Maa Durga: नवरात्रि से शुरू करें ये पाठ, मां भगवती प्रदान करती हैं अभेद सुरक्षा कवच
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Maa Durga: नवरात्रि से शुरू करें ये पाठ, मां भगवती प्रदान करती हैं अभेद सुरक्षा कवच

Durga Kavach: मां भगवती रक्षा तो करती ही है इसके साथ ही रोग रूपी शत्रुओं पर विजय दिलाती हैं. पूर्व दिशा में ऐन्द्री अर्थात इन्द्रशक्ति देवी रक्षा करती हैं. पूर्व व दक्षिण के मध्य भाग यानी अग्निकोण में अग्निशक्ति देवी रक्षा करती हैं.

मां दुर्गा

Durga Kavach in Hindi: देवी कवच का पाठ करने वाले को सामान्य से लेकर गंभीर रोगों तक लड़ने की शक्ति प्रदान करती हैं मां भगवती. दुर्गा सप्तशती के कवच का नित्य पाठ करना चाहिए और इसकी शुरुआत नवरात्रि से करना सबसे अच्छा रहता है. आश्विन शुक्ल प्रतिपदा अर्थात 15 अक्टूबर से शुरु हो रही नवरात्रि से आप भी इसका पाठ शुरु कर मां से निरोग काया की कामना कर सकते हैं.

सेहत की दृष्टि से मनुष्यों के लिए यह अमोघ अस्त्र के समान है. पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इसका पाठ करने के साथ ही मनोवैज्ञानिक रूप से सोचना चाहिए कि अब मुझे रोगों में आराम मिल रहा है. मैं ठीक हो रहा हूं और मां मुझे अपना आशीर्वाद दे रही हैं. मेरे ऊपर वह अपनी कृपा बरसा रही हैं. मां भगवती के कवच में शरीर के आंतरिक से लेकर बाहरी अंगों तक की सुरक्षा की बात कही गई है. पाठ करते समय मां भगवती के सामने एक घी का दीपक जलाने के बाद ही पाठ की शुरुआत करनी चाहिए. 

सुरक्षा 

मां भगवती रक्षा तो करती ही है इसके साथ ही रोग रूपी शत्रुओं पर विजय दिलाती हैं. पूर्व दिशा में ऐन्द्री अर्थात इन्द्रशक्ति देवी रक्षा करती हैं. पूर्व व दक्षिण के मध्य भाग यानी अग्निकोण में अग्निशक्ति देवी रक्षा करती हैं. यम की दिशा यानी दक्षिण में वाराही कवच बनकर खड़ी रहती हैं. दक्षिण पश्चिम के मध्य भाग यानी नैर्ऋत्यकोण में खड्गधारिणी रक्षा करती हैं. पश्चिम दिशा में वारुणी देवी रक्षा करती हैं. पश्चिम और उत्तर के मध्यम भाग यानी वायव्य कोण में मृगवाहिनी देवी रक्षा करती हैं. ⁠उत्तर दिशा में कौमारी मां रक्षा करती हैं. पूर्व व उत्तर के मध्य यानी ईशान कोण में शूलधारिणी देवी रक्षा करती हैं. मां ब्रह्माणी देवी ऊपर से रक्षा करती हैं. वैष्णवी देवी नीचे की ओर से रक्षा करती हैं. शव पर चलने वाली चामुंडा देवी दसों दिशाओं में रक्षा करती हैं, जया आगे से और विजया पीछे की ओर से रक्षा करती हैं. वामभाग में अजिता और दक्षिण भाग में अपराजिता देवी रक्षा करती हैं.

प्रार्थना  

देवी कवच की महिमा बड़ी अपार है.  कवच में शरीर के एक एक अंग की रक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है. मां उद्योतिनी शिखा, उमा मस्तक, यशस्विनी देवी भौंहों और भौंहों के मध्यभाग में त्रिनेत्रा,कानों में द्वारवासिनी देवी रक्षा करें. कालिका देवी गाल, भगवती शांकरी कानों, जिह्वा में सरस्वती देवी, दांतों की कौमारी, गले की चंडिका, महामाया तालु, दोनों भुजाओं की वज्रधारिणी, शोक विनाशिनी देवी मन, ललिता देवी हृदय, शूलधारिणी पेट, विन्ध्यवासिनी घुटनो तथा त्वचा की रक्षा वागीश्वरी देवी, पार्वती देवी रक्त, मज्जा, वसा, मांस तथा हड्डी, धर्मधारिणी देवी बुद्धि की रक्षा करती है.

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