दी.
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