प्रशांत महासागर में समुद्र के बढ़े हुए जलस्तर की मात्रा का इस्तेमाल भविष्य में वैश्विक सतह के बढ़ने वाले तापमान का आकलन करने में किया जा सकता है। यह जानकारी एक नए अध्ययन के जरिए सामने आई है।
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वाशिंगटन : प्रशांत महासागर में समुद्र के बढ़े हुए जलस्तर की मात्रा का इस्तेमाल भविष्य में वैश्विक सतह के बढ़ने वाले तापमान का आकलन करने में किया जा सकता है। यह जानकारी एक नए अध्ययन के जरिए सामने आई है।
प्रशांत महासागर के वर्ष 2015 के जलस्तर के आधार पर, शोधकर्ताओं का आकलन है कि इस साल के अंत तक विश्व की सतह का औसत तापमान वर्ष 2014 की तुलना में 0.28 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा।
शोधकर्ताओं ने कहा कि वर्ष 2015 में ही वैश्विक सतह का औसत तापमान 0.18 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया था।
अमेरिका में ऐरीजोना विश्वविद्यालय के शेरिल पेसर ने कहा, ‘‘हमारी भविष्यवाणी वर्ष 2016 के अंत तक के लिए है। अब तक यह पूर्वानुमान अपने लक्ष्य पर सटीक लग रहा है।’’ इससे पहले वैज्ञानिक जानते थे कि वैश्विक सतह का तापमान बढ़ने की दर और पश्चिमी प्रशांत महासागर में जलस्तर बढ़ने की दर अलग-अलग हैं लेकिन उन्होंने इन दोनों प्रक्रियाओं को आपस में जोड़ा नहीं था।
पेसर ने कहा, ‘‘हम समुद्र के जलस्तर का इस्तेमाल एक अलग तरीके से कर रहे हैं। हम वैश्विक सतह के तापमान का पता लगाने के लिए समुद्र के जलस्तर के प्रारूप में आने वाले बदलावों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसा पहले नहीं किया गया है।’’ शोधकर्ताओं ने समुद्र के जलस्तर के बदलावों के उस मापन का इस्तेमाल किया है, जो वर्ष 1993 से नासा (एनओएए) यूरोपीय उपग्रहों द्वारा किया गया है।