Peregrine Falcon: पक्षियों की बात की जाए तो सबसे हमलावर बाज और चील के बारे में सुना होगा. लेकिन आज हम पेरेग्रिन फाल्कन या रॉकेट बर्ड बारे में जानेंगे. ये 390 km/hr की रफ्तार से शिकार करती है.
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Rocket Bird: आपने अक्सर शिकार करने के बारे में बहुत सी कहानियां सुनी होंगी. जब भी जानवरों के शिकार की चर्चा होती है तो चीता, शेर, बाज़, मगरमच्छ, आदि की बातें होती हैं. आज हम जिस शिकारी की बात करने जा रहे हैं वो एक पक्षी है. आपको जानकर हैरानी होगी की ये पक्षी बहुत तेज रफ्तार से हमला करती है. आमतौर पर माना जाता है कि चीता बहुत स्पीड में हमला करते हैं लेकिन ये पक्षी चीता के पांच गुना रफ्तार से अपने शिकार पर हमला करती है.
उत्तरी अमेरिका में मिलती हैं रॉकेट बर्ड
अगर सिर्फ पक्षियों की बात की जाए तो सबसे हमलावर बाज और चील के बारे में सुना होगा. लेकिन ये एक ऐसी पक्षी है जो इन दोनों पक्षियों से भी तेज हमला करती है. इस चिड़िया का नाम पेरेग्रिन फाल्कन (Peregrine Falcon) है. इसको रॉकेट बर्ड (Rocket Bird) के नाम से भी जाना जाता है. ये आमतौर पर उत्तरी अमेरिका में पाया जाता है. ये कौवे के आकार का होता है.
390 किलोमीटर प्रति घंटा से करती है हमला
पेरेग्रिन फाल्कन अपनी तेज रफ्तार से हमला करने के लिए जाना जाता है. आसमान हो या जमीन रॉकेट बर्ड के हमला करने की औसत रफ्तार 320 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. नेशनल ज्योग्राफिक टीवी प्रोग्राम के मुताबिक इसकी अधिकतम गति 390 Km/hr हो सकती है. इसकी रफ्तार इतनी तेज है कि पलक झपकने से भी कम समय में ये शिकार को गायब कर देता है. इसके शिकार की कला को नंगी आंखों से देखना बहुत मुश्किल है. अगर वीडियो है तो उसे स्लो मोशन में देखा जा सकता है. आपको बता दें कि चीता के हमले की रफ्तार 80-130 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है. वहीं अगर बाज की बात की जाए तो 250-300 किलोमीटर प्रति घंटा होती है.
कैसा दिखता है ये पेरेग्रिन फाल्कन?
रॉकेट बर्ड के शरीर का सामने वाला हिस्सा सफेद होता है लेकिन पीछे से नीले और भूरा रंग का होता है. उसका सिर काले रंग का होता है. इसको डक हॉक (Duck Hawk) के नाम से भी जाना जाता है. इसकी खास बात ये है कि नर पेरेग्रिन फाल्कन मादा की तुलना में छोटे आकार की छोटी होती है. ये चिड़िया 13 से 23 इंच लंबी हो सकती है. इसकी पंख 29-47 इंच का होती है. मादा पेरेग्रिन फाल्कन की वजन 1.5 kg का हो सकता है लेकिन नर का 1kg होता है. वैसे तो धरती पर सबसे ज्यादा ठंडे स्थानों पर मिलती है लेकिन ये पक्षी हर जगह सर्वाइव कर सकती है. रॉकेट बर्ड को जहां शिकार के लिए छोटे जीव मिल जाते हैं ज्यादातर ये चिड़िया वहीं रहना पसंद करती हैं. आमतौर पर ये नदी की घाटियों और तटों पर रहती हैं.
रफ्तार से ही फट जाता है शिकार का फेंफड़ा
जब रॉकेट बर्ड अपनी रफ्तार से किसी दूसरे पक्षी पर शिकार के लिए टूटता है, तब भले इसकी पंजों या चोंच के वार से वह न मरे लेकिन इसकी रफ्तार से पैदा होने वाले दबाव से शिकार पक्षी के फेफड़े फट जाते हैं और वहीं ढेर हो जाता है. ये आम तौर कबूतर, बत्तख, तोते, समुद्री पक्षियों और वेडर्स का शिकार करना पसंद करती हैं. कई बार यह चूहे, गिलहरी, खरगोश आदि का भी शिकार करती हैं. दूर्लभ परिस्थियों में ये छोटे सांप और मगरमच्छ के बच्चे तक का शिकार करते हुए देखा गया है.
इस पक्षी में एक अजूबा ये भी है कि जब ये तेज रफ्तार से उड़ती हैं तो अपनी गति से आंखों को बचाने के लिए तीसरी पुतली का इस्तेमाल करती हैं. यह एक प्राकृतिक चमत्कार से कम नहीं है.