मंगल ग्रह पर यह कैसा भूत चढ़ गया! सूरज की तरह अंतरिक्ष में करने लगा 'उल्टियां'
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मंगल ग्रह पर यह कैसा भूत चढ़ गया! सूरज की तरह अंतरिक्ष में करने लगा 'उल्टियां'

Mars Atmosphere Study: वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि जिस तरह सूर्य से विस्फोटक कोरोनल मास निकलता है, उसी तरह मंगल ग्रह भी अंतरिक्ष में मटेरियल भेज रहा है.

मंगल ग्रह पर यह कैसा भूत चढ़ गया! सूरज की तरह अंतरिक्ष में करने लगा 'उल्टियां'

Mars Planet: मंगल ग्रह के वायुमंडल से जुड़ी नई खोज हैरान कर रही है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, मंगल अपने वायुमंडल से  अंतरिक्ष में मटेरियल फेंक रहा है. काफी कुछ उसी तरह जैसे सूरज से कोरोनल मास इजेक्शन (CME) होता है. मंगल पर ऐसा होना चौंकाता है क्योंकि इस लाल ग्रह का कोई ओवरऑल मैग्नेटिक फील्ड नहीं है. जब सूरज जैसे किसी तारे के चारों तरफ मौजूद आयनाइज्ड गैस (प्लाज्मा) में मैग्नेटिक फील्ड अचानक दिशा बदलती है या दो टुकड़ों में बंट जाती है, तो ऊर्जा का एक बड़ा विस्फोट हो सकता है जिससे अंतरिक्ष में प्लाज्मा लॉन्च होता है. इस प्रक्रिया को कोरोनल मास इजेक्शन कहते हैं. सूर्य जैसे तारों में देखी जाने वाली यह प्रक्रिया मंगल के ऊपरी वायुमंडल में भी देखी गई है जो प्लाज्मा से भरा हुआ है. ऐसा तब है जब मंगल पर कहीं-कहीं ही चुंबकीय क्षेत्र मौजूद है, सूर्य की तरह ग्लोबल मैग्नेटिक फील्ड नहीं है. 

वैज्ञानिकों ने अभी तक मंगल से मास इजेक्शन होते हुए नहीं देखा था. अब ताइवान में इंस्टीट्यूट ऑफ अर्थ साइंसेज के लोऊ चुआंग ली और उनके साथियों ने मंगल से तीन विस्फोटक मास इजेक्शन दर्ज किए हैं. उन्होंने NASA के Mars Atmosphere and Volatile Evolution सैटेलाइट के डेटा इस्तेमाल किया. रिसर्चर्स ने पाया कि 2014, 2016 और 2019 में मंगल से मास इजेक्शन हुआ था. यह स्टडी पिछले महीने Nature Astronomy जर्नल में छपी है.

मंगल जैसे अन्य ग्रहों पर भी हो रहा ऐसा?

सूर्य के मास इजेक्शन बेहद घने होते हैं इसलिए रोशनी को प्रतिबिंबित करते हैं. उन्हें पृथ्वी से देखा जा सकता है. हालांकि, मंगल के मास इजेक्शन को देख पाना बड़ा मुश्किल है. इसलिए रिसर्चर्स ने आयनोस्फीयर के उन इलाकों में देखा जहां प्लाज्मा मौजूद नहीं था. ली और उनके साथियों को लगता है कि मंगल पर मास इजेक्शन उसके लुंज चुंबकीय क्षेत्र और सौर हवा में टकराव से होता है. ली के मुताबिक, ये इजेक्शन सूर्य की तुलना में बेहद छोटे हैं इसलिए वे धरती के सैटेलाइट्स को प्रभावित नहीं करेंगे. UK की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के मैथ्‍यू ओवेंस ने न्यू साइंटिस्ट से कहा कि अगर मंगल के वायुमंडल में ऐसा हो रहा है तो शायद उससे मिलते-जुलते अन्य ग्रहों पर भी यही होता हो. 

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