राम माधव पहुंचे गुवाहाटी, एजीपी से की असम सरकार में वापस लौटने की अपील
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राम माधव पहुंचे गुवाहाटी, एजीपी से की असम सरकार में वापस लौटने की अपील

सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल का विरोध को लेकर राम माधव ने कहा कि कुछ लोग जायज़ कारण से भी बिल का विरोध कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर विरोध राजनीति से प्रेरित है.

असम भाजपा के अंदर भी बिल को लेकर गतिरोध जारी है.

गुवाहाटी: नॉर्थईस्ट बीजेपी प्रभारी राम माधव ने केंद्र सरकार के कामकाज के पांच साल की प्रोग्रेस रिपोर्ट मीडिया के सामने रखते हुए कहा कि इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कोई भी नेता न तो सक्षम है और न ही मोदी की तरह लोकप्रिय है और जनता दोबारा मोदी के नेतृत्व में ही सरकार बनाएगी यह निश्चित है. असम में सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल के विरोध को लेकर राम माधव ने कहा कि कुछ लोग जायज़ कारण से भी बिल का विरोध कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर विरोध राजनीति से प्रेरित है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में ज़ी मीडिया सवांददाता ने जब उनके इस बयान पर सवाल किया कि एजीपी (असम गण परिषद्) के विरोध को जायज़ कारण मानते हैं या राजनीति से प्रेरित? तो जवाब में माधव ने कहा कि एजीपी को समझाया जा रहा है और नागरिकता संशोधन विधेयक पर उनकी फिक्र के अलावा भी असम बीजेपी के अंदर भी कुछ विधायकों के सीएबी (सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल) पर व्यक्त किए चिंतन को हम स्वीकार करते हैं. पार्टी के कुछ सदस्य, एमएलए और एजीपी के नेतृत्व को समझाने की कोशिश की जा रही है. साथ ही कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक में असम में असमिया नागरिकों के अधिकारों के लिए रक्षा कवच बनाया गया है. बीजेपी एनडीए के सभी दलों के साथ मिलकर असम में चुनाव लड़ी थी इसलिए एजीपी का साथ हम भविष्य में भी चाहेंगे.

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असम एकॉर्ड के क्लॉज़ 6 के लागू के मुद्दे पर दूसरा प्रश्न पूछा गया कि कमेटी से अध्यक्ष एमके बेजबरुआ और तीन अन्य सदस्य असम के विख्यात साहित्यकार नगेन सैकिया, रंगबंग तेरोंग और एक अन्य ने असम एकॉर्ड के क्लॉज़ 6 को लागू करने के लिए बनाई कमेटी में आसू के सहभागिता को नहीं देखते हुए त्यागपत्र यह कहते हुए दिया है कि आसू के बिना कमेटी का कोई आधार नहीं कहा है. इसके जवाब में राम माधव ने कहा कि असम एकॉर्ड के क्लॉज 6 को लागू करने के कमेटी में यह प्रावधान भी है कि आसू खुद से किसी को भी कमेटी में नामांकित कर सकता है, चूंकि अभी तक आसू खुद को इस कमेटी से दूर रखा है और उन्हें कमेटी में शामिल होने की अपील की जा रही है.   

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बता दें कि असम में 1985 में आसू और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ असम समझौता (असम एकॉर्ड) हस्ताक्षर हुआ था. उस समझौते में असम के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक अधिकारों के रक्षा और क्रियान्वित करने के लिए कई मांगों पर आम सहमति बनी थी. असम एकॉर्ड में उल्लेख ऐसे अनुच्छेदों में से क्लॉज 6 अनुच्छेद को लागू करने हाल ही में मोदी सरकार ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी और असम के नागरिक एमके बेजबरुआ के अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है, जिसमें असम के गणमान्य लोगों को सरकार ने बतौर सदस्य नामांकित भी किया है.

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इस कमेटी में अखिल असम छात्र संगठन (AASU) से कहीं कोई भी प्रतिनिधि न रहने के कारण कमेटी से अध्यक्ष एम के बेजबरुआ और अन्य तीन सदस्यों ने भी आसू के कमेटी में न रहने के निर्णय से त्याग पत्र दे दिया है. गौरतलब है कि असम में सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल का व्यापक विरोध हो रहा है. सीएम सोनोवाल सरकार के सहयोगी असम गण परिषद् ने इस बिल के मुद्दे पर आपत्ति जताते हुए गठजोड़ से अलग हो गया है. हालांकि एजीपी के तीनों मंत्रियों का सरकार में वापसी का रास्ता रखते हुए अभी तक मुख्यमंत्री सर्बानंदा सोनोवाल ने त्यागपत्र के अनुशंसा राज्यपाल से नहीं की है.   

असम भाजपा के अंदर भी बिल को लेकर गतिरोध जारी है. बीजेपी के तीन विधायकों ऋतुपर्ण बरुआ, पद्मा हज़ारिका और दिसपुर विधानसभा से निर्वाचित अतुल बोरा ने बिल पर असंतुष्टि जाहिर कर दी है. विधानसभा स्पीकर बीजेपी विधायक हितेंद्र नाथ गोस्वामी ने भी बिल पर नाराज़गी प्रकट की है.

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