Chhath Puja 2018: कल से शुरू छठ पर्व, जानें पूजा के महत्व और व्रत कथा
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Chhath Puja 2018: कल से शुरू छठ पर्व, जानें पूजा के महत्व और व्रत कथा

चार दिन तक चलने वाले सूर्य उपासना का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ शुरू होगा. 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: दिवाली के बाद देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने वाले में से एक त्योहार छठ रविवार (11 नवंबर) से शुरू हो रहा है. चार दिन तक मनाया जाने वाले इस त्योहार को बिहार में महापर्व के नाम से भी जाना जाता है.ये बिहार राज्य के प्रमुख त्योहारों में से एक है. छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान में पहले दिन नहाय-खाए दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य की पूजा और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं.

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चार दिन तक चलने वाले सूर्य उपासना का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ शुरू होगा. इसके बाद खरना होगा, जिसे पूजा का दूसरा व कठिन चरण माना जाता है. इस दिन व्रती निर्जला उपवास रखेंगे और शाम को पूजा के बाद खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करेंगे. अथर्ववेद के अनुसार षष्ठी देवी भगवान भास्कर की मानस बहन हैं. प्रकृति के छठे अंश से षष्ठी माता उत्पन्न हुई हैं. उन्हें बच्चों की रक्षा करने वाले भगवान विष्णु द्वारा रची माया भी माना जाता है.

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पूजा का महत्व 
कार्तिक मास में भगवान सूर्य की पूजा की परंपरा है, शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को छठ पूजा  (Chhath Puja 2018) का विशेष विधान है. इस पूजा की शुरुआत मुख्य रूप से बिहार और झारखंड से हुई है, जो अब देश-विदेश तक फैल चुकी है. अंग देश के महाराज कर्ण सूर्य देव के उपासक थे. अतः परम्परा के रूप में सूर्य पूजा का विशेष प्रभाव इन इलाकों पर दिखता है. कार्तिक मास में सूर्य अपनी नीच राशि में होता है. अतः सूर्य देव की विशेष उपासना की जाती है, ताकि स्वास्थ्य की समस्याएं परेशान न करें. षष्ठी तिथि का सम्बन्ध संतान की आयु से होता है. अतः सूर्य देव और षष्ठी की पूजा से संतान प्राप्ति और और उसकी आयु रक्षा दोनों हो जाती हैं. इस माह में सूर्य उपासना से वैज्ञानिक रूप से हम अपनी ऊर्जा और स्वास्थ्य का बेहतर स्तर बनाए रख सकते हैं. इस बार छठ पूजा 13 नवंबर को की जाएगी.

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छठ व्रत कथा
छठ पर्व के लिए कई कथाएं प्रचलित हैं, किन्तु पौराणिक शास्त्रों में इसे देवी द्रोपदी से जौड़कर देखा जाता है. मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हार गए, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा था. द्रोपदी के व्रत के फल से पांडवों को अपना राजपाट वापस मिल गया था. इसी तरह छठ का व्रत करने से लोगों के घरों में समृद्धि और सुख आता है. छठ मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश सहित कई क्षेत्रों में छठ का महत्व है. छठ पूजा या सूर्य षष्ठी या छठ व्रत में सूर्य भगवान की पूजा होती है और धरती पर लोगों के सुखी जीवन के लिए सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है. सूर्य देव को ऊर्जा और जीवन शक्ति का देवता माना जाता है. इसलिए छठ पर्व पर समृद्धि के लिए पूजा की जाती है.

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