EXCLUSIVE : पृथ्वी 'आकाश' की ओर, पिता चाहते हैं सचिन तेंदुलकर जैसा करियर
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EXCLUSIVE : पृथ्वी 'आकाश' की ओर, पिता चाहते हैं सचिन तेंदुलकर जैसा करियर

पृथ्वी की इस सफलता पर उनके पिता पंकज शॉ बेहद खुश हैं. पंकज जल्द से जल्द पृथ्वी को टीम इंडिया की जर्सी में देखना चाहते हैं. 

पृथ्वी शॉ ने अपने प्रदर्शन से सचिन तेंदुलकर जैसी उम्मीदें जगाई हैं (PIC : Twitter/Cricketopia)

नई दिल्ली : मुंबई के युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) एक बार फिर सुर्खियों में हैं. दिलीप ट्रॉफी के डेब्यू मैच में शतक जड़कर शॉ ने अपने नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज कर लिया. पृथ्वी दिलीप ट्रॉफी फाइनल में शतक जड़ने वाले दूसरे सबसे युवा क्रिकेटर बन गए. हालांकि, उनसे पहले यह कारनामा सचिन तेंदुलकर कर चुके हैं. सचिन ने 17 साल 262 दिन की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की थी, जबकि शॉ ने 17 साल 320 दिन की उम्र में इस कारनामे को अंजाम दिया है. पृथ्वी का यह पहला दिलीप ट्रॉफी मैच रहा. वह करियर के पहले रणजी ट्रॉफी मैच में भी शतक जड़ चुके हैं. इस मामले में भी वह सचिन के बाद आते हैं. अगर वह ईरानी कप के पहले मैच में भी शतक जड़ते हैं, तो सचिन तेंदुलकर की बराबरी कर लेंगे. बता दें कि सचिन घरेलू क्रिकेट के इन तीनों फॉर्मेट के अपने पहले मैच में शतक जमाने वाले अकेले खिलाड़ी हैं. पृथ्वी की इस सफलता से रोमांचित उनके पिता ने ज़ी न्यूज़ हिंदी ऑनलाइन से एक्सक्लूसिव बातचीत की.

  1. पृथ्वी शॉ ने दिलीप ट्रॉफी में डेब्यू शतक जड़ा है
  2. 2013 में  पृथ्वी शॉ ने हैरिस शील्ड में 546 रनों की पारी खेली थी
  3. पृथ्वी शॉ रणजी ट्रॉफी में भी डेब्यू शतक जड़ चुके हैं

पृथ्वी के पिता पंकज शॉ बेहद खुश हैं. पंकज जल्द से जल्द बेटे को टीम इंडिया की जर्सी में देखना चाहते हैं. पृथ्वी सचिन को अपना रोल मॉडल मानते हैं और उनके पिता चाहते हैं कि बेटा भी सचिन की तरह ही कम उम्र में टीम इंडिया का हिस्सा बने और लंबे समय तक देश के लिए खेले.

इस खास बातचीत में पंकज शॉ ने पृथ्वी शॉ के बचपन और उनके खेल से जुड़ी कई बातें साझा कीं. पंकज ने कहा, 'पृथ्वी ने काफी छोटी उम्र से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. जब उसकी उम्र महज तीन-साढ़े तीन साल थी. मैंने पृथ्वी को पहली बार टेनिस बॉल से खिलाना शुरू किया था. मैंने देखा कि वह काफी अच्छी बल्लेबाजी करता है. मैंने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसको इस फील्ड में आगे बढ़ाना शुरू किया.'

पिता के अनुसार, टेनिस बॉल के बाद 4-5 साल की उम्र तक आते-आते पृथ्वी सीजन बॉल से खेलने लगे थे. बेटे को अच्छा खेलता देख पंकज ने उसे विरार में चल रही सचिन तेंदुलकर की एकेडमी में भेजना शुरू कर दिया. पृथ्वी ने अपनी इस शानदार बल्लेबाजी के शुरुआती गुर सचिन तेंदुलकर की एकेडमी में ही सीखे. तीसरी क्लास में वह मुंबई के एमआईजी क्लब में ट्रेनिंग के लिए जाने लगे. 

पृथ्वी शॉ के बचपन के बारे में बताते हुए उनके पिता ने कहा, 'हर बच्चे की तरह वह भी शरारती था, लेकिन चार साल की उम्र में ही मां का साया सिर से उठ जाने के बाद उसमें खुद-ब-खुद मैच्योरिटी आ गई. उसने कभी मुझसे किसी बात की कोई जिद नहीं की और न ही कभी कोई सवाल किए.'

पंकज बताते हैं, 'पृथ्वी को चाइनीज खाना बहुत पसंद है. जब भी वह मैच में 100 स्कोर करता है तो मैदान से ही हाथ उठाकर मेरी तरफ इशारा कर देता है कि आज उसका खाना चाइनीज ही होगा.'

सचिन तेंदुलकर को अपनी प्रेरणा मानने वाले पृथ्वी शॉ के पसंदीदा बॉलीवुड हीरो ऋतिक रोशन हैं, लेकिन उनके पिता का कहना है कि उन्हें मराठी अभिनेता अशोक श्रॉफ सबसे ज्यादा पसंद हैं.

पृथ्वी को कॉमेडी फिल्में देखना बेहद पसंद है और टीवी धाराहिक 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के वह बड़े फैन हैं. मैच और क्रिकेट ट्रेनिंग से फुर्सत मिलने पर पृथ्वी पढ़ाई करना पसंद करते हैं. पृथ्वी इस समय 12 क्लास में पढ़ रहे हैं. उनके पिता का कहना है कि क्रिकेट के बीच उसे पढ़ने का वक्त ज्यादा तो नहीं मिल पाता, लेकिन जब भी थोड़ा-बहुत वक्त मिलता है वह पढ़ने के लिए बैठ जाता है.

पृथ्वी की पढ़ाई के प्रति रुचि की सराहना करते हुए पिता पंकज ने बताया, 'पृथ्वी पढ़ने में काफी तेज है और खेल के साथ उसका मन पढ़ाई में भी लगता है. 10वीं क्लास में भी बस 1-2 महीना पढ़कर ही उसने 60 प्रतिशत का स्कोर कर लिया था. मुंबई के लिए रणजी खेलने वाले पृथ्वी की प्रतिभा को कई लोगों ने पहचाना और उसे आठ साल की उम्र से ही स्कॉलरशिप और स्पॉन्सरशिप मिलनी शुरू हो गई थी.'

सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानने वाले पृथ्वी शॉ उन्हीं की तरह बनना चाहते हैं. पृथ्वी के पिता कहते हैं, 'वह अक्सर सचिन की बातें करता है और कहता है कि वह उन्हीं की तरह एक अच्छा खिलाड़ी बनने के साथ-साथ एक अच्छा इंसान भी बनेगा. सचिन तेंदुलकर को 'क्रिकेट का भगवान' कहते हैं. शायद ही कोई ऐसा रिकॉर्ड हो, जो उन्होंने न बनाया हो बावजूद इसके वह आज भी अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं. वह हर किसी से उसी प्रेम भावना के साथ मिलते हैं. सचिन का यही अंदाज पृथ्वी को बेहद पसंद है और इसीलिए वह उन्हें अपना आदर्श मानता है और उनकी तरह बनना चाहता है.'

पृथ्वी के पिता पंकज ने सचिन तेंदुलकर की ओर से मिल रहे गाइडेंस का भी प्रमुखता से उल्लेख किया. पंकज कहते हैं, 'सचिन हमेशा मुझसे और पृथ्वी से यही कहते हैं कि वह नेचुरल खेल रहा है और उसे ऐसे ही खेलते रहना है. सचिन उसे हमेशा गाइड करते हैं और क्रिकेट के साथ-साथ पढ़ाई पर भी ध्यान देने के लिए कहते हैं. पंकज भी सचिन को बहुत सम्मान देते हैं और उनकी हर बात मानते हैं.'

उन्होंने कहा, 'सचिन हमेशा मदद करने के लिए तैयार रहते हैं और वक्त-वक्त पर पूछते भी रहते हैं कि पृथ्वी के लिए किसी भी मदद की जरूरत हो तो वह हमेशा उसके लिए तैयार हैं.'

पृथ्वी के पिता ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए काफी संघर्ष किया है. सिंगल पैरेंट होते हुए भी उन्होंने पृथ्वी को मां और पिता दोनों का प्यार दिया है और कोशिश की है कि उसे कभी किसी चीज की कमी महसूस न हो. अपने बेटे की इच्छा और उसके सपने को पूरा करने के लिए पंकज शॉ ने वह सब किया जो वह कर सकते थे. रेडीमड कपड़ों का काम करने वाले पंकज ने बेटे के लिए 11-12 साल पहले ही इस काम को छोड़ दिया था.

पृथ्वी शॉ को स्कूल ले जाना-लाना, क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए ले जाना और लाना, टूर्नामेंट के लिए ले जाना. इन सबके साथ उनका काम करना काफी मुश्किलभरा था, इसलिए उन्होंने पृथ्वी के सपने के लिए अपना काम-धंधा छोड़ दिया. घर खर्च और दूसरे खर्चों को लेकर उनका कहना है,  'लोगों ने पृथ्वी की प्रतिभा को पहचाना और हमें काफी आर्थिक मदद भी दी.'

पृथ्वी की तुलना सचिन से होने पर उनके पिता का कहना है कि उन्हें खुशी होती है जब ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं, लेकिन सचिन की बराबरी या उनसे तुलना करने में अभी बहुत वक्त है. वह खुद भी सचिन की तरह बनना चाहता है, लेकिन इसके लिए उसे काफी मेहनत करनी होगी.

2013 में पहली बार सुर्खियों में आए थे पृथ्वी शॉ
बता दें कि पृथ्वी पहली बार 2013 में सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने हैरिस शील्ड में 546 रनों की पारी खेली थी. तब पृथ्वी की उम्र महज 15 साल ही थी. उन्होंने हैरिस शील्ड के लिए खेले गए इंटरस्कूल टूर्नामेंट में अरमान जाफर के रिकॉर्ड को तोड़ा था. शॉ की इस पारी ने सचिन तेंदुलकर की यादें ताजा कर दीं थी. गौरतलब है कि हैरिस शील्ड में ही सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली के बीच 664 रनों की साझेदारी हुई थी. दोनों ने 1988 में इस टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में यह साझेदारी की थी.

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