ZEE जानकारी : क्‍यों आता है भूकंप और इससे कितना खतरा है हमें
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ZEE जानकारी : क्‍यों आता है भूकंप और इससे कितना खतरा है हमें

ZEE जानकारी : क्‍यों आता है भूकंप और इससे कितना खतरा है हमें

Mexico में 19 सितम्बर को 7.1 की तीव्रता का भूकंप आया था. इसमें करीब 250 लोगों की मौत हो चुकी है. और आशंका जताई जा रही है कि मौत का आंकड़ा और बड़ा भी हो सकता है. क्योंकि Rescue Opearation अभी भी जारी है. लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि मेक्सिको में इतना बड़ा भूकंप आने के बावजूद करीब 250 लोगों की मौत हुई.अगर वहां के लोग जागरूक ना होते तो मरने वालों की संख्या बहुत ज़्यादा हो सकती थी. इसीलिए इस भूकंप में भारत के लिए बड़ी शिक्षाएं छिपी हुई हैं.

इस घटना को हुए 48 घंटे से ज़्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन Mexico से परेशान करने वाले Videos लगातार आ रहे हैं. Mexico में 19 सितम्बर को आए भूकंप का एक अजीब सा इतिहास है. और इसी इतिहास ने मेक्सिको के लोगों को जागरूक बनाया है. 19 सितम्बर को Mexico के इतिहास में खूनी तारीख के तौर पर याद किया जाता है. 32 वर्ष पहले यानी 19 सितम्बर 1985 को भी Mexico में रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता का भूकंप आया था. जिसमें कम से कम 5 हज़ार लोगों की मौत हुई थी. हालांकि, गैर-आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 1985 में भूकंप की वजह से मरने वालों की संख्या 40 हज़ार से ज़्यादा  थी. उस वक्त Mexico शहर में 412 इमारतें पूरी तरह बर्बाद हो गई थीं, जबकि, 3 हज़ार से ज़्यादा इमारतों को नुकसान पहुंचा था.

32 साल बाद इसी तारीख को मेक्सिकों में जब फिर से भूकंप आया तो 50 से ज़्यादा इमारतें ज़मीन में समा गईं. हमारे पास ऐसी तस्वीरें आई हैं, जिसमें सड़क पर खड़े लोग अपनी आंखों के सामने एक-एक करके इमारतों को नीचे गिरते हुए देख रहे हैं. सबसे दुखद हादसा Mexico के एक Primary School में हुआ है. जहां School की इमारत गिरने से 21 बच्चों की मौत हो गई. भूकंप के झटके कितने तेज़ थे इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि Mexico City में बहने वाली नदी का पानी समुद्र की लहरों की तरह उछलने लगा था.

नदी के अंदर नाव पर सवार लोगों को ये समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर करें तो क्या करें क्योंकि, एक मिनट से भी ज़्यादा देर तक नदी के पानी में तेज़ लहरें उठती रहीं. इस प्राकृतिक आपदा में आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या अभी तक करीब 250 बताई जा रही है. लेकिन अगर वहां के लोग जागरूक ना होते तो ये संख्या इससे कहीं ज़्यादा भी हो सकती थी. वर्ष 1985 के भूकंप के बाद Mexico में हर वर्ष 19 सितम्बर को, भूकंप से बचाव के लिए Mock Drill का आयोजन किया जाता है. जिसमें लोगों को ये बताया जाता है, कि भूकंप की स्थिति में खुद को कैसे बचाएं ? दो दिन पहले भी Mexico में एक ऐसा ही Mock Drill चल रहा था, लेकिन उसी दौरान भूकंप आ गया. वहां के कई स्थानीय लोगों का ये दावा है कि इस Mock Drill की वजह से भी कई लोगों की जान बच गई.

अक्सर भूकंप आने के बाद ये विश्लेषण किया जाता है कि भूकंप का केंद्र कहां था? रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता कितनी थी और कितने लोगों की मौत हुई? भारत में फिलहाल कोई भूकंप नहीं आया है. लेकिन देश के मीडिया को भूकंप आने का इंतज़ार नहीं करना चाहिए. हम आपको भूकंप आने से पहले ही उससे जुड़ी तमाम ज़रुरी बातें और भूकंप के दौरान बचने के तरीके बता रहे हैं. ताकि आपको पता रहे, कि ऐसी स्थिति में क्या करना है और क्या नहीं करना है. इसके लिए हम सबसे पहले Mexico में आए भूकंप की तस्वीरों की मदद लेंगे. कुदरत की ये विनाशलीला भी किसी शिक्षक से कम नहीं है.

यहां आपको ये बताना ज़रुरी है कि Mexico में आए भूकंप में अब तक किसी भारतीय के मरने या घायल होने की ख़बर नहीं मिली है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कल ही इस बात की जानकारी दे दी थी. अब कुछ सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं. पहला सवाल ये है, कि Mexico में भूकंप क्यों आता है ? आपको ये जानकर हैरानी होगी, कि 21 अप्रैल 1776 से लेकर 19 सितम्बर 2017 तक Mexico में एक या दो नहीं बल्कि पूरे 67 बार भूकंप आ चुका है. और लगभग हर बार भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6 से ज़्यादा ही थी. इसकी सबसे बड़ी वजह है Mexico का एक ऐसी जगह पर होना जिसे Sub-duction Zone कहते हैं.

Sub-duction Zone पृथ्वी पर एक ऐसा इलाका होता है, जहां Tectonic Plates के बीच टक्कर की घटनाएं सबसे ज़्यादा होती हैं. आसान भाषा में समझें तो Mexico के नीचे धरती की जो Plates हैं वो Unstable हैं और धीरे-धीरे नीचे की ओर धंस रही है. यही वजह है, कि यहां पर भयानक भूकंप आने की आशंका लगातार बनी रहती है. वैसे ये सिर्फ Mexico की समस्या नहीं है. दुनिया के अलग-अलग हिस्से भी भूकंप वाली प्राकृतिक आपदा से पीड़ित हैं और भारत भी उन्हीं में से एक देश है.
भारत के 22 राज्य Multi Disaster Zone में आते हैं यानी वो जगह जहां एक से अधिक प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं या आ चुकी हैं. भारत के 633 ज़िले प्राकृतिक आपदा के लिहाज़ से बेहद संवेदनशील हैं. भारत के 59 फीसदी हिस्से में कभी भी भूकंप आ सकता है. Mexico में जिस तरह का भूकंप आया है.अगर उस तरह का भूकंप दिल्ली, मुंबई या दूसरे किसी महानगर में आ जाए. तो फिर क्या होगा.इस सवाल का जवाब काफी डरावना है. और इससे जुड़े तमाम पहलुओं को समझने से पहले आपके लिए ये जानना ज़रूरी है कि देश के अलग अलग हिस्सों में भूकंप का कितना ख़तरा है.

भूकंप के खतरे को बताने के लिए देश को पांच Zones में बांटा गया है

  • Zone- 1 का मतलब है कि जहां भूकंप का खतरा सबसे कम है
  • Zone- 2 का मतलब है कि Low Intensity के झटके वाले इलाके यानी यहां पर 4 से कम तीव्रता के झटके आते हैं
  • Zone- 3 का मतलब है कि Moderate Intensity यानी भूकंप के हल्के झटके.यहां 7 तीव्रता तक के झटके आ सकते हैं
  • Zone- 4 का मतलब है कि Severe Intensity यानी जहां भूकंप का खतरा ज़्यादा है.यहां 8 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है
  • Zone- 5 का मतलब है कि Very Severe Intensity. यानी भूकंप का ख़तरा इन इलाक़ों में बहुत ज़्यादा होता है.यहां 9 से ऊपर की तीव्रता का भूकंप आ सकता है.

अब हम आपको पूरे देश की तस्वीर दिखाते हैं. ताकि आप जान जाएं कि भूकंप का ख़तरा कहां ज़्यादा है और कहां कम है. आप ये मैप देखकर तय कर सकते हैं कि आपका घर कहां पर है और वहां कितना ख़तरा है. मैप में आपको लाल रंग का जो हिस्सा दिखाई दे रहा है. वो Zone 5 का इलाका है.यानी यहां भूकंप का ख़तरा सबसे ज़्यादा है. इसमें भारत के उत्तर-पूर्व राज्यों के साथ साथ जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरी बिहार का इलाका और अंडमान -निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं. मैप में आपको जो नारंगी रंग का हिस्सा दिखाई दे रहा है. वो Zone 4 का इलाका है. यानी यहां भी भूकंप का ख़तरा ज़्यादा है. इसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश का उत्तरी इलाका, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात के कई हिस्से, पश्चिमी महाराष्ट्र और दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान शामिल हैं

मैप में आपको जो नीले रंग का हिस्सा दिखाई दे रहा है. वो Zone3 का इलाका है. यानी यहां भूकंप का ख़तरा थोड़ा कम है. इसमें केरल, गोवा, उत्तर प्रदेश के कुछ इलाके, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र का एक बड़ा हिस्सा, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं. इसके अलावा देश का बाकी बचा हुआ हिस्सा Zone 2 में आता है. जहां भूकंप का ख़तरा काफी कम रहता है.

देश की राजधानी दिल्ली High-Risk वाले Seismic Zone IV के अंदर आती है. अगर रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता का भूकंप आए तो दिल्ली के 6.5 फीसदी मकान पूरी तरह ढह जाएंगे, जबकि 85 फीसदी मकानों को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचेगा. दिल्ली की ज़्यादातर इमारतें भूकंप को नहीं झेल सकती. IIT रुड़की के एक रिसर्च में सामने आया था कि अगर 7 की तीव्रता से ज़्यादा का भूकंप आया तो दिल्ली में यमुना के आसपास के इलाकों में बहुत ज़्यादा नुकसान होगा. अब यहां एक बड़ा सवाल ये भी है कि आपको ये कैसे पता चलेगा कि आपका मकान भूकंप का सामना कर सकता है या नहीं. ये एक बड़ा मुद्दा है. इस बारे में एक्सपर्ट से बात करके हम कुछ महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं.

आप सबसे पहले अपने मकान की जगह की Soil Testing कराएं मिट्टी की जांच से पता चलेगा कि मकान की बोझ सहने की क्षमता क्या है ? ये जांच आप सरकारी या प्राइवेट एजेंसी से करा सकते हैं.. इसके अलावा तमाम Independent Surveyer भी होते हैं.  जांच से ये पता चलता है कि आपके मकान की मिट्टी प्रति Square सेंटीमीटर. कितना वज़न उठा सकती है.  जांच से ये भी पता चलता है कि ये जगह कंस्ट्रक्शन के लिए ठीक है या नहीं. इस इलाके में पानी का स्तर कितना है और Water Level और बोझ सहने की क्षमता का सही अनुपात क्या है.

भूकंप कभी भी और कहीं भी आ सकता है और भूकंप के आने का अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता, लेकिन अचानक भूकंप आने पर अगर हिम्मत और सूझबूझ से काम लिया जाए तो अपनी और दूसरों की जान बचा सकते हैं. हम आपको बताते हैं कि भूकंप आ जाए तो क्या करना चाहिए. ऐसी स्थिति में आपको फौरन घर, दफ्तर या स्कूल से निकलकर खुले मैदान की तरफ भागना चाहिए. बाहर जाने के लिए लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें. बाहर जाना संभव न हो तो टेबल बेड या किसी डेस्क जैसे मजबूत फर्नीचर के नीचे घुस जाएं. कोई मजबूत चीज न हो तो दीवार से सटकर खड़े हो जाएं और अपने सिर को किसी मज़बूत चीज़ से ढक लें.  अगर आप मलबे के ढेर में दब गए हैं तो माचिस कभी न जलाएं. न तो हिलें और न ही किसी चीज को धक्का दें. मलबे में दबे होने की स्थिति में किसी पाइप या दीवार पर धीरे धीरे थपथपाएं. ताकि राहतकर्मी आपको ढूंढ सकें. और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि शोर न मचाएं क्योंकि चीखने-चिल्लाने पर आपकी सांसों में दम घोंटने वाली धूल जा सकती है.

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