मशहूर भारतीय वैज्ञानिक को मिला पहला सुनहाक शांति पुरस्कार
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मशहूर भारतीय वैज्ञानिक को मिला पहला सुनहाक शांति पुरस्कार

भारत और कई देशों में मत्स्य पालन के क्षेत्र में अग्रणी काम करने वाले प्रसिद्ध भारतीय कृषि वैज्ञानिक डॉ एम. विजय गुप्ता को नोबेल पुरस्कार के विकल्प के तौर पर देखे जा रहे पहले सुनहाक शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्होंने द्वीपीय देश किरिबाती के राष्ट्रपति के साथ साझा किया।

मशहूर भारतीय वैज्ञानिक को मिला पहला सुनहाक शांति पुरस्कार

सोल : भारत और कई देशों में मत्स्य पालन के क्षेत्र में अग्रणी काम करने वाले प्रसिद्ध भारतीय कृषि वैज्ञानिक डॉ एम. विजय गुप्ता को नोबेल पुरस्कार के विकल्प के तौर पर देखे जा रहे पहले सुनहाक शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्होंने द्वीपीय देश किरिबाती के राष्ट्रपति के साथ साझा किया।

76 साल के गुप्ता और किरीबाती के राष्ट्रपति अनोते टोंग को यहां एक भव्य समारोह में संयुक्त रूप से दस लाख डॉलर की पुरस्कार राशि दी गयी। समारोह में दुनिया भर के गणमान्य लोग शामिल हुए।

प्रशांत महासागर में स्थित द्वीपीय देश के 63 साल के राष्ट्रपति टोंग को छोटे द्वीपीय देशों के लिए अभिशाप साबित हो रहे कार्बन उत्सर्जन को खत्म करने को लेकर उनके दृढ़ संघर्ष के लिए यह पुरस्कार दिया गया। किरिबाती 2050 तक बढ़ते समुद्रीय जल में डूबने के गंभीर खतरे का सामना कर रहा है।

पुरस्कार दक्षिण कोरिया की धार्मिक नेता डॉ. हाक जा हान मून ने प्रदान किया। मून दिवंगत रेव सुन म्यूंग मून की पत्नी हैं जिन्होंने लोगों की भलाई के लिए ठोस प्रयास कर रहे लोगों के काम को मान्यता देने के लिए पुरस्कार की स्थापना की थी।

आंध्र प्रदेश के बापतला के रहने वाले गुप्ता एक जीवविज्ञानी हैं और उन्हें मीठे पानी में मत्स्यपालन के लिए कम लागत की तकनीकों के विकास एवं प्रसार के लिए 2005 में विश्व खाद्य पुरस्कार दिया गया था। वह सेवानिवृत्त होने से पहले वर्ल्डफिश नाम के एक अंतरराष्ट्रीय मत्स्य पालन शोध संस्थान में सहायक महानिदेशक थे।

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