नोटबंदी तत्काल हुई, तो राममंदिर क्यों नहीं: शिवसेना का BJP से सवाल
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नोटबंदी तत्काल हुई, तो राममंदिर क्यों नहीं: शिवसेना का BJP से सवाल

उद्धव ठाकरे ने कहा कि अभी तक बीजेपी का एजेंडा विकास था लेकिन अब उसका स्थान राम मंदिर मुद्दे ने ले लिया है.

उद्धव ठाकरे ने कहा, ''आपने (बीजेपी सरकार) जिस तरह से नोटबंदी का तत्काल निर्णय किया, आप राम मंदिर निर्माण का भी तत्काल निर्णय कर सकते हैं क्योंकि आपके पास बहुमत है.''

पुणे: लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर सहयोगी शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इसी कड़ी में ताजा सवाल करते हुए कहा कि बीजेपी नीत सरकार अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए उस तरह से एक तत्काल निर्णय क्यों नहीं करती जिस तरह से उसने नोटबंदी के मामले में किया था? उद्धव ठाकरे ने पार्टी नेताओं की एक बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘वे (बीजेपी) चुनाव से पहले राम मंदिर निर्माण, समान नागरिक संहिता और जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने की बात करते हैं लेकिन किस चुनाव में 2019 या 2050 में ऐसा करेंगे? यह नहीं बताते.’’

  1. शिवसेना प्रमुख ने बीजेपी की मंशा पर सवाल उठाए
  2. पूछा कि बीजेपी बताए कि 2019 या 2050 में से कब मंदिर बनेगा
  3. अयोध्‍या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है

उद्धव ठाकरे ने कहा, ''आपने (बीजेपी सरकार) जिस तरह से नोटबंदी का तत्काल निर्णय किया, आप राम मंदिर निर्माण का भी तत्काल निर्णय कर सकते हैं क्योंकि आपके पास बहुमत है.'' उन्होंने कहा कि अभी तक बीजेपी का एजेंडा विकास था लेकिन अब उसका स्थान राम मंदिर मुद्दे ने ले लिया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से गत वर्ष घोषित ऋण माफी का लाभ किसानों तक नहीं पहुंचा.

शीर्ष अदालत से कहा गया, ‘हिन्दू तालिबान’ ने बाबरी मस्जिद ढहाई
इस बीच कोर्ट में अयोध्या मंदिर-मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. 13 जुलाई को इस मामले से जुड़े एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जिस तरह अफगानिस्तान के बामियान में तालिबान ने बुद्ध की मूर्ति को ध्वस्त किया, वैसे ही ‘‘हिन्दू तालिबान’’ ने बाबरी मस्जिद ढहाई.

इस मामले के मुख्य याचिककर्ताओं में से एक दिवंगत एम सिद्दीक के कानूनी वारिसों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ से कहा कि कोई भी कानून या संविधान किसी धर्म के धार्मिक ढांचे को तोड़ने की अनुमति नहीं देता.

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अयोध्या केस की अगली सुनवाई 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होगी. (फाइल फोटो)

शिया केन्द्रीय वक्फ बोर्ड की मंशा पर सवाल
राजीव धवन ने इस मामले से शिया केन्द्रीय वक्फ बोर्ड के संबंध पर भी सवाल उठाये. उन्होंने ये टिप्पणियां उस समय कीं जब शिया बोर्ड ने पीठ से कहा कि इस महान देश में ‘‘शांति , सौहार्द , एकता और अखंडता’’ के लिये वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा मुस्लिमों को दिया गया विवादित भूमि का एक तिहाई हिस्सा हिन्दू समुदाय को दान में देना चाहता है.

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शिया केन्द्रीय वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह अयोध्या के विवादित स्थल की जमीन के मुस्लिम हिस्से के दावेदारों में शामिल हैं क्योंकि बाबरी मस्जिद एक शिया मुस्लिम मीर बाकी द्वारा बनायी गई थी. वकील ने कहा, ‘‘यह मौलिक मुद्दा है. शिया केन्द्रीय वक्फ बोर्ड ने फैसला किया है कि देश की एकता, अखंडता, शांति और सौहार्द के लिये, हम हिन्दू समुदाय को जमीन का एक तिहाई हिस्सा दान में देना चाहते हैं.’’

पहले परोक्ष आरोपों पर जवाब देने से इनकार करने वाले धवन ने बाद में शिया बोर्ड की दलीलों का जवाब दिया और कहा कि 1946 में बाबरी मस्जिद, सुन्नी मस्जिद थी. उन्होंने कहा, ‘‘आप यह दलील नहीं दे सकते कि यह (मस्जिद ढहाना) कुछ अराजक तत्वों ने किया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘1992 में क्या हुआ था? बामियान मूर्ति तालिबान ने ध्वस्त की थी और यह मस्जिद, हिन्दू तालिबान ने ढहाई. यह नहीं किया जा सकता. यह नहीं किया जाना चाहिए था. ऐसा कोई नहीं कर सकता.’’ धवन ने दलील दी कि जिन्होंने मस्जिद गिरायी उन्हें कोई दावा करने से रोका जाना चाहिये क्योंकि ‘‘ किसी को मस्जिद या किसी अन्य धार्मिक ढांचे को ध्वस्त करने का अधिकार नहीं है.’’

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