Who is Salva Marjan: भारत में मोटरस्पोर्ट्स ने हाल के समय में तेजी से विकास किया है. क्रिकेट को प्यार करने वाले इस देश में अन्य खेलों का विकास मुश्किल से होता है. मोटरस्पोर्ट्स में रफ्तार का रोमांच होता है. जितना खतरा होता है उतना ही रोमांच. इस खेल को चुनने से पहले लोग काफी बार सोचते हैं. भारत में धीरे-धीरे यह आगे बढ़ रहा है. केरल से मोटरसपोर्ट्स के लिए अच्छी खबर आई है. कोझिकोड के एक ग्रामीण इलाके पेराम्बरा की एक युवा लड़की मोटरस्पोर्ट्स में नाम कमा रही है. उसका नाम साल्वा मार्जन है. हम आपको यहां उनके बारे में बता रहे हैं...
25 साल की उम्र में साल्वा मार्जन इतिहास रचने के करीब हैं. वह जनवरी 2025 में फेडरेशन इंटरनेशनेल डी ल ऑटोमोबाइल (FIA) द्वारा आयोजित फॉर्मूला 1 एकेडमी में भाग लेने वाली केरल की पहली महिला बनने के लिए तैयार हैं. फॉर्मूला रेसिंग की दुनिया में साल्वा की यात्रा भारत में फॉर्मूला एलजीबी के साथ शुरू हुई, जो एक लोकप्रिय एंट्री-लेवल रेसिंग सीरीज है.
साल्वा की लगन और समर्पण ने उन्हें 2023 में F4 इंडियन चैंपियनशिप के लिए जल्दी ही योग्य बना दिया. उन्होंने प्रभावशाली प्रदर्शन के साथ अपनी पहचान बनाई. उसी साल उन्होंने F4 UAE चैम्पियनशिप में भी भाग लिया. इसमें उन्होंने 150 लैप पूरे किए, जिनमें से 119 लैप उन्होंने सफलतापूर्वक पूरे किए. 2018 में अपेक्षाकृत देर से शुरुआत करने के बावजूद साल्वा के जुनून और प्रतिभा ने उन्हें भारत में F4 सर्किट के शीर्ष रैंक तक जल्दी पहुंचने में मदद की.
बेहतर ट्रेनिंग और अधिक अवसरों की आवश्यकता को समझते हुए साल्वा हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में शिफ्ट हो गईं। यहां वह अपनी क्षमता को बढ़ा रही हैं. वह अपनी अगली बड़ी चुनौती एफ1 एकेडमी के लिए तैयारी कर रही हैं.
साल्वा के लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं रहा है. एफ4 ट्रेनिंग से जुड़े महंगे सामानों ने उन्हें परेशान किया. इस कारण उनका सपना देर से पूरा हुआ. बिजनेस मैनेजमेंट में बैचलर डिग्री हासिल करने वाली साल्वा ने कई नौकरियां कीं . इससे उन्होंने पैसे बचाए और अपनी चीजों को खरीदा. साल्वा के पिता चेम्बरा पनाचिंगल कुंजामू, मां सुबैदा और भाई-बहन साहला, सिनान और सबिथ ने भी उन्हें काफी सपोर्ट किया. अपने समुदाय के अन्य लोगों से आलोचना झेलने वाली साल्वा आज अपने सपने को पूरा कर चुकी हैं.
द हिंदू से बातचीत में साल्वा ने कहा, ''मेरे घरवालों को इस बारे में कहा जाता था कि लड़कियों को कैसे बड़ा किया जाए, कैसे लड़कियों को इस तरह के जोखिम नहीं उठाने चाहिए या इतना स्वतंत्र नहीं होना चाहिए. लेकिन मेरे माता-पिता ने हमारे लिंग के आधार पर कभी हमारे बीच अंतर नहीं किया. न ही उन्होंने मेरे लिए कोई सीमाएं तय कीं.''
पारंपरिक रूप से पुरुषों के वर्चस्व वाले खेल में साल्वा महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों से अच्छी तरह वाकिफ हैं. रेसिंग कार के अंदर का तापमान अक्सर 40 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है. मोड़ पर आवश्यक ब्रेक लगाने का दबाव 60 से 100 किलोग्राम तक हो सकता है और रेस के दौरान रेसर 4 किलोग्राम तक शरीर का वजन कम कर सकते हैं.
साल्वा की यात्रा बिना किसी बाधा के नहीं रही है. उन्होंने कुछ दुर्घटनाओं, स्पिन और निराशाजनक प्रदर्शन का अनुभव किया है. ऐसे क्षण भी आए जब उसने हार मानने के बारे में सोचा, लेकिन रेसिंग के प्रति उसके जुनून ने उसे हमेशा पीछे खींच लिया.
ट्रेन्डिंग फोटोज़