First triple century in Test: टेस्ट क्रिकेट में किसी भी खिलाड़ी का सपना तिहरा शतक लगाना होता है. वेस्टइंडीज के ब्रायन लारा को छोड़ दें तो अब तक कोई भी 400 रन के आंकड़े को नहीं छू पाया. इस दौरान 4 खिलाड़ियों ने सर्वाधिक 2-2 बार 300 रन का आंकड़ा पार किया है.
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First triple century in Test: टेस्ट क्रिकेट में किसी भी खिलाड़ी का सपना तिहरा शतक लगाना होता है. वेस्टइंडीज के ब्रायन लारा को छोड़ दें तो अब तक कोई भी 400 रन के आंकड़े को नहीं छू पाया. अब तक 31 तिहरे शतक टेस्ट में लगे हैं. इस दौरान 4 खिलाड़ियों ने सर्वाधिक 2-2 बार 300 रन का आंकड़ा पार किया है. ये प्लेयर्स ऑस्ट्रेलिया के डॉन ब्रैडमैन, भारत के वीरेंद्र सहवाग, वेस्टइंडीज के क्रिस गेल और ब्रायन लारा हैं. सहवाग ने 2004 में पाकिस्तान के खिलाफ मुल्तान में 309 रन की पारी खेली थी. उसके बाद उन्होंने 2008 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ चेन्नई में 319 रन बनाए थे.
टेस्ट में पहला तिहरा शतक
अब बात करें टेस्ट क्रिकेट के पहले तिहरे शतक की यह 1930 में लगा था. इंग्लैंड के प्लेयर एंडी सैंडहैम ने यह उपलब्धि हासिल की थी. उन्होंने यह कारनामा 1930 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए एक टेस्ट मैच में हासिल किया था. यह एक ऐसा रिकॉर्ड था जिसने क्रिकेट जगत को दशकों तक चकित किया. इसके करीब 3 महीने बाद ही डॉन ब्रैडमैन ने ऑस्ट्रेलिया के लिए तिहरा शतक ठोक दिया था.
600 मिनट तक की थी बल्लेबाजी
सैंडहैम ने वेस्टइंडीज के खिलाफ किंग्सटन के सबीना पार्क में 325 रन बनाए थे. उन्होंने अपनी पारी में 640 गेंदों का सामना किया था. इस दौरान सैंडहैम ने 600 मिनट तक बल्लेबाजी की थी. उनके बल्ले से 28 खूबसूरत चौके निकले थे. सैंडहैम को लीस एमेस का साथ मिला था. एमेस ने 174 बॉल पर 149 रन बनाए थे. इंग्लैंड ने पहली पारी में 258.2 ओवरों का सामना किया और 849 रन बनाए. वेस्टइंडीज ने इसके बाद पहली पारी में 286 रन बनाए. इंग्लैंड ने फिर दूसरी पारी में भी बल्लेबाजी की और 9 विकेट पर 272 रन बनाकर उसे घोषित कर दिया. विंडीज ने दूसरी पारी में 5 विकेट पर 408 रन बनाए. उसके लिए दूसरी पारी में जॉर्ज हैडली ने 223 रन बनाए थे. यह मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ था. यह मैच सात दिनों तक चला था.
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क्यों था यह तिहरा शतक इतना खास?
एक नया अध्याय: उस समय तक टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक लगाना ही एक बड़ी बात मानी जाती थी. सैंडहैम का तिहरा शतक टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू करने वाला था.
इंग्लैंड के लिए गौरव: क्रिकेट के जनक कहे जाने वाले देश देश के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि थी. इसने इंग्लैंड क्रिकेट को एक और ज्यादा मशहूर कर दिया.
टेस्ट क्रिकेट की चुनौती: टेस्ट क्रिकेट को क्रिकेट का सबसे कठिन प्रारूप माना जाता है. ऐसे में तिहरा शतक लगाना किसी भी बल्लेबाज के लिए एक बड़ी चुनौती होती है.
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करियर का आखिरी मैच साबित हुआ
सैंडहैन ने जिस टेस्ट मैच में तिहरा शतक लगाया, वह उनके करियर का आखिरी मुकाबला साबित हुआ. सैंडहैन उस टेस्ट के बाद फिर कभी नहीं खेले. उन्होंने अपने करियर में कुल 14 मैच खेले. इस दौरान 38.21 की औसत से 879 रन बनाए. उन्होंने 2 शतक और 3 अर्धशतक लगाए. 20 अप्रैल 1982 को लंदन में उनका निधन हो गया.