आइसलैंड के रहवासी क्षेत्र में फटा ज्वालामुखी, प्लेन रास्तों के हुए 2-3 फाड़.. अब आगे क्या होगा?
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आइसलैंड के रहवासी क्षेत्र में फटा ज्वालामुखी, प्लेन रास्तों के हुए 2-3 फाड़.. अब आगे क्या होगा?

 Volcano Eruption Grindavik: आइसलैंड के ग्रिंडाविक शहर में ज्वालामुखी फटा है. ये शहर देश की राजधानी रेक्जाविक से 40 किलोमीटर की दूरी पर है. ये ज्वालामुखी रहवासी क्षेत्र में फटा है, इस घटना से वहां के रास्तों का 2-3 फाड़ हो गया है. ये दरार लगभग 3.5 किमी लंबा है, जिससे लगातार 100 से 200 क्यूबिक मीटर पर सेकंड लावा निकल रहा है.

आइसलैंड के रहवासी क्षेत्र में फटा ज्वालामुखी, प्लेन रास्तों के हुए 2-3 फाड़.. अब आगे क्या होगा?

Iceland Volcano Eruption: आइसलैंड के ग्रिंडाविक शहर में सोमवार को ज्वालामुखी फटा है. ये वाल्कैनिक इरप्शन इस शहर के सबसे ज्यादा हिस्से वाले क्षेत्र में हुआ है. ग्रिंडाविक शहर देश की राजधानी रेक्जाविक से 40 किलोमीटर की दूरी पर है. इस ज्वालामुखी के फटने की दरार लगभग 3.5 किमी का है, क्रेक वाली जगह से लगभग 100 से 200 क्यूबिक मीटर पर सेकंड लावा निकल रहा है. ये दरार और बढ़ता जा रहा है. अनुमान है कि ये लावा रेकजाविक शहर तक भी पहुंच सकता है. 

24 घंटे पहले 800 से ज्यादा बार भूकंप
अच्छी बात ये है कि इस घटना से किसी के भी हताहत होने की खबर नहीं है. इसका मुख्य कारण ये है कि आइसलैंड का प्रशासन समय से पहले एलर्ट हो गया था. देश के मौसम विभाग ने बताया है कि ये ज्वालामुखी फटने से 24 घंटे पहले 800 से ज्यादा बार भूकंप के झटके महसूस किये गए हैं.

पहले से ही प्रशासन था तैयार
आइसलैंड के प्रशासन को लोगों से इस इलाके के आसपास भी भटकने से मना कर दिया था. भूकंप की चेतावनी से सरकार ने एक महीने पहले ही करीब 4 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया था.
वहां के मौसम विभाग के मुताबिक नवंबर में ग्रिंडाविक शहर की जमीन के नीचे 10 किमी लंबा लावा बह रहा था. ये जमीन की सतह से लगभग 800 मीटर नीचे था. दो महीने पहले से ही जमीन धंसने लगी थी. सीधी और प्लेन बनी सड़कें दो से तीन हिस्सों में बंटकर ऊपर-नीचे हो गए थे. इन दरारों से गर्म गैस निकल रही थीं.

एक्सपर्ट्स की बातें
आइसलैंड यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ अर्थ साइंसेस के एसोसिएट प्रोफेसर हैल्डोर गैरिसन ने बताया है कि रेकजाविक प्रायद्वीप में छह अलग-अलग तरह के ज्वालामुखी सिस्टम हैं. सोमवार को जो विस्फोट हुआ है, वो स्वार्तसेंगी ज्वालामुखी सिस्टम (Svartsengi Volcanic System) का हिस्सा है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक 2000 सालों के बाद इस जगह पर वाल्कैनिक इरप्शन हुआ है. 

क्या होगा आगे?
ताजा जानकारी के अनुसार मंगलवार से ये ज्वालामुखी कमजोर हो रहा है. वहां की स्थानीय टीमें लगी हुई है. लागातार लोगों को वहां के संभावित खतरों के बारे में बताया जा रहा है. 

क्या होता है वाल्कैनिक इरप्शन?
पृथ्वी की सतह पर मौजूद नेचुरल क्रेक्स ही ज्वालामुखी होता है. इसी दरार से पृथ्वी के सतह के नीचे जो आंतरिक भाग में ही पिघला हुआ पदार्थ जैसे मैग्मा, राख और लावा इत्यादि विस्फोट के दौरान बाहर निकलता है. विश्व का सबसे एक्टिव ज्वालामुखी माउंट एटना है, जो इटली देश में स्थित है.

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