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नई दिल्ली: दुनिया कब खत्म होगी. प्रलय कब आएगी. धरती का खात्मा कब होगा? ऐसे सवालों का सही जवाब आजतक कोई नहीं दे पाया है. हालांकि इस गूढ़ रहस्य को लेकर अक्सर कयासबाजी जरूर होती रहती है. वैज्ञानिकों के अलावा ऐसी पहेलियों को सुलझाना आसान नहीं होगा. इस बीच वैज्ञानिकों ने दुनिया की वर्तमान हालत और पर्यावरण को लेकर चिंता जताते हुए एक बार फिर कुछ अनुमान साझा किए हैं.
समुंदर के बढ़ते जल स्तरों के बीच दुनिया के कई शहरों के डूबने की चेतावनी कई बार जारी हो चुकी है. इस सूची में मुंबई समेत भारत के कई शहर भी शामिल हैं. वहीं ग्लेशियरों के पिघलने और कोरोना महामारी जैसी आपदाओं के बीच धरती और भविष्य में और भी खतरों का अंदेशा जताया गया है.
दरअसल वैज्ञानिकों ने इस सदी के अंत तक धरती पर भयानक आपदाएं आने की बात कही है. साइंस वर्ल्ड से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी मैगजीन नेचर (Nature) ने हाल ही में एक सर्वे कराया था. जिसमें दुनिया के टॉप साइंटिस्ट ने हिस्सा लिया. IPCC की क्लाइमेट रिपोर्ट बनाने वाले वैज्ञानिकों ने इस शोध में चेतावनी दी है कि जिस तरह ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ी है, उस हिसाब से साल 2100 तक धरती पर भयानक बदलाव होंगे. जो किसी प्रलय से कम नहीं होंगे.
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IPCC की क्लाइमेट रिपोर्ट को दुनिया के 234 साइंटिस्ट ने मिलकर बनाया है. शोध में शामिल एक रिसर्चर पाओला एरियास के मुताबिक, जितनी तेजी से दुनिया बदल रही है. लोगों की जरूरतें बदल रही हैं. प्राकतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है. प्रदूषण और गर्मी बढ़ रही है, उस हिसाब से तो जीना मुश्किल होने वाला है. उसकी रफ्तार के हिसाब से धरती को बचाया नहीं जा सकता. प्राकृतिक आपदाओं के चलते सामूहिक स्तर पर लोग विस्थापित हो रहे हैं. IPCC की क्लाइमेट रिपोर्ट में जो बातें कही गई हैं, उनके हिसाब से इंसानों के पास धरती को बचाने के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है.
A Nature survey reveals that many authors of the latest IPCC climate-science report are anxious about the future and expect to see catastrophic changes in their lifetimes. https://t.co/2XOAMwqLkG
— nature (@Nature) November 1, 2021