Sawan Somwar 2023: शिव ही एकमात्र ऐसे देव हैं जो वैरागी, अघोरी के साथ ही गृहस्थ भी हैं. इनका पूरा परिवार समरसता का प्रतीक है. परिवार में विरोधी तत्व भी प्रेम के साथ रहते हैं. पारिवारिक समरसता का प्रतीक होने के कारण ही अभिषेक को पूरा परिवार एकता के सूत्र में बांध कर रखता है.
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Sawan Month 2023: पवित्र श्रावण मास चल रहा है. सभी जानते हैं कि 12 महीनों में से सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित है. सावन का प्रारंभ भी श्रवण नक्षत्र से होता है और सूर्य दक्षिणायन होने के साथ ही शिव भक्ति प्रारम्भ हो जाती है. यह सारे संयोग यूं ही नहीं हैं, बल्कि इसमें भी कुछ खास है. कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों है? आखिर इसमें क्या खास है. सावन की परंपराओं के पीछे कुछ कारण छिपे हैं. इस लेख में उन्हीं बातों को जानने की कोशिश करेंगे.
पौराणिक मान्यता के अनुसार, सावन मास में समुद्र मंथन किया गया और समुद्र मंथन से निकले विष का पान महादेव ने किया था. विष के ताप को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने महादेव का जलाभिषेक किया. सावन के महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व है. इसी कारण प्रकृति भी इस महीने में जल वर्षा करती है.
शिव ही एकमात्र ऐसे देव हैं जो वैरागी, अघोरी के साथ ही गृहस्थ भी हैं. इनका पूरा परिवार समरसता का प्रतीक है. परिवार में विरोधी तत्व भी प्रेम के साथ रहते हैं. जैसे गणपति का चूहा और महादेव का भुजंग. जहां भुजंग वहीं कार्तिकेय का मोर, शिव के वृष यानी बैल तो वहीं माता पार्वती के सिंह सभी एक दूसरे का भक्षण करने वाले शिव परिवार में रहकर एक दूसरे का रक्षण करते हैं. सावन में हम शिवजी की पूजा तो करते हैं, किंतु उनके परिवार से कुछ सीखते नहीं हैं. जिस तरह उनके परिवार में सभी प्रेम से रहते हैं. ऐसे ही हमें भी रहना चाहिए.
एक और गूढ़ बात है कि समस्त ग्रह शिव परिवार में शामिल हैं. ग्रहों के राजा सूर्य स्वयं महादेव हैं. चंद्रमा उनके शीश पर विराजित हैं. कार्तिकेय स्वयं मंगल है और बुध राजकुमार गणेश. गुरु के रूप में नंदी और शुक्र माता पार्वती हैं. न्याय के देवता शनि भोलेनाथ का त्रिशूल हैं, जिससे वह दंड देते हैं. राहु सर्प का मुख और केतु सर्प की पूंछ जो कि शिवजी का आभूषण हैं. रुद्र का अभिषेक यानी रुद्राभिषेक सर्वफलदायी होता है. इसको करने से समस्त ग्रह शांत, प्रसन्न एवं संतुष्ट हो जाते हैं. पारिवारिक समरसता का प्रतीक होने के कारण ही अभिषेक को पूरा परिवार एकता के सूत्र में बांध कर रखता है. रुद्राभिषेक में सगे-संबंधियों एवं पड़ोसियों को भी आमंत्रित किया जाता है.
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