इंजीनियरिंग में मचाई थी धूम, अब गेंद की रफ्तार ऐसी कि बल्लेबाजों का छूट जाता है पसीना
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इंजीनियरिंग में मचाई थी धूम, अब गेंद की रफ्तार ऐसी कि बल्लेबाजों का छूट जाता है पसीना

24 वर्षीय इस खिलाड़ी के लिए ड्रेसिंग रूम में यह पहचान का संकट था. साथी खिलाड़ी भी उसे समझाते और डराते थे कि इंजीनियरिंग छोड़ कर क्यों क्रिकेट में अपना समय गंवा रहा है.

रनजीश गुरबाणी नागपुर के रहने वाले हैं (PIC: IANS)

नई दिल्ली: रजनीश गुरबाणी (7/68) की शानदार गेंदबाजी के दम पर विदर्भ ने रणजी ट्रॉफी के दूसरे सेमीफाइनल में गुरुवार को आठ बार की विजेता टीम कर्नाटक को हराकर पहली बार फाइनल में प्रवेश किया है. ईडन गार्डन्स मैदान पर खेले गए इस मैच में विदर्भ ने कर्नाटक को पांच रनों से हराया. विदर्भ का सामना अब फाइनल में दिल्ली से होगा. विदर्भ और कर्नाटक का मुकाबला रोमांचक मोड़ पर था. कर्नाटक को जीत के लिए केवल 87 रनों की जरूरत थी, वहीं विदर्भ को तीन विकेट हासिल करने थे. इन तीन विकेट को विदर्भ ने गुरबानी की बदौलत हासिल कर जीत पाई. अपनी दूसरी पारी में विदर्भ ने 313 रन बनाकर कर्नाटक को 198 रनों का लक्ष्य दिया. 

  1. रनजीश गुरबाणी विदर्भ से क्रिकेट खेलते हैं
  2. विदर्भ पहली बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचा
  3. विदर्भ का मुकाबला फाइनल में दिल्ली से होगा

रजनीश गुरबाणी ने फर्स्ट क्लास करियर में दो बार पांच विकेट लेकर अपनी अब तक की बेस्ट परफॉमेंस दी है. इसकी बदौलत ही केरल मैच मुकाबले से बाहर हुआ. एक ऐसे खेल में जहां आपका पहला इंप्रेशन बहुत ज्यादा अहमियत रखता है, रजनीश गुरबानी को यह साबित करने में बहुत वक्त लगा कि वह एक फास्ट बॉलर है. रजनीश के साथ लगभग वैसा ही हुआ जैसा पूर्व तेज गेंदबाज अजित अगरकर के साथ 1998 में हुआ था. विदर्भ के चयनकर्ता इस बात स्वीकारते हैं कि पिछले साल जब उन्होंने यह सुना कि गुरबाणी राज्य का सबसे ज्यादा प्रभावशाली तेज गेंदबाज है, तो उन्हें सदमा सा लगा था. तब चयनकर्ताओं की प्रतिक्रिया थी, 'ये क्या फास्ट बॉलिंग करेगा.'

24 वर्षीय इस खिलाड़ी के लिए ड्रेसिंग रूम में यह पहचान का संकट था. साथी खिलाड़ी भी उसे समझाते और डराते थे कि इंजीनियरिंग छोड़ कर क्यों क्रिकेट में अपना समय गंवा रहा है. इन सब बातों की गुरबाणी को आदत पड़ती गई. क्योंकि वह जानते थे कि वह क्वालीफाइड सिविल इंजीनियर है, बल्कि उन्होंने सारे सेमेस्टर बिना किसी असफलता के पास किए हैं. इसके साथ साथ क्रिकेट के प्रति उनकी प्रतिबद्धता में भी कोई कमी नहीं आई है. उन्होंने 80 फीसदी अंकों के साथ सिविल इंजीनियरिंग पास की है. उनके पास नौकरी के लिए बेहतरीन अवसर थे, लेकिन फिर भी उन्होंने क्रिकेट को चुना. बीई डिग्री हासिल करने के छह महीने बाद ही उन्होंने लिस्ट ए में डेब्यू किया. 

सूरत के लाल बहादुर कान्ट्रेक्टवाला स्टेडियम में अपने साथियों के सामने एक फिर से खुद को साबित किया. और शायद खुद को भी यह साबित किया कि क्रिकेट को चुनकर उन्होंने कोई गलती नहीं की है. उन्होंने अपने फर्स्ट क्लास करियर में दूसरी बार 5 विकेट लिए. यह उनकी अब तक की बेस्ट परफॉर्मेंस है, लेकिन उनकी इस परफॉर्मेंस ने जहां विदर्भ के लिए फाइनल खेलना सुनिश्चित कर दिया है वहीं केरल की हार भी तय कर दी है.

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रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में गुरबाणी ने 38 रन देकर 5 विकेट लिए, जिसके परिणामस्वरूप केरल की टीम 176 रनों पर ढेर हो गई. गेंदबाजी के अपने इस स्पैल से गुरबाणी ने साबित कर दिया है कि तेज गेंदबाज हर तरह के हो सकते हैं. उनका गेंदबाजी का स्टाइल भी अलग हो सकता है. 

अगरकर के विपरीत गुरबाणी का रनअप काफी लंबा है. वह अपनी गेंदें हाई आर्म से फेंकते हैं. वह पिच की सतह से स्पीड जेनरेट करते हैं. गेंद बल्लेबाज की तरफ उछलती हुई जाती है और उसे चकमा देती है. यह वजह है कि केरल के खिलाफ अधिकांश खिलाड़ियों को उन्होंने या तो बोल्ड आउट किया या एलबीडबल्यू. 

जिस तरह अगरकर गेंद का इस्तेमाल करते थे, उसी तरह गुरबाणी ने गेंद को 140 की स्पीड पर दोनों तरफ घुमाया. केरल के खिलाफ उनके द्वारा ली गई विकेटें वैरायटी का नमूना थीं. अरुण कार्तिक उनकी एक आउट स्विंगर पर क्लीन बोल्ड गये. और सचिन बेबी को उन्होंने अपनी गति से चकमा दिया. उन्हें अपनी ही गेंद पर गुरबाणी ने कैच आउट किया. जबकि केसी अक्षय उनकी एक लेंथ बॉल पर विकेटकीपर के हाथों कैच आउट हुए. 

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हालांकि, गुरबाणी सबसे ज्यादा वारियर की विकेट पर खुश हुए. वह कहते हैं, जब संदीप बल्लेबाजी करने आए तो मैंने मुख्य रूप से आउट स्विंगर डाली. गेंद बहुत ज्यादा घूम रही थी. इस तरह उन्होंने अपने विकेट निकाले. वह अपनी गेंदबाजी में ब्रेन का भी भरपूर इस्तेमाल करते हैं. 

गुरबाणी के पिता, जो खुद सिविल इंजीनियर हैं और रेलवे कर्मचारी हैं. अपने बेटे की मदद के लिए उनके साथ बैठते हैं. वह हर शाम तीन घंटे अपने बेटे को पढ़ाते थे. वह अपने बेटे से कहते, यदि तुम एक या दो एग्जाम नहीं देते तो कोई बात नहीं, तब तुम्हें क्रिकेट पर फोकस करना चाहिए. आज गुरबाणी ने खुद को एक बेहतरीन तेज गेंदबाज साबित कर दिया है. लेकिन सफर अभी भी बहुत लंबा है. 

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