नवरात्र 2018: विन्ध्याचल पर्वत पर विराजमान हैं आदिशक्ति मां दुर्गा, पूरी होती है हर मुराद
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नवरात्र 2018: विन्ध्याचल पर्वत पर विराजमान हैं आदिशक्ति मां दुर्गा, पूरी होती है हर मुराद

विन्ध्यपर्वत और पापनाशिनी मां गंगा के संगम तट पर विराजमान मां विंध्यवासिनी शैलपुत्री के रूप में दर्शन देकर अपने सभी भक्तों का कष्ट दूर करती है.

मां अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेती हैं.

नई दिल्ली/मिर्जापुर: आदिशक्ति जगदम्बा का परम धाम विन्ध्याचल केवल एक तीर्थ नहीं बल्कि प्रमुख शक्तिपीठ है. हर साल नवरात्र में लगने वाले विशाल मेले में दूर-दूर से भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं. बुधवार (10 अक्टूबर) को उदया तिथि में मान होने के कारण ये शारदीय नवरात्र 10 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक नौ दिनों का है. मेला भोर में मंगला आरती से आरम्भ हो गया है. 

नवरात्र में आदिशक्ति के नौ रूपों की आराधना की जाती है. पहले दिन हिमालय की पुत्री पार्वती अर्थात शैलपुत्री के रूप में आदिशक्ति का सविधि पूजन अर्चन करने का विधान है. प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली मां का ये स्वरूप सभी के लिए वन्दनीय है. विन्ध्यपर्वत और पापनाशिनी मां गंगा के संगम तट पर विराजमान मां विंध्यवासिनी शैलपुत्री के रूप में दर्शन देकर अपने सभी भक्तों का कष्ट दूर करती है. नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालुओं ने पूरी श्रद्धा के साथ आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन किया. घंटी घड़ियालों से पूरा विन्ध्य क्षेत्र गुंजायमान रहा.

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अनादिकाल से भक्तों के आस्था का केंद्र बनें विन्ध्यपर्वत और पतित पावनी मां भागीरथी के संगम तट पर श्रीयंत्र पर विराजमान मां विंध्यवासिनी का प्रथम दिन शैलपुत्री के रूप में पूजन व अर्चन किया जाता है. 

शैल का अर्थ पहाड़ होता है. कथाओं के अनुसार, पार्वती पहाड़ों के राजा हिमालय की पुत्री थी. पर्वत राज हिमालय की पुत्री को शैलपुत्री भी कहा जाता है. उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल है. भारत के मानक समय के लिए बिन्दु के रूप में स्थापित विन्ध्यक्षेत्र में मां को विन्दुवासिनी अर्थात विंध्यवासिनी के नाम से भक्तों के कष्ट को दूर करने वाला माना जाता है. 

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प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली मां शैलपुत्री सभी के लिए आराध्य हैं. आठ दिन मां दुर्गा मन, वचन, कर्म सहित इस शरीर के नौ द्वार से मां सभी भक्तों की मनोकामना को पूरा करती हैं. सिद्धपीठ में देश के कोने-कोने से ही नहीं विदेश से आने वाले भक्त मां का दर्शन पाकर निहाल हो उठते हैं. नवरात्र में मां के अलग-अलग रूपों की पूजा कर भक्त सभी कष्टों से छुटकारा पाते हैं. माता के किसी भी रूप में दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नई ऊर्जा, नया उत्साह व सदविचार का संचार होता है और मां अपने भक्तों के सारे कष्टों का हर लेती है. 

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